नई दिल्ली: कोविड महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन या कर्फ्यू के कारण देशभर में व्यापारिक गतिविधियां लगभग पूरी तरह से ठप्प हो गई हैं. जिसके चलते गैर कॉर्पोरेट सेक्टर बेहद बदतर स्थिति से गुजर रहा है. पिछले 40 दिनों में घरेलू व्यापार को लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ है. जिसको लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिखा है. जिसमें देश भर के व्यापारियों को तत्काल वित्तीय राहत देने के साथ ही जीएसटी और आयकर के तहत विभिन्न वैधानिक देय तारीखों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया है.
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केंद्र सरकार की सराहना
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कोविड महामारी के खिलाफ राज्यों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे देश के सभी राज्य कोविड का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकेंगे. इसके अलावा कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा हाल ही में जीएसटी एवं आयकर की कुछ तारीखों को आगे बढ़ाने की भी सराहना की है.
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'पूंजी खोने को मजबूर व्यापारी'
उन्होंने कहा कि देश में लॉकडाउन के चलते बाजार पूरी तरह से बंद हैं. जिसके कारण उनकी आमदनी बंद हो गई है. जबकि सभी प्रकार के व्यापारिक और पारिवारिक खर्चे बने हुए हैं. जिसमें कर्मचारियों को वेतन, दुकानों और गोदामों के किराए, ईएमआई, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को भुगतान, व्यापारियों द्वारा व्यापार के लिए लिए गए ऋण, गृह ऋण और ब्याज देयता सहित विभिन्न खर्चों के लिए अपनी पूंजी खोने के लिए मजबूर कर दिया है. जो उनके व्यवसाय के भविष्य के लिए बहुत विनाशकारी है.
'31 अगस्त तक बढ़ाई जाए कर भुगतान की तिथि'
कैट ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि जीएसटी और आयकर के तहत सभी वैधानिक तिथियां, जिनके द्वारा या तो कर का भुगतान किया जाना है या रिटर्न दाखिल करना है. इन सभी तिथियों को 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ाया जाए. जीएसटी के तहत फॉर्म जीएसटीआर -3 बी के स्थान पर चालान को कर भुगतान का दस्तावेज माना जाए. इससे करदाता को कर का जल्द भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और सरकार को भी समय पर कर मिलेगा.
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'दो अधिसूचनाओं से व्यापारियों का संवैधानिक अधिकार प्रभावित'
उन्होंने कहा की केंद्र सरकार द्वारा 1 जनवरी ,2021 को जारी अधिसूचना संख्या 01/2021 और 22 दिसंबर,2020 को जारी अधिसूचना संख्या 94/2020 के माध्यम से प्रक्रियाओं में लाये गए परिवर्तन को स्थगित किया जाए और इसी बीच सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बात कर तय किया जाए. इन दो अधिसूचनाओं की वजह से व्यापारियों का संवैधानिक अधिकार प्रभावित हो रहा है. किसी भी व्यापारी बिना कोई सुनवाई के किसी भी कारण से अपने रिटर्न दाखिल करने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है और न ही उसे आईटीसी से वंचित किया जा सकता है तथा उसका जीएसटी नंबर भी निलंबित नहीं किया जा सकता है.