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यौन उत्पीड़न को लेकर फैलाई जा रही जागरूकता, हंसराज कॉलेज मे लगा सेमिनार

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Published : Jun 19, 2019, 10:23 PM IST

शिकायत समिति की सदस्य प्रीति धरमारा ने बताया की अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए 18 से 21 साल तक के छात्र दाखिले के लिए आते हैं, जो स्कूल से निकले होते हैं और उन्हें इस विषय पर जानकारी नहीं होती. इसलिए छात्रों को इस चीज से अवगत कराना जरूरी है.

यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता के लिए कैंप

नई दिल्ली: देश में बढ़ रही यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है, क्योंकि ज्यादातर लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में पता ही नहीं होता. ज्यादातर यौन उत्पीड़न के मामले छात्रों के साथ होते हैं. इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में यौन उत्पीड़न विषय पर एक सेमिनार लगाया गया.

यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता के लिए कैंप

कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही यह बताया गया कि यौन उत्पीड़न के मामले किस-किस तरीके से सामने आते हैं और कहां-कहां यह मामले अंजाम दिए जाते हैं. इतना ही नहीं सेमिनार में ये भी बताया गया कि सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि कई अन्य तरीकों से भी छात्रों या कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न किया जाता है.

कॉलेज और स्कूलों समेत ऑफिस में भी आते हैं मामले
यौन उत्पीड़न मामलों की जानकार और वकील अपराजिता अमर ने बताया कि यौन उत्पीड़न के मामले कॉलेज, स्कूल समेत ऑफिस से भी आते हैं. जहां पर कई कर्मचारी काम करते है. इस दौरान कई बार सीनियर पोस्ट पर बैठे कर्मचारी जूनियर कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं और ऐसा नहीं करने पर वह उन्हें नौकरी से निकालने की भी धमकी देते हैं.

लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में नहीं होती जानकारी
अपराजिता का कहना था कि कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके साथ उत्पीड़न हुआ है. वो समझ ही नहीं पाते कि आखिर किसने उनके साथ किस तरीके की हरकत की है. चाहे वो किसी भी उम्र का व्यक्ति हो, महिला हो, जिसके लिए उन्हें समझाने की और उनके अधिकारों से अवगत कराने की आवश्यकता होती है.

स्टाफ को दी गई जानकारी
अधिकतर मामले कॉलेजों में, स्कूलों में देखने को मिलते हैं. इसलिए यह सेमिनार दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में लगाया गया था. जिसका मकसद कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय से अवगत कराना था, क्योंकि छात्र जब कॉलेज में होते हैं तो वो टीचर समेत कॉलेज के अन्य स्टाफ के साथ भी परिचित होते हैं.

शिकायत समिति की सदस्य प्रीति धरमारा ने बताया की अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए 18 से 21 साल तक के छात्र दाखिले के लिए आते हैं, जो स्कूल से निकले होते हैं और उन्हें इस विषय पर जानकारी नहीं होती. इसलिए छात्रों को इस चीज से अवगत कराना जरूरी है.

नई दिल्ली: देश में बढ़ रही यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है, क्योंकि ज्यादातर लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में पता ही नहीं होता. ज्यादातर यौन उत्पीड़न के मामले छात्रों के साथ होते हैं. इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में यौन उत्पीड़न विषय पर एक सेमिनार लगाया गया.

यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता के लिए कैंप

कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही यह बताया गया कि यौन उत्पीड़न के मामले किस-किस तरीके से सामने आते हैं और कहां-कहां यह मामले अंजाम दिए जाते हैं. इतना ही नहीं सेमिनार में ये भी बताया गया कि सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि कई अन्य तरीकों से भी छात्रों या कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न किया जाता है.

कॉलेज और स्कूलों समेत ऑफिस में भी आते हैं मामले
यौन उत्पीड़न मामलों की जानकार और वकील अपराजिता अमर ने बताया कि यौन उत्पीड़न के मामले कॉलेज, स्कूल समेत ऑफिस से भी आते हैं. जहां पर कई कर्मचारी काम करते है. इस दौरान कई बार सीनियर पोस्ट पर बैठे कर्मचारी जूनियर कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं और ऐसा नहीं करने पर वह उन्हें नौकरी से निकालने की भी धमकी देते हैं.

लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में नहीं होती जानकारी
अपराजिता का कहना था कि कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके साथ उत्पीड़न हुआ है. वो समझ ही नहीं पाते कि आखिर किसने उनके साथ किस तरीके की हरकत की है. चाहे वो किसी भी उम्र का व्यक्ति हो, महिला हो, जिसके लिए उन्हें समझाने की और उनके अधिकारों से अवगत कराने की आवश्यकता होती है.

स्टाफ को दी गई जानकारी
अधिकतर मामले कॉलेजों में, स्कूलों में देखने को मिलते हैं. इसलिए यह सेमिनार दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में लगाया गया था. जिसका मकसद कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय से अवगत कराना था, क्योंकि छात्र जब कॉलेज में होते हैं तो वो टीचर समेत कॉलेज के अन्य स्टाफ के साथ भी परिचित होते हैं.

शिकायत समिति की सदस्य प्रीति धरमारा ने बताया की अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए 18 से 21 साल तक के छात्र दाखिले के लिए आते हैं, जो स्कूल से निकले होते हैं और उन्हें इस विषय पर जानकारी नहीं होती. इसलिए छात्रों को इस चीज से अवगत कराना जरूरी है.

Intro:देश में बढ़ रहे यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है क्योंकि अधिकांश लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में पता ही नहीं होता. क्योंकि अधिकतर यौन उत्पीड़न के मामले छात्रों के साथ होते हैं इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में यौन उत्पीड़न विषय पर एक सेमिनार लगाया गया जिसमें कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय के बारे में जानकारी दी गई साथ ही यह बताया गया कि यौन उत्पीड़न के मामले किस किस तरीके से सामने आते हैं और कहां-कहां यह मामले अंजाम दिए जाते हैं इतना ही नहीं सेमिनार में यह भी बताया गया कि सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि कई अन्य तरीकों से भी छात्रों या कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न की जाती है


Body:कॉलेज और स्कूलों समेत ऑफिस में भी आते हैं मामले
इस पर हमने यौन उत्पीड़न मामलों की जानकार और वकील अपराजिता अमर से बात की और जानने की कोशिश की कि आखिर किस किस तरीके के मामले योन उत्पीड़न में आते हैं और किस तरीके से कहां-कहां इन मामलों को अंजाम दिया जाता है तो उन्होंने बताया कि यौन उत्पीड़न के मामले कॉलेज, स्कूल समेत ऑफिस इसमें भी आते हैं जहां पर कई कर्मचारी काम करते हैं इस दौरान कई बार सीनियर पोस्ट पर बैठे कर्मचारी जूनियर कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं और ऐसा नहीं करने पर वह उन्हें नौकरी से निकालने की भी धमकी देते हैं

पीड़ित की की जाती है काउंसलिंग
हमने अपराजिता से जब यह पूछा कि कई बार जो पीड़ित होता है इस मामले पर खुलकर नहीं बोल पाता तो उसके लिए किस तरीके से उसकी मदद की जाती है जिस पर उनका कहना था कि इसके लिए मनोचिकित्सक और वकील के द्वारा बात की जाती है उसे समझाया जाता है उसकी काउंसलिंग की जाती है.

अधिकतर लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में नहीं होती जानकारी

अपराजिता का कहना था कि कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके साथ ही और उत्पीड़न हुआ है वह समझ ही नहीं पाते कि आखिर किस ने उनके साथ किस तरीके की हरकत की है चाहे वह किसी भी उम्र का व्यक्ति हो महिला हो जिसके लिए उन्हें समझाने की और उनके अधिकारों से अवगत कराने की आवश्यकता होती है

non-teaching स्टाफ को दी गई जानकारी
क्योंकि अधिकतर मामले कॉलेजों में स्कूलों में देखने को मिलते हैं इसलिए यह सेमिनार दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में लगाया गया था जिसका मकसद कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ को इस विषय से अवगत कराना था क्योंकि छात्र जब कॉलेज में होते हैं तो वो टीचर समेत कॉलेज के अन्य स्टाफ के साथ भी परिचित होते हैं कॉलेज में दाखिला प्रक्रिया समिति होती है कॉलेज के सफाई कर्मचारी होते हैं गार्ड्स होते हैं वह भी छात्रों के साथ परिचित होते हैं और कई बार इस तरीके की घटनाओं को उनके द्वारा अंजाम दिया जाता है इसलिए सेमिनार का मकसद उन सभी कर्मचारियों और स्टाफ को इस विषय से अवगत कराना था


Conclusion:इस पर कॉलेज की शिकायत समिति की सदस्य प्रीति धरमारा ने बताया की अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में दाखिले के लिए 18 से 21 साल तक के छात्र दाखिले के लिए आते हैं जो स्कूल से निकले होते हैं और उन्हें इस विषय पर खुलकर जानकारी नहीं होती है और इस उम्र में उन्हें हर चीज को एक्सपेरिमेंट करने की चाह होती है जिसको लेकर वह कई बार गलत चीज कर बैठते हैं या उनके साथ गलत चीजें हो जाती हैं जिसके लिए नए छात्रों को इस चीज से अवगत कराना जरूरी है इसके अलावा उनका कहना था की जब कभी इस तरीके के मामले यदि सामने आते हैं तो कॉलेज प्रशासन किए एक से छात्रों की पूरी मदद की जाती है और इसके लिए यूजीसी गाइडलाइन के तहत अपराधी को सजा दी दिलाई जाती है इस बीच पीड़ित की जानकारी गोपनीय रहे जिससे कि वह कॉलेज में खुलकर पढ़ सके इसका भी ध्यान रखा जाता है
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