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DU के परीक्षा परिणामों पर उठे सवाल, छात्रों ने लिखा VC को खत

दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिसंबर महीने में आयोजित हुई परीक्षा के परिणाम जारी करना शुरू कर दिए हैं. इन परिणामों के लेकर सभी छात्रों ने असंतुष्टि जताई है. इसको लेकर फाइनल ईयर के छात्रों ने रिवैल्युएशन की मांग करते हुए डीयू के कुलपति और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को पत्र लिखा है.

students of du are not satisfy by their marks
परीक्षा परिणामों पर उठे सवाल
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Published : May 15, 2020, 10:47 AM IST

नई दिल्ली: दिसंबर के महीने में आयोजित हुई परीक्षा के दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने परिणाम जारी करना शुरू कर दिए हैं. वहीं इन परीक्षा परिणामों को लेकर छात्रों ने असंतुष्टि जताई है. छात्रों का कहना है कि उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन में जरूर कोई खामी रही है. जिसकी वजह से कई छात्रों को एब्सेंट मार्क कर दिया गया है, तो कई छात्रों को फेल कर दिया गया है. सबसे चिंताजनक नतीजे इंग्लिश ऑनर्स के आए हैं, जिससे असंतुष्ट फाइनल ईयर के छात्रों ने रिवैल्युएशन की मांग को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को पत्र लिखा है.

परीक्षा परिणामों से असंतुष्ट डीयू के छात्र
पत्र लिखकर पुनर्मूल्यांकन की मांग

वहीं परीक्षा परिणाम में छात्रों को कम नंबर दिए जाने की बात को लेकर कालिंदी कॉलेज के इंग्लिश डिपार्टमेंट के प्रेसिडेंट मृणाल चावला ने कहा कि यह सिर्फ एक या दो छात्रों के साथ नहीं हुआ है, जिनके नंबर कम आए हो. बल्कि व्यापक तौर पर कई कॉलेजों के छात्रों ने शिकायत की है कि पिछले 4 सेमेस्टर में जो उनके नंबर रहे उसके हिसाब से फाइनल सेमेस्टर में मिले मार्क्स बहुत ही कम है. मृणाल ने कहा कि अंकों में इतना बड़ा अंतर होना छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इसको लेकर सभी कॉलेजों के छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को पत्र लिखकर परीक्षा परिणाम के रिवैल्युएशन की गुहार लगाई है.

अंग्रेजी विषय का रिजल्ट सबसे खराब

मृणाल ने बताया कि अंग्रेजी विषय का रिजल्ट सबसे ज्यादा खराब आया है. जिस हिसाब से बाकी 4 सेमेस्टर में उनके विषय के शिक्षकों ने नंबर दिए थे और जिस तरह उनकी विषय की तैयारी थी, उसके मुकाबले जो परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं. वह संतोषजनक नहीं है. उनका कहना है कि परीक्षा परिणाम सिर्फ छात्रों का साल ही नहीं बल्कि उनका आने वाला भविष्य भी तय करता है. ऐसे में जरूरी है कि किसी गलती के चलते उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो. इसलिए डीयू प्रशासन से मांग की गई है कि व्यापक तौर पर उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाया जाए.

हड़बड़ाहट में किया गया मूल्यांकन

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि उनके पास भी छात्रों ने परीक्षा परिणाम में कम अंक दिए जाने की शिकायत दर्ज की है. वहीं प्रो. राजेश झा का कहना है कि परीक्षा के दौरान शिक्षक हड़ताल पर चले गए थे, ऐसे में शिक्षकों की कमी के चलते डीयू प्रशासन ने हड़बड़ाहट में शोधकर्ताओं और अन्य कार्यकर्ताओं से परीक्षा की कॉपी की जांच कराई है. इस कारण संभव है कि कॉपी चेकिंग में गड़बड़ी हुई हो.

छात्रों से ली जा रही अंडरटेकिंग

वहीं छात्रों द्वारा पुनर्मूल्यांकन की मांग को संज्ञान में लेते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिकायत करने वाले सभी छात्रों की पूरी जानकारी मांगी गई है, जिसमें छात्रों को अपना एडमिट कार्ड देना होगा और अगर एडमिट कार्ड नहीं है तो उन्हें एक पेपर पर अपने एग्जाम विषय का नाम, उसका कोड, कॉलेज का नाम, अपना नाम, रोल नंबर हस्ताक्षर सहित देना होगा. इसके अलावा छात्रों से अंडरटेकिंग भी ली जा रही है कि उनके जरिए दी गई सभी जानकारियां सही है और अगर ये गलत पाई जाती हैं दो विश्वविद्यालय की कोई गलती नहीं होगी.

नई दिल्ली: दिसंबर के महीने में आयोजित हुई परीक्षा के दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने परिणाम जारी करना शुरू कर दिए हैं. वहीं इन परीक्षा परिणामों को लेकर छात्रों ने असंतुष्टि जताई है. छात्रों का कहना है कि उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन में जरूर कोई खामी रही है. जिसकी वजह से कई छात्रों को एब्सेंट मार्क कर दिया गया है, तो कई छात्रों को फेल कर दिया गया है. सबसे चिंताजनक नतीजे इंग्लिश ऑनर्स के आए हैं, जिससे असंतुष्ट फाइनल ईयर के छात्रों ने रिवैल्युएशन की मांग को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को पत्र लिखा है.

परीक्षा परिणामों से असंतुष्ट डीयू के छात्र
पत्र लिखकर पुनर्मूल्यांकन की मांग

वहीं परीक्षा परिणाम में छात्रों को कम नंबर दिए जाने की बात को लेकर कालिंदी कॉलेज के इंग्लिश डिपार्टमेंट के प्रेसिडेंट मृणाल चावला ने कहा कि यह सिर्फ एक या दो छात्रों के साथ नहीं हुआ है, जिनके नंबर कम आए हो. बल्कि व्यापक तौर पर कई कॉलेजों के छात्रों ने शिकायत की है कि पिछले 4 सेमेस्टर में जो उनके नंबर रहे उसके हिसाब से फाइनल सेमेस्टर में मिले मार्क्स बहुत ही कम है. मृणाल ने कहा कि अंकों में इतना बड़ा अंतर होना छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इसको लेकर सभी कॉलेजों के छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को पत्र लिखकर परीक्षा परिणाम के रिवैल्युएशन की गुहार लगाई है.

अंग्रेजी विषय का रिजल्ट सबसे खराब

मृणाल ने बताया कि अंग्रेजी विषय का रिजल्ट सबसे ज्यादा खराब आया है. जिस हिसाब से बाकी 4 सेमेस्टर में उनके विषय के शिक्षकों ने नंबर दिए थे और जिस तरह उनकी विषय की तैयारी थी, उसके मुकाबले जो परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं. वह संतोषजनक नहीं है. उनका कहना है कि परीक्षा परिणाम सिर्फ छात्रों का साल ही नहीं बल्कि उनका आने वाला भविष्य भी तय करता है. ऐसे में जरूरी है कि किसी गलती के चलते उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो. इसलिए डीयू प्रशासन से मांग की गई है कि व्यापक तौर पर उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाया जाए.

हड़बड़ाहट में किया गया मूल्यांकन

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि उनके पास भी छात्रों ने परीक्षा परिणाम में कम अंक दिए जाने की शिकायत दर्ज की है. वहीं प्रो. राजेश झा का कहना है कि परीक्षा के दौरान शिक्षक हड़ताल पर चले गए थे, ऐसे में शिक्षकों की कमी के चलते डीयू प्रशासन ने हड़बड़ाहट में शोधकर्ताओं और अन्य कार्यकर्ताओं से परीक्षा की कॉपी की जांच कराई है. इस कारण संभव है कि कॉपी चेकिंग में गड़बड़ी हुई हो.

छात्रों से ली जा रही अंडरटेकिंग

वहीं छात्रों द्वारा पुनर्मूल्यांकन की मांग को संज्ञान में लेते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिकायत करने वाले सभी छात्रों की पूरी जानकारी मांगी गई है, जिसमें छात्रों को अपना एडमिट कार्ड देना होगा और अगर एडमिट कार्ड नहीं है तो उन्हें एक पेपर पर अपने एग्जाम विषय का नाम, उसका कोड, कॉलेज का नाम, अपना नाम, रोल नंबर हस्ताक्षर सहित देना होगा. इसके अलावा छात्रों से अंडरटेकिंग भी ली जा रही है कि उनके जरिए दी गई सभी जानकारियां सही है और अगर ये गलत पाई जाती हैं दो विश्वविद्यालय की कोई गलती नहीं होगी.

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