नई दिल्ली: राजधानी में गैंगवार के चलते दिल्ली का क्राइम रेट बढ़ता ही जा रहा है. गैंगवार के चलते कई मासूमों को भी अपनी मौत से हाथ धोना पड़ता है. आज दिल्ली में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं.
इसी क्रम में आज हम आपको दिल्ली के ऐसे ही दो प्रमुख गैंगों के बारे में बताने जा रहा है. कब, क्यों और कैसे उनके बीच रंजिश की लाइन इतनी बड़ी खींच गई जो आज तक खत्म नहीं हुई.
यमुना पार में दर्जन भर से ज्यादा गैंग हैं जो आपस में भिड़ते रहते हैं. लेकिन इन सबके बीच में दो ऐसे गैंग हैं जो एक दशक से खूनी जंग लड़ रहे हैं. यह है अब्दुल नासिर उर्फ खैबर हयात और इरफान उर्फ छेनू पहलवान का गैंग. दोनों गैंग अब तक एक-दूसरे के 20 से ज्यादा साथियों को मौत के घाट उतार चुके हैं. दोनों के बीच लंबे समय विवादित प्रॉपर्टी, सट्टे और वर्चस्व की लड़ाई गैंगवार का कारण है. इनमें से छेनू पहलवान अभी जेल में है जबकि नासिर फरार चल रहा है. बताया जाता है कि दोनों के बीच कुछ माह पहले समझौता हो गया है, लेकिन इसके बावजूद भी उनके गैंग के सदस्य मारे जा रहे हैं.
2010 से शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई
पुलिस के अनुसार इनके बीच की गैंगवार साल 2010 में शुरू हुई. साल 2008 में नासिर बिजनौर के रहने वाले आरिफ के साथ मिलकर अवैध हथियारों का काम करता था. बाद में वह दिल्ली के बदमाशों को हथियार सप्लाई करने लगा. साल 2010 में उसे स्पेशल सेल ने 55 लाख रुपये की डकैती के मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद नासिर ने कुख्यात बदमाश हाशिम-बाबा से हाथ मिलाया. उसी समय वर्चस्व को लेकर नासिर-हाशिम गैंग की अकील मामा और छेनू पहलवान गैंग से ठन गई. छेनू उत्तर-पूर्वी जिले के कुख्यात बदमाश हाजी अफजाल का चचेरा भाई था. वह मिलकर यमुना पार में अपना वर्चस्व कायम करना चाहते थे.
2011 में हुई पहली हत्या
अकील मामा, अफजाल और छेनू पहलवान एक ही गैंग में थे. साल 2011 में अकील मामा ने नासिर के करीबी आतिफ की गोली मारकर हत्या कर दी. उधर इसका बदला लेने के लिए नासिर ने अकील मामा की हत्या के लिए साजिश रची. लेकिन उसे पुलिस ने पकड़ लिया. बदला लेने के लिए नासिर ने कुछ समय बाद अकील मामा के करीबी जाफराबाद निवासी मोहम्मद मतीन की हत्या कर दी. इसके बाद दोनों तरफ से हत्याओं का दौर शुरू हो गया.
2013 में मारा गया अकील मामा
नासिर की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही उसके गुर्गों ने अकील मामा की गोली मारकर हत्या कर दी. दोनों तरफ से एक-दूसरे गैंग के सदस्यों को मारने का सिलसिला चल पड़ा. पुलिस ने हाशिम बाबा को भी दबोच लिया. उधर साल 2014 में छेनू के गुर्गों ने मुस्तफाबाद में नासिर के करीबी आरिफ की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद छेनू ने 16 फरवरी 2014 को अमरोहा के हसनपुर कोतवाली क्षेत्र में अपने गुर्गों से शाहनवाज, उसके साथी अरशद व माजिद उर्फ भूरा की हत्या करवा दी. जनवरी 2015 में पुलिस ने छेनू को दिल्ली के अमर कालोनी से गिरफ्तार कर लिया और तब से वह जेल में है.
जेल में भी दोनों के बीच हुई ब्लेडबाजी
जेल में पहुंचने के बाद छेनू और नासिर के बीच ब्लेडबाजी हुई. इसके बाद दोनों को रोहिणी की हाई रिस्क जेल में अलग-अलग रखा गया. 23 दिसंबर 2015 को नासिर ने जेल में बंद शक्ति नायडू गैंग के नाबालिग लड़कों से कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के सामने छेनू पर हमला करवा दिया. हमले में दिल्ली पुलिस के एक सिपाही की मौत हो गई, जबकि छेनू पांच गोली लगने के बावजूद बच गया. इसके बाद भी दोनों गैंग में गैंगवार जारी रही.