नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों को हुए काफी समय गुजर गया, लेकिन उसके जख्म अब तक भरे नहीं. दबंगों के रवैये से परेशान गढ़ी मेडु के बहुत से अल्पसंख्यक वहां से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि गढ़ी में जिस ढंग से अल्पसंख्यकों से व्यवहार किया जा रहा है वो ठीक नहीं है. मौलाना ने कहा कि दंगा प्रभावित लोग आज भी मुआवजे के किये दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
दंगों के इतने दिन गुजरने के बाद भी आज तक गढ़ी का माहौल अजीब सा बना हुआ है. हद तो ये है कि गांव में मौजूद जिस मुबारक मस्जिद में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मरम्मत का काम शुरू कराया था. उसमें दबंगों के दबाव के चलते काम रोकने के साथ ही ताला डाल दिया गया. इसके अलावा दबंगों के प्रभाव की वजह से वहां किराए पर रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पलायन कर गए. जिनके मकान हैं, वो भी डरे सहमे गांव में रह रहे हैं.
'आज भी मदद के इंतजार में हैं गांव के लोग'
मौलाना आबिद ने गढ़ी मेडु गांव का जायजा किया और वहां मौजूद पीड़ितों से मुलाकात की. उन्हें जल्द ही संभव मदद देने का आश्वासन दिया. मौलाना ने बताया कि गांव में आज भी ऐसे कई पीड़ित हैं जिन्हें आजतक कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली. वो लोग आज भी प्रशासन की मदद के इंतजार में हैं. मौलाना ने बताया कि गांव में मौजूद एक विधवा को जब कोई साधन नहीं मिला, तो उसने बच्चों की चीज का सामान बेचने के लिए रखा ताकि गुजर बसर को कुछ रकम जुटाई जा सके.
दंगा प्रभावितों को FIR के बाद भी मुआवजा नहीं
मौलाना आबिद ने बताया कि आज भी उनके पास ऐसे बहुत से लोग मदद के लिए पहुंच रहे हैं. जिनके मामले में FIR तो दर्ज हैं, लेकिन उन्हें आज तक भी कोई मुआवजा नहीं मिला. प्रशासन की ओर से मुआवजा दिए जाने के सवाल पर मौलाना आबिद ने कहा कि प्रशासन ने दिया जरूर होगा, लेकिन पीड़ितों के पास आज भी कोई मदद नहीं पहुंची. मौलाना ने कहा कि कोई भी ऐसा दंगा प्रभावित जिसे कोई मुआवजा नहीं मिला वो सीधे जमीयत दिल्ली के शास्त्री पार्क स्थित फ्लाहे दारेन पहुंचकर संपर्क करें.
ईद-उल-अजहा और रक्षाबंधन पर हों सुरक्षा प्रबंध
मौलाना आबिद ने सभी लोगों को ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद और रक्षाबंधन के लिए सभी बहनों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने प्रशासन से आह्वान किया कि त्योहारों पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए जाएं. इसके साथ ही बाहर से आने वाले बकरों के कारोबारियों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बाजार लगाने की इजाजत दी जाए.