नई दिल्ली: दिल्ली का बुराड़ी मामला, जो एक अबूझ पहेली बन गया. भले ही दिल्ली पुलिस ने इस केस की फाइल बंद कर दी हो, लेकिन जिन लोगों ने इस कांड के बारे में सुना है, वो इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि ये बस एक हादसा था. उन लोगों के दिमाग में सिर्फ और सिर्फ एक ही सवाल गूंजता है कि एक ही घर में 11 लोगों की मौत कैसे हो सकती है ?
कोई कितना भी अंधविश्वासी क्यों न हो जाए, लेकिन अपने भरे-पूरे परिवार की जान कैसे ले सकता है ? अच्छा खासा बिजनेस चल रहा था. दो भाइयों के पास सिर्फ एक ही दुकान थी. अब एक से तीन दुकानें हो चुकी थीं. यानी एक बात तो साफ थी कि आर्थिक वजह से तो इस परिवार ने मौत को गले नहीं लगाया. परिवार में मां, बहन, पत्नी, बच्चे सब कोई तो था फिर किस बात की कमी थी. भांजी की सगाई भी बीते महीने ही हुई थी. फिर किस बात का मानसिक दवाब ?
ऐसे न जानें कितने सवाल यहां रहने वाले लोगों के जेहन में हैं. इस हादसे की वजह से इलाके के लोग इस कदर भय के साये में आ गए थे कि इस बिल्डिंग को भूतिया इमारत तक घोषित कर दिया था.
21 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कोर्ट में इस केस की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. दरअसल क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच में किसी को दोषी नहीं माना है. पुलिस ने रिपोर्ट में इस मामले को सिर्फ एक हादसा बताया. अब कोर्ट पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर नवंबर में सुनवाई करेगी.
पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में किसी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले हैं और यह मौतें किसी सुसाइड पैक्ट का नतीजा हैं. बुराड़ी कांड दिल्ली पुलिस के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में से एक साबित हुआ क्योंकि यह एक ऐसा केस रहा जिसमें किसी बात का लॉजिक समझ नहीं आ रहा था. यही नहीं, इसको काला जादू से लेकर टोने-टोटके तक से जोड़ा गया था.
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दरअसल, पुलिस को जांच के दौरान घर के अंदर से डायरी मिली थी, जिसमें ललित ने काफी कुछ लिखा हुआ था. इसी डायरी के आधार पर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. जब पन्ने पलटे गए तो पूरे मामले के पेच भी खुलने लगे और यह साफ हो गया कि 11 मौतों में किसी की साजिश या फिर आपराधिक षड्यंत्र नहीं, बल्कि यह एक हादसा है.
इस घटना को अंजाम देने के लिए पूरी योजना तैयार की गई थी, जिसके पीछे सिर्फ अंधविश्वास छिपा हुआ था. इस डायरी से यह भी खुलासा हुआ कि ये लोग काफी समय से इसकी योजना बना रहे थे. इसके अलावा इस डायरी के जरिए पता चला कि पूरा परिवार फांसी पर फंदे पर लटकने की प्रैक्टिस भी करता था और उसके पहले हवन भी किया जाता था. हालांकि, साइकोलॉजिकल अटॉप्सी से खुलासा हुआ कि इन 11 लोगों ने मौत के इरादे से ऐसा नहीं किया था बल्कि अनुष्ठान पूरा होने पर सामान्य जिंदगी में लौटने की उम्मीद जताई थी.
वहीं, डायरी में लिखे नोट्स से लगता है कि ललित को इस बात का पूरा यकीन था कि 2007 में गुजर चुके उसके पिता भोपाल सिंह उससे बात कर रहे थे और कुछ अनुष्ठान करने को कह रहे थे जिससे पूरे परिवार को फायदा होगा.
एक जुलाई, 2018 को दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संत नगर में भाटिया परिवार के 11 सदस्य घर में मृत पाए गए थे. परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके मिले, जबकि परिवार की मुखिया 77 वर्षीय नारायण देवी का शव दूसरे कमरे में फर्श पर पड़ा मिला था.
मृतकों में उनकी विधवा बेटी प्रतिभा (57), उनके दो पुत्र भवनेश (50) और ललित भाटिया (45) के साथ ही दोनों की पत्नी सविता (48) और टीना (42), उनके बच्चे मीनू (23), निधि (25), ध्रुव (15) और शिवम (15) भी शामिल थे. मृतकों में प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33) भी शामिल है, जिसकी कुछ दिन पहले ही सगाई हुई थी.