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'नींद से समझौता मंजूर लेकिन मांगों से नहीं', देखिए कैसे गुजर रही किसानों की सर्द रातें - गाजीपुर बॉर्डर किसान

गाजीपुर बॉर्डर के यूपी गेट पर किसानों के आंदोलन को एक महीने से ज्यादा हो गया है. इस एक महीने के दौरान दिल्ली के तापमान में लगातार गिरावट आती रही, लेकिन आंदोलनरत किसानों के हौसले कम नहीं हुए. ठिठुरती सर्द रातों में किसानों के बुलंद हौसले की कहानी से आपको रूबरू करा रहा है ईटीवी भारत.

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कुछ ऐसे गुजर रहीं किसानों की सर्द रातें
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Published : Dec 29, 2020, 4:15 PM IST

Updated : Dec 29, 2020, 9:01 PM IST

नई दिल्ली: सहारनपुर के 72 वर्षीय बुजुर्ग शिवयोग सिंह बीते एक महीने से गाजीपुर यूपी गेट के पास हाइवे पर ट्रॉली में रात गुजार रहे हैं. 28 नवंबर को किसानों का जो जत्था यूपी से गाजीपुर पहुंचा उनमें शिवयोग सिंह भी थे.

देखिए कैसे गुजर रही किसानों की सर्द रातें

हालांकि यहां पर दिल्ली के लगातार गिरते तापमान से निबटने की पूरी तैयारी है, लेकिन बुजुर्ग हड्डियों के लिए वो शायद प्रयाप्त नहीं और यही कारण है कि शिवयोग सिंह लगातार नींद से समझौता कर रहे हैं.

समझौते के मूड में नहीं किसान

लेकिन नींद से इस समझौते के बावजूद, वे अपनी मांगों से समझौते के बिल्कुल मूड में नहीं हैं. आधी रात का समय होगा, जब शिवयोग सिंह ट्रॉली में लेटे हुए सड़क पर जाती गाडियों को निहार रहे थे.

ईटीवी भारत से बातचीत में बोले, नींद तो नहीं आती, कैसे भी रात काट लेते हैं, लेकिन यहां से जीतकर ही जाएंगे. जीतकर लौटने का यह जज्बा लखीमपुर खीरी से आए सुरेंद्रपाल सिंह का भी है.

लगाए गए हैं कैम्पिंग टेंट्स

सुरेन्द्र पाल सिंह बताते हैं कि ज्यादा ठंडी में नींद नहीं आती है और यहां घर जैसी सुविधा भी तो नहीं है, लेकिन हम डटे रहेंगे, जब तक मांगें नहीं मानी जातीं. शाहजहांपुर से आए किसान महताब सिंह ने बताया कि परिवार वालों ने हमें कहकर भेजा है कि जब तक मांगें पूरी न हों, लौटकर मत आना.

यहां सैकड़ों की संख्या में कैम्पिंग टेंट्स लगाए गए हैं, उन्हीं में से एक में महताब सिंह हमें सोते हए मिले.

लम्बा चलेगा संघर्ष

गाजीपुर यूपी गेट पर आंदोलनरत इन किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत. ईटीवी भारत से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि यह लम्बा संघर्ष है, सरकार मीठी-मीठी बातें कर रही है, लेकिन मांगें नहीं मान रही, उन्होंने कहा कि यह तब तक जारी रहेगा, जब तक मांगें नहीं मानी जाती.

किसानों की मांगों को लेकर हापुड़ से आए किसान अमरीक सिंह ने कहा कि हम एमएसपी का कानून ही तो मांग रहे हैं.

'क्यों नहीं बना देते कानून'

अमरीक सिंह ने कहा कि सरकार भी कह रही है कि एमएसपी जारी रहेगी, तो फिर उसे कानून में क्यों नहीं बदल देती. आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता 30 दिसंबर को होनी है. अब तक बेनतीजा रही बातचीत से किसान भी परेशान दिखने लगे हैं.

अयोध्या से आए दशरथ सिंह ने अपने अंदाज में इस गुस्से का इजहार किया और सवाल किया कि कब तक ये तारीख पर तारीख चलती रहेगी.

नई दिल्ली: सहारनपुर के 72 वर्षीय बुजुर्ग शिवयोग सिंह बीते एक महीने से गाजीपुर यूपी गेट के पास हाइवे पर ट्रॉली में रात गुजार रहे हैं. 28 नवंबर को किसानों का जो जत्था यूपी से गाजीपुर पहुंचा उनमें शिवयोग सिंह भी थे.

देखिए कैसे गुजर रही किसानों की सर्द रातें

हालांकि यहां पर दिल्ली के लगातार गिरते तापमान से निबटने की पूरी तैयारी है, लेकिन बुजुर्ग हड्डियों के लिए वो शायद प्रयाप्त नहीं और यही कारण है कि शिवयोग सिंह लगातार नींद से समझौता कर रहे हैं.

समझौते के मूड में नहीं किसान

लेकिन नींद से इस समझौते के बावजूद, वे अपनी मांगों से समझौते के बिल्कुल मूड में नहीं हैं. आधी रात का समय होगा, जब शिवयोग सिंह ट्रॉली में लेटे हुए सड़क पर जाती गाडियों को निहार रहे थे.

ईटीवी भारत से बातचीत में बोले, नींद तो नहीं आती, कैसे भी रात काट लेते हैं, लेकिन यहां से जीतकर ही जाएंगे. जीतकर लौटने का यह जज्बा लखीमपुर खीरी से आए सुरेंद्रपाल सिंह का भी है.

लगाए गए हैं कैम्पिंग टेंट्स

सुरेन्द्र पाल सिंह बताते हैं कि ज्यादा ठंडी में नींद नहीं आती है और यहां घर जैसी सुविधा भी तो नहीं है, लेकिन हम डटे रहेंगे, जब तक मांगें नहीं मानी जातीं. शाहजहांपुर से आए किसान महताब सिंह ने बताया कि परिवार वालों ने हमें कहकर भेजा है कि जब तक मांगें पूरी न हों, लौटकर मत आना.

यहां सैकड़ों की संख्या में कैम्पिंग टेंट्स लगाए गए हैं, उन्हीं में से एक में महताब सिंह हमें सोते हए मिले.

लम्बा चलेगा संघर्ष

गाजीपुर यूपी गेट पर आंदोलनरत इन किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत. ईटीवी भारत से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि यह लम्बा संघर्ष है, सरकार मीठी-मीठी बातें कर रही है, लेकिन मांगें नहीं मान रही, उन्होंने कहा कि यह तब तक जारी रहेगा, जब तक मांगें नहीं मानी जाती.

किसानों की मांगों को लेकर हापुड़ से आए किसान अमरीक सिंह ने कहा कि हम एमएसपी का कानून ही तो मांग रहे हैं.

'क्यों नहीं बना देते कानून'

अमरीक सिंह ने कहा कि सरकार भी कह रही है कि एमएसपी जारी रहेगी, तो फिर उसे कानून में क्यों नहीं बदल देती. आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता 30 दिसंबर को होनी है. अब तक बेनतीजा रही बातचीत से किसान भी परेशान दिखने लगे हैं.

अयोध्या से आए दशरथ सिंह ने अपने अंदाज में इस गुस्से का इजहार किया और सवाल किया कि कब तक ये तारीख पर तारीख चलती रहेगी.

Last Updated : Dec 29, 2020, 9:01 PM IST
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