नई दिल्ली: मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को हार्ट अटैक पड़ने से निधन हो गया. राहत इंदौरी के दुनिया को रुखसत कहने पर बहुत से कवियों, संगीतकारों, नेताओं और लेखकों ने उनकी शायरी के जरिए उन्हें याद किया. इसी कड़ी में उर्दू शायर जावेद मुशीरी ने उनके साथ अपने संबंध को लेकर दिलचस्प बातें ईटीवी भारत के साथ साझा की.
राहत साहब का जाना हैं उर्दू का नुकसान
जावेद मुशीरी का कहना है कि राहत इंदौरी का निधन उर्दू का बड़ा नुकसान है. 1983-84 में जब हमने शायरी शुरू की तो मुशायरों मे जाया करते थे, उन्हें सुना करते थे. जावेद मुशीरी ने कहा कि कॉलेज के जमाने में मेरे उस्ताद मुशीरी साहब ने मेरी राहत इंदौरी साहब से मुलाकात कराई. जब वो दिल्ली आए हुए थे. उस समय उनकी किताब पांचवां दरवेश पब्लिक प्रेस में छप रही थी.
छोटों से मोहबब्त से आते थे पेश
उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी बहुत बेहतरीन इंसान थे. वो अपने छोटों से बड़ी मोहब्बत से पेश आते थे. एक बार वो दिल्ली आए हुए थे तो मैंने उन्हें फोन किया उन्होने मुझे होटल में बुला लिया. वो अक्सर तुर्कमान गेट के पास वाइट पैलेस होटल के 202 नंबर कमरे में ठहरते थे.
खुशमिजाज इंसान थे राहत
जावेद मुशीरी ने यादों को संजोते हुए कहा कि पैलेस होटल में मैं अपने साथ उनके एक चाहने वाले मसूद हाशमी को ले गया. वो मुझे जावेद भाई कह कर पुकारते रहे. बाद में मसूद हाशमी ने मुझसे पूछा कि वो मुझे जावेद भाई क्यों पुकार रहे थे. जावेद मुशीरी ने कहा कि बड़े इंसान होने की निशानी यही होती है कि वो अपने छोटों को भी इज़्ज़त देते थे. राहत इंदौरी कभी आगे नहीं बैठते थे. उनके साथ कई मुलाक़ातें हुई वो बहुत ही खुशमिजाज इंसान थे. उनके साथ बैठ कर मज़ा आता था.