नई दिल्ली: उत्तर भारत में मानसून का कहर जारी है. हिमाचल और उत्तराखंड के कई खतरनाक वीडियो सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं, जिसमें लगातार हो रही बारिश के कारण नदी का प्रवाह बढ़ने से कई मकान व पुल, ताश के पत्तों की तरह ढहते नजर आ रहे हैं. लेकिन देशभर में कई ऐसे भी पुल है, जो काफी साल पुराने होने के बाद भी जस के तस बने हुए हैं. इन्हीं में से एक है दिल्ली का सबसे पुराना वजीराबाद पुल.
कहा जाता है कि इस पुल को फिरोजशाह तुगलक ने करीब 700 साल पहले बनवाया था. इस पुल की खास बात है कि इतना पुराना होने के बाद आज भी लोग इस पुल का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए यह पुल किसी मिसाल से कम नहीं है. 700 वर्षों से आंधी, तूफान, बारिश और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बीच आज भी इसका अस्तितत्व बरकरार है.
क्या है पुल की खासियत: वर्तमान में दिल्ली को अन्य राज्यों से जोड़ने के लिए हर साल नए रास्तों का निर्माण किया जाता है. वहीं 700 साल पहले यमुना पार सहित, पंजाब, यूपी, लाहौर को जोड़ने के लिए यह पुल ही एकमात्र रास्ता था. इतिहासकारों का मानना है कि यह दिल्ली का सबसे पुराना पुल है. उस समय यमुना को पार करने के लिए दो ही पुल हुआ करते थे. एक वजीराबाद पुल और दूसरा सलीमगढ़ के पास स्थित पुल. इस पुल से बारे में यह भी कहा जाता है कि चंगेज खां भी इस पुल के जरिए ही दिल्ली आया था, जिसके बाद उसके साथ आए कुछ मंगोल यहां पर बस गए थे.
क्या कहता है इतिहास: वजीरबाद गांव के पास स्थित इस पुल की जगह पहले काफी घना जंगल था. फिरोजशाह तुगलक के शासन काल के दौरान फिरोजशाह तुगलक का वजीर, अपने घोड़ों को यहां पानी पिलाने और आराम करने के लिए लाया करता था. इसके बाद यमुना के किनारे फिरोजशाह तुगलक के वजीर ने ही आरामगाह और इस पुल का निर्माण करवाया था. बाद में फिरोजशाह तुगलक के वजीर ने यहां पर एक गांव बसाया, जिसका नाम वजीराबाद गांव रखा गया, जो आज भी है. इस जगह पर एक कहावत बहुत मशहूर है कि नौ दिल्ली 10 बादली किला वजीराबाद. ये कहावत ऐसे ही नहीं बनी. दरअसल इसका मतलब है कि दिल्ली नौ बार उजड़ी-बसी और बादली 10 बार, लेकिन ऊंचे टीले पर बसे वजीराबाद गांव का किला कभी नहीं ढहा.
कैसा है अभी पुल: इस पुल के नीचे नौ मेहराब हैं और उनके साथ साथ अनगढ़ पत्थरों से पिलर बने हुए हैं. मुस्लिम शासकों से पहले भारत में दो पिलर पर सिल्लियां डालकर पुल बनाए जाते थे, लेकिन मुस्लिम शासकों के आने के बाद से मेहराब बनाए जाने लगे. उसी आधार पर यह पुल भी बनाया गया है. पुल के नीचे से वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का पानी निकलता है. हालांकि गांव के लोग इसका इतिहास नहीं जानते. पुल के साथ ही उस समय की एक मस्जिद भी बनी हुई है. प्लांट और वजीराबाद गांव तक जाने के लिए लोग आज भी इस पुल का इस्तेमाल करते हैं.
पुल के नीचे है एक सुरंग: वजीराबाद पुल और स्मारक गांव की खास पहचान है. इतिहास के मुताबिक, भले ही इस पुल का निर्माण तुगलक काल (1351-1388) में किया गया हो, लेकिन ग्रमीणों का कहना है कि यह मुगलकाल से भी पुराना है. पुल के नीचे एक सुरंग है जो लाल किले के अंदर तक जाती है. पृथ्वीराज चौहान की बेटी बेला, वजीराबाद पुल के नीचे यमुना नदी में स्नान करने आती थी. हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से अब इस सुरंग को बंद कर दिया गया है, लेकिन सुरंग की ओर जाने वाली सीढ़ियां वहां अब भी नजर आती हैं.
यह भी पढ़ें-दिल्ली का पुराना किला: 2500 साल पुराने इतिहास का गवाह बना, म्यूजियम में रखी जाएंगी खुदाई में मिली चीजें
यह भी पढ़ें-सूरत का यह किला दिखाता है इतिहास की झलक