नई दिल्ली: रोहिणी कोर्ट ने छत्रसाल स्टेडियम केस में गिरफ्तार ओलंपियन सुशील कुमार और साथी अजय को छह दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. ड्यूटी मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ने दोनों को छह दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया.
क्राइम ब्रांच को सौंपी जांच
कोर्ट की सुनवाई के बाद यह केस क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है. मॉडल टाउन पुलिस सभी दस्तावेज सहित सुशील पहलवान और उसके साथी अजय को क्राइम ब्रांच के हवाले करेगी. जो आगे की छानबीन कर इस मामले में सच्चाई सामने लाएंगे.
आज कोर्ट में क्या हुआ
सुशील कुमार और अजय को आज ड्यूटी मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट फिजिकल रूप से पेश किया गया. पेश करने के बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आधे घंटे कोर्ट में ही सुशील कुमार से पूछताछ की इजाजत दी. दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि 4 और 5 मई की दरम्यानी रात में ये घटना घटी. 5 मई की सुबह एफआईआर दर्ज किया गया.
वसूली के लिए बदमाशों को बुलाया था
अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में एक व्यक्ति की मौत हुई है और चार घायल हुए हैं. सागर नामक जिस पहलवान की मौत हुई है, वो राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था. उन्होंने कहा कि सोनू को छोड़कर सभी पहलवान अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे. सोनू सुशील कुमार की पत्नी के फ्लैट में रहते थे. सोनू पर सुशील कुमार का बकाया था. उसे वसूलने के लिए सुशील कुमार ने असोदा गैंग के चार-पांच बदमाशों को हायर किया. तीन बदमाशों को शालीमार बाग से लाया गया था और दो बदमाश मॉडल टाउन से लाया गया था. उन्हें गिऱफ्तार करने के लिए सुशील कुमार को दूसरे स्थानों पर ले जाना है. उन बदमाशों के ठिकानों का पता करना है, जिन्हें उसने हायर किया था.
12 दिन की हिरासत की मांग की थी
श्रीवास्तव ने कहा कि सुशील कुमार छत्रसाल स्टेडियम के ओएसडी के पद पर कार्यरत था. सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर दिया गया. उसे रिकवर करना है. पीड़ितों की जानवरों की तरह पिटाई की गई. आरोपियों ने जो कपड़े पहन रखे थे, वो बरामद करने हैं. हथियार भी बरामद करने हैं. कोर्ट ने इनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था. श्रीवास्तव ने कहा कि सुशील कुमार की अग्रिम जमानत याचिका सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कई स्थानों पर सुशील कुमार को लेकर जाना है. कोरोना के संकट में सब कुछ पता करने में समय लगेगा, इसलिए 12 दिनों की हिरासत की जरूरत है.
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पुलिस हिरासत का विरोध
सुशील कुमार की ओर से वकील विक्रम सिंह जाखड़ ने कहा कि एफआईआर में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि सुशील औऱ सोनू में बकाया का विवाद था. जो दस्तावेज और मोबाइल बरामद करना है, वो एक दिन का काम है. पुलिस पांच गाड़ियों को रिकवर कर चुकी है. जब सब कुछ रिकवर किया जा चुका है तो 12 दिनों की हिरासत की क्या जरुरत है. सुशील कुमार के पास जो हथियार हैं, वो दिल्ली सरकार ने दे रखे हैं. सरकार कहेगी तो दो मिनट में हथियार सरेंडर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि एफआईआर में कहा गया है कि डंडा लगने से मौत हुई. तो क्या हथियार के रूप में डंडा को रिकवर करना है.
अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि साक्ष्य देने का भार पुलिस पर है. वो भी 15 दिनों तक ही हम मांग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी आपने सरेंडर नहीं किया, पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये बताता है कि आरोपी किस तरह पुलिस को सहयोग कर रहा है.