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जेएनयू: पोस्टर पर छिड़ा विवाद, प्रशासन और छात्रसंघ आमने-सामने

प्रशासन के आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू में लेफ्ट और राइट हर छात्र संगठन अपना पोस्टर लगाते हैं. इन पोस्टरों के जरिए छात्र संगठन छात्रों तक अपनी विचार धारा और संदेश पहुंचाते हैं. लेकिन मौजूदा जेएनयू प्रशासन को छात्रों के इन्हीं पोस्टरों से डर लग रहा है

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Published : Jul 23, 2019, 5:25 AM IST

Updated : Jul 23, 2019, 1:43 PM IST

जेएनयू में पोस्टर पर छिड़ा विवाद

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नए सत्र की शुरुआत हो गई है. सत्र के के शुरुआत होते ही जेएनयू में एक बार फिर प्रशासन और छात्र संघ आमने सामने आ गए हैं.


दरअसल जेएनयू प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई पोस्टर नहीं लगाया जा सकेगा. इसी आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ ने विरोध जताते हुए बड़ी संख्या में अलग-अलग पोस्टर बनाएं और इन पोस्टरों को बड़े स्तर पर दीवारों पर लगाने का ऐलान किया है.

जेएनयू में पोस्टर पर छिड़ा विवाद

छात्रों ने किया विरोध
पोस्टर बना रहे छात्र स्वाति ने बताया कि जेएनयू कैंपस की अपनी एक संस्कृति रही है. जिसके तहत सभी छात्र संगठन दीवारों पर पोस्टर के जरिए अपने विचार को व्यक्त करते आये हैं. लेकिन डिफेसमेंट एक्ट के नाम पर जेएनयू प्रशासन इन सभी पोस्टरों को हटा रही है जो कि गलत है.


अन्य छात्र दीपेंदर ने बताया कि जेएनयू की दीवारों पर लगा हर पोस्टर कुछ न कुछ संदेश देता था लेकिन यह सब प्रशासन को रास नहीं आ रहा है इसी के कारण इन पोस्टरों को हटाने का आदेश दे दिया है. साथ ही दीपेंदर ने कहा कि प्रशासन के फैसले के विरोध में बड़ी संख्या में छात्र सभी स्कूलों के दीवारों पर पोस्टर लगाएंगे.

तर्कसंगत नहीं है प्रशासन का फैसला
वहीं प्रशासन के इस आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू में लेफ्ट और राइट हर छात्र संगठन अपना पोस्टर लगाते हैं. इन पोस्टरों के जरिए छात्र संगठन छात्रों तक अपनी विचार धारा और संदेश पहुंचाते हैं. लेकिन मौजूदा जेएनयू प्रशासन को छात्रों के इन्हीं पोस्टरों से डर लग रहा है. इसी के चलते डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए इन पोस्टरों को हटाने की बात कही है.


उन्होंने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता है की यहां पढ़ने वाला छात्र प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाएं. इसी की वजह से वह पोस्टर हटाने की ही बात कर रहे हैं. वहीं सारिका ने कहा कि प्रशासन इन पोस्टरों को हटाने को लेकर जो तर्क दे रहा है कि पोस्टर से दीवारें खराब हो रही हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जेएनयू की दीवारों पर अंबेडकर, भगत सिंह और महात्मा फूले आदि जैसे महापुरुषों के पोस्टर लगे होने से दीवारें कैसे खराब हो सकती हैं.

'छात्र संघ की है नाकामी'
वहीं प्रशासन के द्वारा लिए गए इस फैसले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ललित पांडेय ने जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जेएनयू छात्र संघ की नाकामी को दर्शाता है कि जेएनयू प्रशासन कैंपस में से पोस्टर हटाने का फैसला ले लिया और छात्र संघ इस पर कुछ नहीं कर पा रहा है.


बता दें कि हर वर्ष यानि 5 मई को पोस्टर लगाने को लेकर दीवारों का अलॉटमेंट होता है. इस पर ललित पांडेय ने कहा कि छात्र संघ की गलत नीतियों के कारण दो साल से पोस्टर लगाने के लिए दीवारों का अलॉटमेंट नहीं हो पाया है.

क्या है आदेश
बता दें कि जेएनयू प्रशासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया है. जिसमें लिखा है कि 23 जुलाई को छात्र जेएनयू की दीवारों पर पोस्टर लगाने की योजना बना रहे हैं. इसी संबंध में प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया है इसमें कहा कि दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 2007 के तहत जेएनयू की दीवारों पर अगर कोई छात्र पोस्टर लगाते हुए पाया जाएगा तो उस छात्र पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नए सत्र की शुरुआत हो गई है. सत्र के के शुरुआत होते ही जेएनयू में एक बार फिर प्रशासन और छात्र संघ आमने सामने आ गए हैं.


दरअसल जेएनयू प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई पोस्टर नहीं लगाया जा सकेगा. इसी आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ ने विरोध जताते हुए बड़ी संख्या में अलग-अलग पोस्टर बनाएं और इन पोस्टरों को बड़े स्तर पर दीवारों पर लगाने का ऐलान किया है.

जेएनयू में पोस्टर पर छिड़ा विवाद

छात्रों ने किया विरोध
पोस्टर बना रहे छात्र स्वाति ने बताया कि जेएनयू कैंपस की अपनी एक संस्कृति रही है. जिसके तहत सभी छात्र संगठन दीवारों पर पोस्टर के जरिए अपने विचार को व्यक्त करते आये हैं. लेकिन डिफेसमेंट एक्ट के नाम पर जेएनयू प्रशासन इन सभी पोस्टरों को हटा रही है जो कि गलत है.


अन्य छात्र दीपेंदर ने बताया कि जेएनयू की दीवारों पर लगा हर पोस्टर कुछ न कुछ संदेश देता था लेकिन यह सब प्रशासन को रास नहीं आ रहा है इसी के कारण इन पोस्टरों को हटाने का आदेश दे दिया है. साथ ही दीपेंदर ने कहा कि प्रशासन के फैसले के विरोध में बड़ी संख्या में छात्र सभी स्कूलों के दीवारों पर पोस्टर लगाएंगे.

तर्कसंगत नहीं है प्रशासन का फैसला
वहीं प्रशासन के इस आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू में लेफ्ट और राइट हर छात्र संगठन अपना पोस्टर लगाते हैं. इन पोस्टरों के जरिए छात्र संगठन छात्रों तक अपनी विचार धारा और संदेश पहुंचाते हैं. लेकिन मौजूदा जेएनयू प्रशासन को छात्रों के इन्हीं पोस्टरों से डर लग रहा है. इसी के चलते डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए इन पोस्टरों को हटाने की बात कही है.


उन्होंने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता है की यहां पढ़ने वाला छात्र प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाएं. इसी की वजह से वह पोस्टर हटाने की ही बात कर रहे हैं. वहीं सारिका ने कहा कि प्रशासन इन पोस्टरों को हटाने को लेकर जो तर्क दे रहा है कि पोस्टर से दीवारें खराब हो रही हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जेएनयू की दीवारों पर अंबेडकर, भगत सिंह और महात्मा फूले आदि जैसे महापुरुषों के पोस्टर लगे होने से दीवारें कैसे खराब हो सकती हैं.

'छात्र संघ की है नाकामी'
वहीं प्रशासन के द्वारा लिए गए इस फैसले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ललित पांडेय ने जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जेएनयू छात्र संघ की नाकामी को दर्शाता है कि जेएनयू प्रशासन कैंपस में से पोस्टर हटाने का फैसला ले लिया और छात्र संघ इस पर कुछ नहीं कर पा रहा है.


बता दें कि हर वर्ष यानि 5 मई को पोस्टर लगाने को लेकर दीवारों का अलॉटमेंट होता है. इस पर ललित पांडेय ने कहा कि छात्र संघ की गलत नीतियों के कारण दो साल से पोस्टर लगाने के लिए दीवारों का अलॉटमेंट नहीं हो पाया है.

क्या है आदेश
बता दें कि जेएनयू प्रशासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया है. जिसमें लिखा है कि 23 जुलाई को छात्र जेएनयू की दीवारों पर पोस्टर लगाने की योजना बना रहे हैं. इसी संबंध में प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया है इसमें कहा कि दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 2007 के तहत जेएनयू की दीवारों पर अगर कोई छात्र पोस्टर लगाते हुए पाया जाएगा तो उस छात्र पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:नई दिल्ली। जेएनयू

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नए सत्र की शुरुआत हो गई है लेकिन नए सत्र की शुरुआत के साथ ही जेएनयू में एक बार फिर प्रशासन और छात्र संघ आमने सामने आ गए हैं. दरअसल जेएनयू प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक अब जेएनयू की दीवारों पर कोई पोस्टर नहीं लगाया जा सकेगा. इसी आदेश को लेकर जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ आमने - सामने आ गए हैं. इसी के विरोध में जेएनयू छात्र संघ ने सोमवार को बड़ी संख्या में अलग - अलग स्कूलों के बाहर पोस्टर बनाएं और अब इन पोस्टरों को मंगलवार को बड़े स्तर पर दीवारों पर लगाने का ऐलान किया है.


Body:वहीं पोस्टर बना रहे छात्र स्वाति ने बताया कि जेएनयू कैंपस की अपनी एक संस्कृति रही है. जिसके तहत सभी छात्र संगठन दीवारों पर पोस्टर के जरिए अपने विचार को व्यक्त करते आये हैं. लेकिन डिफेसमेंट एक्ट के नाम पर जेएनयू प्रशासन इन सभी पोस्टरों को हटा रही है जो कि गलत है. वहीं पोस्टर बना रहे एक अन्य छात्र दीपेंदर ने बताया कि जेएनयू की दीवारों पर लगा हर पोस्टर कुछ न कुछ संदेश देता था लेकिन यह सब प्रशासन को रास नहीं आ रहा है इसी के कारण इन पोस्टरों को हटाने का आदेश दे दिया है. साथ ही कहा कि प्रशासन के फैसले के विरोध में बड़ी संख्या में छात्र इन सभी दीवारों पर मंगलवार को पोस्टर लगाएंगे


वहीं प्रशासन के इस आदेश को लेकर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू में लेफ्ट और राइट हर छात्र संगठन अपना पोस्टर लगाते हैं. इन पोस्टरों के जरिए छात्र संगठन छात्रों तक अपनी विचार धारा और संदेश पहुंचाते हैं. लेकिन मौजूदा जेएनयू प्रशासन को छात्रों के इन्हीं पोस्टरों से डर लग रहा है. इसी के चलते डिफेसमेंट एक्ट का हवाला देते हुए इन पोस्टरों को हटाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि प्रशासन नहीं चाहता है की यहां पढ़ने वाला छात्र प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाएं. इसी की वजह से वह पोस्टर हटाने की ही बात कर रहे हैं. वहीं सारिका ने कहा कि प्रशासन इन पोस्टरों को हटाने को लेकर जो तर्क दे रहा है कि पोस्टर से दीवारें खराब हो रही हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जेएनयू की दीवारों पर अंबेडकर, भगत सिंह और महात्मा फूले आदि जैसे महापुरुषों के पोस्टर लगे होने से दीवारें कैसे खराब हो सकती हैं. वहीं प्रशासन के द्वारा लिए गए इस फैसले पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ललित पांडेय ने जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जेएनयू छात्र संघ की नाकामी को दर्शाता है कि जेएनयू प्रशासन केंपस में से पोस्टर हटाने का फैसला ले लिया और छात्र संघ इस पर कुछ नहीं कर पा रहा है. वहीं ललित ने कहा कि पिछले दो वर्षों से जेएनयू में पोस्टर लगाने के लिए दीवारों का एलॉटमेंट भी नहीं हुआ है. इसमें सबसे बड़ा दोष तो जेएनयू छात्र संघ का ही है कि प्रशासन ने कैंपस की दीवारों पर पोस्टर नहीं लगाने का आदेश जारी कर दिया और छात्र संघ कुछ नहीं कर पा रहा है.



Conclusion:बता दें कि हर वर्ष 5 मई को पोस्टर लगाने को लेकर दीवारों का अलॉटमेंट होता है. वहीं इस पर एबीवीपी के ललित पांडेय ने कहा कि छात्र संघ की गलत नीतियों के कारण दो साल से पोस्टर लगाने के लिए दीवारों का अलॉटमेंट नहीं हो पाया है. जिसपर छात्र संघ की उपाध्यक्ष सारिका चौधरी ने कहा कि इस बार पोस्टर लगाने को लेकर मीटिंग हुई थी. लेकिन मीटिंग से पहले ही पोस्टर नहीं लगाने को आदेश आ गया था. जिसपर एबीवीपी ने कहा कि मीटिंग जून में हुई थी मई में नहीं, मई में तो जेएनयू छात्रसंघ बेगूसराय में चुनाव प्रचार में लगी हुई थी.

बता दें कि जेएनयू प्रशासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया है. जिसमें लिखा है कि 23 जुलाई को छात्र जेएनयू की दीवारों पर पोस्टर लगाने की योजना बना रहे हैं. इसी संबंध में प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया है इसमें कहा कि दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 2007 के तहत जेएनयू की दीवारों पर अगर कोई छात्र पोस्टर लगाते हुए पाया जाएगा तो उस छात्र पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
Last Updated : Jul 23, 2019, 1:43 PM IST
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