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इमारत खस्ताहाल, फिर भी चल रहा सरकारी अस्पताल

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Published : Oct 14, 2021, 7:21 PM IST

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का अस्पताल (RBTB hospital) जर्जर हो चुका है. दीवारों में दरारे हैं और प्लास्टर लगातार गिर रहा है. इसके बाद भी इसी मरणासन्न बिल्डिंग (dilapidated building) में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इसके बाद भी प्रशासन बेपरवाह है और मरीजों की जान खतरे में है.

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम का जर्जर अस्पताल

नई दिल्ली : अस्पताल लोगों की जान बचाने के लिये होता है, लेकिन राजधानी का एक अस्पताल लोगों की जान के लिये खतरा बना हुआ है. प्रशासन की लापरवाही की वजह से दिल्ली का राजन बाबू टीबी अस्पताल (RBTB hospital) जर्जर हो चुका है. दीवारों में दरारे हैं और प्लास्टर लगातार गिर रहा है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है और अस्पताल में भर्ती लोगों की जान जा सकती है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

दिल्ली के जीबीटी नगर कैंप में स्थित राजन बाबू टीबी अस्पताल नगर निगम के बड़े अस्पतालों में शुमार है, लेकिन निगम की लापरवाही के चलते यह बिल्डिंग मरणासन्न अवस्था में है. हैरानी की बात ये है कि इसके बाद भी इसी जर्जर बिल्डिंग (dilapidated building) में मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी यहीं बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का जर्जर अस्पताल

हमें कई मरीजों के तीमारदार ऐसे मिले, जो यहां पर अपने जानकारों का इलाज कराने के लिए आए थे, लेकिन इस बिल्डिंग की हालत को देखकर वह यहां से वापस जा रहे हैं. उनका कहना है कि इस बिल्डिंग को देखकर लगता है कि बीमारी से तो नुकसान बाद में होगा, लेकिन इस बिल्डिंग से किसी भी क्षण बड़ा नुकसान हो सकता है. इसलिए वह कहीं और अपने मरीज का इलाज कराएंगे.

9 महीने में पूरा होने वाला है 100 करोड़ टीके का टारगेट , बाकी है दूसरे डोज का चैलेंज.

नगर निगम की लापरवाही की अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि किसी भी जगह पर जर्जर बिल्डिंग को नोटिस देना और उसे खाली कराने के साथ ही समय से जमींदोज कराने की जिम्मेदारी भी नगर निगम की है, लेकिन अपनी जिम्मेदारी निभाना तो दूर अपने ही विभाग की जर्जर बिल्डिंग के अंदर लंबे समय से अस्पताल को चलाया जा रहा है और लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है.

वहीं इस मामले में आप पार्षद अजय शर्मा का कहना है कि निगम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है और लापरवाही की सारी हदें पार की जा रही है. अगर कभी कोई बड़ा हादसा हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. नगर निगम के पास खुद के लिये पैसे नहीं हैं. ऐसे में यदि कोई घायल होता है तो उसके मुआवजे की तो बात बहुत दूर की है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार क्यों नहीं नगर निगम समय रहते इस बिल्डिंग के अंदर एडमिट मरीज काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को यहां से हटाती है, जिससे उन लोगों की जिंदगी को किसी अनहोनी से बचाया जा सके.

नई दिल्ली : अस्पताल लोगों की जान बचाने के लिये होता है, लेकिन राजधानी का एक अस्पताल लोगों की जान के लिये खतरा बना हुआ है. प्रशासन की लापरवाही की वजह से दिल्ली का राजन बाबू टीबी अस्पताल (RBTB hospital) जर्जर हो चुका है. दीवारों में दरारे हैं और प्लास्टर लगातार गिर रहा है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है और अस्पताल में भर्ती लोगों की जान जा सकती है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

दिल्ली के जीबीटी नगर कैंप में स्थित राजन बाबू टीबी अस्पताल नगर निगम के बड़े अस्पतालों में शुमार है, लेकिन निगम की लापरवाही के चलते यह बिल्डिंग मरणासन्न अवस्था में है. हैरानी की बात ये है कि इसके बाद भी इसी जर्जर बिल्डिंग (dilapidated building) में मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी यहीं बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का जर्जर अस्पताल

हमें कई मरीजों के तीमारदार ऐसे मिले, जो यहां पर अपने जानकारों का इलाज कराने के लिए आए थे, लेकिन इस बिल्डिंग की हालत को देखकर वह यहां से वापस जा रहे हैं. उनका कहना है कि इस बिल्डिंग को देखकर लगता है कि बीमारी से तो नुकसान बाद में होगा, लेकिन इस बिल्डिंग से किसी भी क्षण बड़ा नुकसान हो सकता है. इसलिए वह कहीं और अपने मरीज का इलाज कराएंगे.

9 महीने में पूरा होने वाला है 100 करोड़ टीके का टारगेट , बाकी है दूसरे डोज का चैलेंज.

नगर निगम की लापरवाही की अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि किसी भी जगह पर जर्जर बिल्डिंग को नोटिस देना और उसे खाली कराने के साथ ही समय से जमींदोज कराने की जिम्मेदारी भी नगर निगम की है, लेकिन अपनी जिम्मेदारी निभाना तो दूर अपने ही विभाग की जर्जर बिल्डिंग के अंदर लंबे समय से अस्पताल को चलाया जा रहा है और लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है.

वहीं इस मामले में आप पार्षद अजय शर्मा का कहना है कि निगम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है और लापरवाही की सारी हदें पार की जा रही है. अगर कभी कोई बड़ा हादसा हुआ तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. नगर निगम के पास खुद के लिये पैसे नहीं हैं. ऐसे में यदि कोई घायल होता है तो उसके मुआवजे की तो बात बहुत दूर की है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार क्यों नहीं नगर निगम समय रहते इस बिल्डिंग के अंदर एडमिट मरीज काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को यहां से हटाती है, जिससे उन लोगों की जिंदगी को किसी अनहोनी से बचाया जा सके.

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