नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर मंतर पर सैकड़ों की संख्या में एटक और सीटू के नेतृत्व में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के खिलाफ किसान और मजदूरों के हकों की मांग को लेकर लेकर प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में देश के अलग-अलग राज्यों से किसान और मजदूर संगठन से जुड़े लोग पहुंचे. इसमें काफी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया.
मजदूरों और किसानों पर हमला कर रही केंद्र सरकार : प्रदर्शन में पहुंचे लोगों का कहना है कि आज देश के मजदूरों किसानों देश में संपदा पैदा करने वाले उत्पादक वर्ग के अधिकारों पर मौजूदा सरकार हमला कर रही है. देश में मजदूरों के अधिकारों पर हमला बहुत तेजी से बढ़ रहा है. केंद्र सरकार पूरी तरह से पूंजीपति वर्ग के झंडे के साथ आगे बढ़ रही है. देश में अपने अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों को सरकार कुचल रही है. विरोध की आवाज को दबा दिया जा रहा है.
सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा : लोगों के धन से निर्मित सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा है. स्थायी रोजगार देने वाले क्षेत्र हवाई अड्डा, राजमार्ग, रेलवे, बैंक, एलआईसी ,जीआईसी आदि को पूंजीपतियों के हवाले कर दिया जा रहा है. और लोगों को बेरोजगार किया जा रहा है. ऑल इंडिया मजदूर ट्रेड यूनियन के उप महासचिव दिल्ली राज्य कमेटी एटक के अध्यक्ष विजय कुमार तिवारी ने बताया कि हमारी मुख्य मांग है सरकार निजीकरण को बढ़ावा देना बंद कर दे.
मौलिक सेवाओं का निजीकरण बंद किया जाना चाहिए : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण बंद होना चाहिए. शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मौलिक सेवाओं का निजीकरण बंद किया जाना चाहिए. फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य और सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार सुनिश्चित करे. ईएसआई, पीएफ और बोनस कानून में सबसे बढ़कर वेतन की सीमा को 31,000 रुपए किया जाए. 26,000 मासिक न्यूनतम वेतन लागू किया जाए. 10,000 मासिक पेंशन लागू हो.
मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना लागू की जाए: आई-श्रम कार्ड में पंजीकृत सभी 32 लाख असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना लागू की जाए. मौजूदा केंद्र सरकार आज देश के अंदर टायर फायर की नीति अपना रही है. काम करने के हालात बेहद असुरक्षित है. कोई सामाजिक सुरक्षा का अधिकार नहीं मिलता. 8 से ज्यादा घंटे काम करने के लिए बाध्य किया जाता है. देश की राजधानी दिल्ली में 96% मजदूरों को न्यूनतम वेतन 17994 रुपए सुनिश्चित नहीं है. नियुक्तिकर्ता उनके वेतन का 20-57 प्रतिशत तक हड़प लेते हैं और मजदूरों तक मात्र 6000 से 12000 तक की राशि पहुंच पाती है.
32 लाख से ज्यादा श्रमिकों का आई-श्रम कार्ड में पंजीकरण : रामसेवक शर्मा ने बताया कि आजादी के 75 साल बाद में आदमी कोई सुनिश्चित सामाजिक सुरक्षा योजना नहीं है. जबकि, इस क्षेत्र के 32 लाख से ज्यादा श्रमिक आई-श्रम कार्ड में अपना पंजीकरण करवा चुके हैं. केंद्र सरकार ईडी, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसी के जरिए राजनीतिक, प्रतिनिधियों, पत्रकारों, अल्पसंख्यकों को अस्तित्व वालों के खिलाफ काम कर रही है. यूपीए जैसे काले कानून लगाकर विरोध की आवाज को कुचल रही है.
पूंजीपतियों के 25.4 लाख करोड़ का बैंक कर्ज माफ : केंद्र सरकार द्वारा पूंजी पतियों के बैंक कर्ज को माफ करना लगातार जारी है. पिछले 9 साल में 25.4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है. जो किसान थे उनके ऊपर झूठे मुकदमे किए गए. जिसे अभी तक सरकार ने वापस नहीं लिया है. कई किसान अभी भी जेल में है. एमएसपी पर कानून नहीं बनाया गया है. मजदूरों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ पूंजीपतियों के घर भरे जा रहे हैं.
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