पन्द्रह अगस्त (Independence Day) के ईटीवी भारत पॉजिटिव पॉडकास्ट (ETV Bharat Positive Podcast) में आज सुनिए - कारगिल के हीरो - कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की कहानी...
विक्रम बत्रा करगिल को वो हीरो थे, जिन्होने अपनी जान की परवाह न करते हुए 16 हजार फीट की ऊंचाई पर छुपे दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे और अपने साथियों की जान बचाते हुए 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे.
करगिल (kargil war) में दिखाए अपने अदम्य साहस के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वीरता के साथ ही डिपंल चीमा के साथ कैप्टन बत्रा की प्रेम कहानी भी बेहद अनोखी हैं.
करगिल युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा को 5140 प्वाइंट को दुश्मनों से आजाद करने की जिम्मेदारी मिली थी, जिसे उन्होंने साहस के साथ बखूबी निभाया और 20 जून 1999 को मुश्किल लड़ाई को जीतकर देश के झंडे को बुलंद किया.
जीत के बाद उन्होंने इस चोटी से ‘यह दिल मांगे मोर का नारा दिया था, जो पूरे देश का नारा बन गया था. इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें ‘करगिल का शेर की भी संज्ञा दे दी गई. पाकिस्तान भी जिसके साहस का कायल हो गया, करगिल की चोटी से देश को अदम्य साहस की कहानी (story of Kargil hero) देने वाले इस वीर को ईटीवी भारत मॉर्निंग पॉडकास्ट की टीम की ओर से दिल से सलाम...
देश के प्रति समर्पण का ये भाव सर्वोच्य है, इस भाव को हम नमन करते हैं...विक्रम बत्रा को आप इस तरह याद रखें कि जब भी कुछ असंभव काम दिखे...उनका नारा मन में बुलंद कीजिए...ये दिल मांगे मोर....जय हिन्द....