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मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित होंगे स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट

दिल्ली में अगले दो सालों में कई मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किये जायेंगे. दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट को मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. इन पार्कों में औषधीय गुणों वाले पेड़-पौधे भी लगाए जाएंगे.

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Published : Dec 16, 2022, 4:21 PM IST

मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित होंगे स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: प्रदूषण की समस्याओं से जूझ रही राजधानी को अगले 2 सालों में कई मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क मिल जाएंगे. (Mini Biodiversity Park will be made in Delhi) दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट को मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके तहत हर सैंपल स्ट्रेस में कई पार्क बनाए जाएंगे. साथ ही ऐसे पौधे भी लगाए जाएंगे जिन पर आकर्षित होकर तितलियां आती है.

इन पार्कों में औषधीय गुणों वाले पेड़-पौधे भी लगाए जाएंगे. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वसंत कुंज के नेल्सन मंडेला रोड, सूरजमल विहार और वजीराबाद में बनाए जा रहे सैंपल स्ट्रेच में तितली पार्क बनाए जाएंगे. इसके बाद अरविंदो रोड, नेहरू नगर और चिराग दिल्ली सैंपल स्ट्रेच पर ये तितली पार्क विकसित किए जाएंगे. पीडब्ल्यूडी की इस पहल से राजधानी में हरियाली तो बढ़ेगी ही इसके साथ- साथ लोगों को अपने घर के आसपास पिकनिक स्पाट की सुविधा भी मिल जाएगी.

सबसे बड़े सैंपल स्ट्रेच में होंगे पांच तितली पार्क

रिंग रोड पर मोती बाग से लेकर मायापुरी के बीच राजधानी का सबसे बड़ा सैंपल स्ट्रेच बनाया जा रहा है. इसकी लंबाई करीब नौ किलोमीटर है. इसे मॉडल रोड के रूप में तैयार किया जा रहा है. इस पर साइकिल ट्रैक, पार्क, फव्वारा, जनसुविधा केंद्र, ओपन रेस्त्रां, ओपन थिएटर, ईवी चार्जिंग स्टेशन, ईवी बैट्री स्वाइपिंग स्टेशन, इनफारर्मेशन कियोस्क, सेल्फी प्वाइंट, वाटर एटीएम, मिनी प्लाजा, ले-बाइ, छोटे-छोटे पार्क बनाए जा रहे हैं.

पूरे सैंपल स्ट्रेच के किनारे बनी दीवारों को ग्रेनाइट पत्थर से संवारा जा रहा है. डिजाइनर एलईडी लैंप व बेंच के साथ ही रंग-बिरंगी टाइलें भी लगाई जा रही हैं. पीडब्ल्यूडी के स्ट्रीट स्केपिंग डिपार्टमेंट की ओर से बनाए जा रहे इस सैंपल माडल रोड पर बैठने के लिए पत्थर के बेंच, डिजाइनर लाइटें, फव्वारा आदि लगाए जा रहे हैं. इस नौ किलोमीटर के रोड पर बीच-बीच में पांच तितली पार्क बनाए जाएंगे.

बच्चों के लिए प्रकृति की पाठशाला होंगे तितली पार्क

मोती बाग-मायापुरी सैंपल मॉडल रोड राजधानी की पहली ऐसी सड़क बनेगी, जिस पर बच्चों के खेलने के लिए चिल्ड्रन प्ले जोन और लोगों के एक्सरसाइज के लिए ओपन जिम बनाया जा रहा है. यहां खेलने आने वाले बच्चों को प्रकृति के करीब लाने और उन्हें तितली, चिड़िया, कीट-पतंगों और वनस्पतियों से परिचित कराने के लिए यहां वैसा ही वातावरण तैयार किया जा रहा है. इन तितली पार्कों में जिन तितलियों को पाला जाएगा उनसे संबंधित पूरी जानकारी फोटे के साथ इनफारर्मेशन कियोस्क पर प्रदर्शित की जाएगी. बच्चों के लिए ये पार्क एक तरह से प्रकृति की पाठशाला के रूप में होगे.

ये भी पढ़ें: दिल्ली को साल के अंत तक मिलेगा प्रगति मैदान में नया कल्चरल हब, G20 का होगा आयोजन

लगाए जाएंगे तितली के होस्ट प्लांट

हर प्रजाति की तितली का अपना होस्ट प्लांट होता है, यानी जो तितली जिस पेड़-पौधे पर अंडे देती है, उसका कैटरपिलर उसी पेड़ की पत्तियां खाता है. तितली भोजन नहीं करती है. यह फूलों से नेक्टर (फूलों का रस, पराग) चूसती है. इससे उसे ग्लूकोस व सुक्रोस मिलता है. मादा तितली की पानी की जरूरत भी इसी से पूरी हो जाती है. हालांकि, नर तितली जमीन से मड पडलिंग (मिट्टी से नमी हासिल करना) से पानी की कमी पूरी करता है. इससे उसे एक्स्ट्रा हार्मोंस भी मिल जाता है. वहीं, पत्थर पर बैठकर ये मिनिरल्स व सॉल्ट प्राप्त करते हैं. मादाओं को आकर्षित करने के लिए नर को अधिक हार्मोन की जरूरत होती है. मादा कभी मड पडलिंग नहीं करती है.

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मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित होंगे स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: प्रदूषण की समस्याओं से जूझ रही राजधानी को अगले 2 सालों में कई मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क मिल जाएंगे. (Mini Biodiversity Park will be made in Delhi) दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट को मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके तहत हर सैंपल स्ट्रेस में कई पार्क बनाए जाएंगे. साथ ही ऐसे पौधे भी लगाए जाएंगे जिन पर आकर्षित होकर तितलियां आती है.

इन पार्कों में औषधीय गुणों वाले पेड़-पौधे भी लगाए जाएंगे. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वसंत कुंज के नेल्सन मंडेला रोड, सूरजमल विहार और वजीराबाद में बनाए जा रहे सैंपल स्ट्रेच में तितली पार्क बनाए जाएंगे. इसके बाद अरविंदो रोड, नेहरू नगर और चिराग दिल्ली सैंपल स्ट्रेच पर ये तितली पार्क विकसित किए जाएंगे. पीडब्ल्यूडी की इस पहल से राजधानी में हरियाली तो बढ़ेगी ही इसके साथ- साथ लोगों को अपने घर के आसपास पिकनिक स्पाट की सुविधा भी मिल जाएगी.

सबसे बड़े सैंपल स्ट्रेच में होंगे पांच तितली पार्क

रिंग रोड पर मोती बाग से लेकर मायापुरी के बीच राजधानी का सबसे बड़ा सैंपल स्ट्रेच बनाया जा रहा है. इसकी लंबाई करीब नौ किलोमीटर है. इसे मॉडल रोड के रूप में तैयार किया जा रहा है. इस पर साइकिल ट्रैक, पार्क, फव्वारा, जनसुविधा केंद्र, ओपन रेस्त्रां, ओपन थिएटर, ईवी चार्जिंग स्टेशन, ईवी बैट्री स्वाइपिंग स्टेशन, इनफारर्मेशन कियोस्क, सेल्फी प्वाइंट, वाटर एटीएम, मिनी प्लाजा, ले-बाइ, छोटे-छोटे पार्क बनाए जा रहे हैं.

पूरे सैंपल स्ट्रेच के किनारे बनी दीवारों को ग्रेनाइट पत्थर से संवारा जा रहा है. डिजाइनर एलईडी लैंप व बेंच के साथ ही रंग-बिरंगी टाइलें भी लगाई जा रही हैं. पीडब्ल्यूडी के स्ट्रीट स्केपिंग डिपार्टमेंट की ओर से बनाए जा रहे इस सैंपल माडल रोड पर बैठने के लिए पत्थर के बेंच, डिजाइनर लाइटें, फव्वारा आदि लगाए जा रहे हैं. इस नौ किलोमीटर के रोड पर बीच-बीच में पांच तितली पार्क बनाए जाएंगे.

बच्चों के लिए प्रकृति की पाठशाला होंगे तितली पार्क

मोती बाग-मायापुरी सैंपल मॉडल रोड राजधानी की पहली ऐसी सड़क बनेगी, जिस पर बच्चों के खेलने के लिए चिल्ड्रन प्ले जोन और लोगों के एक्सरसाइज के लिए ओपन जिम बनाया जा रहा है. यहां खेलने आने वाले बच्चों को प्रकृति के करीब लाने और उन्हें तितली, चिड़िया, कीट-पतंगों और वनस्पतियों से परिचित कराने के लिए यहां वैसा ही वातावरण तैयार किया जा रहा है. इन तितली पार्कों में जिन तितलियों को पाला जाएगा उनसे संबंधित पूरी जानकारी फोटे के साथ इनफारर्मेशन कियोस्क पर प्रदर्शित की जाएगी. बच्चों के लिए ये पार्क एक तरह से प्रकृति की पाठशाला के रूप में होगे.

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लगाए जाएंगे तितली के होस्ट प्लांट

हर प्रजाति की तितली का अपना होस्ट प्लांट होता है, यानी जो तितली जिस पेड़-पौधे पर अंडे देती है, उसका कैटरपिलर उसी पेड़ की पत्तियां खाता है. तितली भोजन नहीं करती है. यह फूलों से नेक्टर (फूलों का रस, पराग) चूसती है. इससे उसे ग्लूकोस व सुक्रोस मिलता है. मादा तितली की पानी की जरूरत भी इसी से पूरी हो जाती है. हालांकि, नर तितली जमीन से मड पडलिंग (मिट्टी से नमी हासिल करना) से पानी की कमी पूरी करता है. इससे उसे एक्स्ट्रा हार्मोंस भी मिल जाता है. वहीं, पत्थर पर बैठकर ये मिनिरल्स व सॉल्ट प्राप्त करते हैं. मादाओं को आकर्षित करने के लिए नर को अधिक हार्मोन की जरूरत होती है. मादा कभी मड पडलिंग नहीं करती है.

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