नई दिल्लीः क्या आपको नोएडा का वह ट्विन टावर याद है, जिसे पिछले साल ध्वस्त कर दिया गया था. ठीक इसी तर्ज पर दिल्ली की एक इमारत जमींदोज होनेवाली है. जी हां, दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में निर्मित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट की इमारत गिराई जाएगी. दरअसल, साल 2008 से 2010 के बीच डीडीए द्वारा सिगनेचर व्यू अपार्टमेंट के नाम से एक सोसाइटी तैयार की गई. यह सोसाइटी 2.83 हेक्टेयर भूमि पर बनाई गई, जिसमें फिलहाल 336 परिवार रहते हैं. सोसाइटी में डीडीए द्वारा 224 एचआईवी फ्लैट और 112 एमआईजी फ्लैट बनाए गए हैं. सभी 336 फ्लैट 12 टावर में बने हुए हैं, जिसमें 10 मंजिला इमारत के 10 टावर हैं जबकि दो टावर 6 मंजिला है.
अब यह पूरी सोसाइटी जर्जर हो चुकी है. हर जगह दीवारों में दरार आ रही है. इसके निर्माण में घटिया क्वालिटी की सामग्री का इस्तेमाल किये जाने का आरोप है. साल 2012 में इस सोसाइटी में बिल्डर द्वारा खरीददारों को फ्लैट की अलॉटमेंट की गई थी. साल 2013 में सोसाइटी के ए ब्लॉक में एक मकान की छत गिर गई. उसके बाद से लगातार हादसे हो रहे हैं. लोग परेशान हैं कि जिन्होंने यहां पर करोड़ों रुपए के अपने आशियाने खरीदे हैं. अब करें तो क्या करें? इस इमारत को डीडीए ने गिराने की तैयारी शुरू कर दी हैं, क्योंकि 3 साल के अंदर लोगों को यहां पर दोबारा से मकान बना कर देने हैं. इस सोसाइटी को नोएडा के ट्विन टावर की तरह ही गिराया जाएगा.
सिगनेचर व्यू अपार्टमेंट सोसाइटी के प्रेसिडेंट अमरेंद्र कुमार ने बताया कि यह सोसाइटी साल 2010 में डीडीए विभाग द्वारा बसाई गई थी. इसमें कुल 12 टावर हैं, जिनमें 336 फ्लैट बने हुए हैं. सोसाइटी में एमआईजी और एचआईवी दो तरह के फ्लैट बने हुए हैं, जिनकी कीमत मौजूदा समय में दो से तीन करोड़ रुपए से भी ज्यादा है. सोसाइटी में बिल्डरों द्वारा साल 2012 में फ्लैट की अलॉटमेंट की गई थी और अगले ही साल 2013 में एक फ्लैट की छत भरभरा कर गिर गई. गनीमत रही कि हादसे में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
लोगों को रहने के लिए किराया देगा डीडीएः अब सोसाइटी की पूरी बिल्डिंग अंदर ओर बाहर से जर्जर हालत में है. हर समय हादसा होने का डर बना रहता है. लोगों ने डीडीए विभाग के साथ भी कई बार पत्राचार किया, लेकिन विभाग ने इसमें कोई खास रूचि नहीं दिखाई. फिर लोगों ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मीटिंग की. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल डीडीए के चैयरमेन होते हैं, जिन्होंने मामले पर संज्ञान लिया और लोगों को आश्वासन दिया. अब डीडीए विभाग द्वारा सभी परिवारों के लिए नए फ्लैट दोबारा से बनवाए जाएंगे. डीडीए इन लोगों को प्रति फ्लैट के हिसाब से किराया देगा, जिसमें एमआईजी फ्लैट के लिए 35,000 और एचआईवी फ्लैट के लिए 50,000 रुपये प्रति माह किराया दिया जाएगा. यह किराया 3 साल तक परिवारों को मिलेगा और पूरी तरह से फ्लैट बनने के बाद लोग दोबारा इसमें आकर रह सकेंगे.
लोग बालकनी में आना छोड़ चुके हैंः वहीं सोसाइटी में रहने वाले परिवार की महिलाओं ने बताया कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का अधिकतर समय घरों में बीतता है. जिस तरह से बिल्डिंग के हालात हैं, कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. लोगों के घरों के बालकनी भी जर्जर हालत में हैं. लगातार घरों की छतें गिर रही है. डर के कारण लोगों ने बालकनी में आना छोड़ दिया है. वहीं कई परिवारों में दिव्यांग बुजुर्ग भी रहते हैं, जिनके लिए हमेशा उनके परिजनों के मन में डर बना रहता है. सोसाइटी में रहने वाली महिला साधना प्रकाश ने बताया कि वह पहले इंदिरा विकास कॉलोनी में रहती थी. उन्होंने सिगनेचर व्यू अपार्टमेंट सोसाइटी में फ्लैट लेने के लिए दिल्ली और नोएडा की दोनों प्रॉपर्टी को बेच दिया. साथ ही बैंक से लोन भी लिया, तब जाकर उन्होंने करीब तीन करोड़ रुपए में यहां पर एचआईवी फ्लैट खरीदा. उसमें करीब 50 लाख रुपए रिनोवेशन पर भी खर्च किए.
336 परिवार डर के साये में जी रहेः उन्होंने कहा कि अब एकदम से हालात इतने बदल गए हैं. जो लोग यहां पर मकान खरीदने का सपना देख रहे थे या जिन्होंने मकान खरीदे हैं, वह यहां से जान बचाकर दूसरी जगह पर जाने के लिए मजबूर हैं. लोगों ने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई यहां पर लगा दी. उनके पास अब दूसरा कोई चारा भी नहीं है और ना ही इतने पैसे हैं कि वह दूसरे जगह जाकर रह सकते हैं. वहीं दूसरी महिला आइशा झा ने बताया कि यहां हो रहे हादसों को लोगों में डर बना हुआ है. उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. सोसाइटी के हर घर मे बच्चे रहते हैं. डर के मारे लोगों ने बालकनी में आना छोड़ दिया. छत का प्लास्टर हर समय गिरता रहता है. यदि कोई हादसा हो गया तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? सोसाइटी में रहने वाले 336 परिवार डर के साए में जी रहे हैं. सोसाइटी में बने सभी टावर की हालात बदहाल है.
85 परिवार सोसाइटी छोड़कर चले गएः सोसाइटी के कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सोसाइटी में लगातार होने वाले हादसों को देखते हुए अब तक 85 परिवार सोसाइटी छोड़कर जा चुके हैं, जिसके लिए लोगों को फ्लैट का लोन और नए आशियाना का किराया भी चुकाना पड़ रहा है. डीडीए की लापरवाही की वजह से खरीदारों पर दोहरी मार पड़ रही है. इसका खामियाजा केवल और केवल उन परिवारों को उठाना पड़ रहा है, जो इनमें अपने फ्लैट खरीद चुके हैं.
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