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ओवर स्पीड ही नहीं, धीमी रफ्तार भी बन रही सड़क हादसों में मौत की वजह

सड़क हादसों की वजह अगर आप ओवर स्पीडिंग को ही समझते हैं तो ऐसा नहीं है. ओवरस्पीडिंग एक वजह जरूर है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा यह जानकर की हाई-वे पर धीमी रफ्तार भी सड़क हादसों में होने वाली मौतों के लिए बड़ी जिम्मेदार हैं. इसलिए कई देशों में मिनिमम स्पीड भी तय की गई है और गाड़ियों के लिए अलग-अलग लेन तय की गई है.

भारत में मिनिमम स्पीड का कोई नियम नहीं है.
भारत में मिनिमम स्पीड का कोई नियम नहीं है.
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Published : Feb 8, 2021, 8:33 PM IST

Updated : Feb 8, 2021, 9:08 PM IST

नई दिल्ली: हाई-वे पर होने वाले भीषण सड़क हादसों में अक्सर लोगों की मौत हो जाती है. इन हादसों की वजह हमेशा तेज रफ्तार ही नहीं, बल्कि दो गाड़ियों के बीच रफ्तार का डिफरेन्स भी होता है. यह कहना है सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी का. उनका मानना है कि अगर सरकार हाई-वे पर तेज के साथ धीमी रफ्तार को लेकर भी नियम बनाये तो ऐसे हादसों में मौत का आंकड़ा कम हो सकता है.

भारत में मिनिमम स्पीड का कोई नियम नहीं है.
जानकारी के अनुसार, देश भर के साथ ही दिल्ली के हाईवे पर भी अक्सर सड़क हादसे होते हैं. दिल्ली के हाईवे एवं रिंग रोड पर होने वाले सड़क हादसों में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. वहीं देश भर में हाईवे पर हजारों की संख्या में लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. इन हादसों के कारण को लेकर सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा स्टडी की गई. इसमें यह पाया गया कि हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों के कई कारण हैं. इनमें रोड इंजीनियरिंग और वाहनों की तेज रफ्तार के साथ ही वाहनों की धीमी रफ्तार भी शामिल हैं. 20 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार का डिफरेन्स खतरनाक

सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी ने बताया कि भारत में हाईवे पर सभी तरह की गाड़ियां चलती हैं. कार जहां 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ती है तो वहीं ट्रक या टेम्पो की रफ्तार 50 किलोमीटर के आसपास ही होती है. ऐसे में जब उनके बीच टक्कर होती है तो रफ्तार का डिफरेन्स 50 किलोमीटर का होता है. इस डिफरेन्स पर होने वाली टक्कर जानलेवा होती है. उन्होंने बताया कि सड़क हादसे के समय अगर दो वाहनों की रफ्तार में 20 किलोमीटर तक का डिफरेन्स है तो इसमें लोगों की जान बच सकती है. लेकिन टक्कर के दौरान दो वाहनों की स्पीड के बीच डिफरेन्स 20 किलोमीटर से ज्यादा है तो इसमें लोगों की मौत हो सकती है.


मैक्सिमम के साथ मिनिमम स्पीड भी तय करना जरूरी

पीयूष तिवारी ने बताया कि विदेशों में हाईवे पर चलने वाली गाड़ियों के लिए तेज रफ्तार के साथ ही कम रफ्तार के लिए भी नियम होता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह ऐसे हादसों को कम करने के लिए हाईवे पर कम स्पीड वाले वाहनों के लिए अलग लेन बनाएं. एक ही लेन में 40 और 100 किलोमीटर की स्पीड से गाड़ियों के चलने की वजह से होने वाले हादसे जानलेवा होते हैं. सरकार अगर गति अनुसार गाड़ियों को हाईवे पर बनी लेन में चलने का नियम बनाएगी तो इससे हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी.



हाई-वे एवं रिंग रोड पर हुए सड़क हादसे

स्थान

सड़क हादसे

में मौत

सामान्य हादसे
सिरसपुर 5 5
आगरा कैनाल रोड 5 4
पांचवा पुश्ता उस्मानपुर 7 11
आनंद विहार बस अड्डा 6 9
भलस्वा चौक 9 8
बुराड़ी चौक 5 10
घेवरा मोड़ 8 5
कश्मीरी गेट 10 14
स्वरूप नगर 5 13
टिकरी गांव 5 4
वज़ीराबाद 6 16
लिबासपुर 8 10
महिपालपुर फ्लाईओवर 7 5
मुकरबा चौक 7 9
मुकुन्दपुर चौक 8 16
निरंकारी कॉलोनी 6 11
राजधानी पार्क 74
सरिता विहार 5 4
सिंघु बॉर्डर 4 4

नई दिल्ली: हाई-वे पर होने वाले भीषण सड़क हादसों में अक्सर लोगों की मौत हो जाती है. इन हादसों की वजह हमेशा तेज रफ्तार ही नहीं, बल्कि दो गाड़ियों के बीच रफ्तार का डिफरेन्स भी होता है. यह कहना है सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी का. उनका मानना है कि अगर सरकार हाई-वे पर तेज के साथ धीमी रफ्तार को लेकर भी नियम बनाये तो ऐसे हादसों में मौत का आंकड़ा कम हो सकता है.

भारत में मिनिमम स्पीड का कोई नियम नहीं है.
जानकारी के अनुसार, देश भर के साथ ही दिल्ली के हाईवे पर भी अक्सर सड़क हादसे होते हैं. दिल्ली के हाईवे एवं रिंग रोड पर होने वाले सड़क हादसों में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. वहीं देश भर में हाईवे पर हजारों की संख्या में लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. इन हादसों के कारण को लेकर सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा स्टडी की गई. इसमें यह पाया गया कि हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों के कई कारण हैं. इनमें रोड इंजीनियरिंग और वाहनों की तेज रफ्तार के साथ ही वाहनों की धीमी रफ्तार भी शामिल हैं. 20 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार का डिफरेन्स खतरनाक

सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी ने बताया कि भारत में हाईवे पर सभी तरह की गाड़ियां चलती हैं. कार जहां 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ती है तो वहीं ट्रक या टेम्पो की रफ्तार 50 किलोमीटर के आसपास ही होती है. ऐसे में जब उनके बीच टक्कर होती है तो रफ्तार का डिफरेन्स 50 किलोमीटर का होता है. इस डिफरेन्स पर होने वाली टक्कर जानलेवा होती है. उन्होंने बताया कि सड़क हादसे के समय अगर दो वाहनों की रफ्तार में 20 किलोमीटर तक का डिफरेन्स है तो इसमें लोगों की जान बच सकती है. लेकिन टक्कर के दौरान दो वाहनों की स्पीड के बीच डिफरेन्स 20 किलोमीटर से ज्यादा है तो इसमें लोगों की मौत हो सकती है.


मैक्सिमम के साथ मिनिमम स्पीड भी तय करना जरूरी

पीयूष तिवारी ने बताया कि विदेशों में हाईवे पर चलने वाली गाड़ियों के लिए तेज रफ्तार के साथ ही कम रफ्तार के लिए भी नियम होता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह ऐसे हादसों को कम करने के लिए हाईवे पर कम स्पीड वाले वाहनों के लिए अलग लेन बनाएं. एक ही लेन में 40 और 100 किलोमीटर की स्पीड से गाड़ियों के चलने की वजह से होने वाले हादसे जानलेवा होते हैं. सरकार अगर गति अनुसार गाड़ियों को हाईवे पर बनी लेन में चलने का नियम बनाएगी तो इससे हाईवे पर होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी.



हाई-वे एवं रिंग रोड पर हुए सड़क हादसे

स्थान

सड़क हादसे

में मौत

सामान्य हादसे
सिरसपुर 5 5
आगरा कैनाल रोड 5 4
पांचवा पुश्ता उस्मानपुर 7 11
आनंद विहार बस अड्डा 6 9
भलस्वा चौक 9 8
बुराड़ी चौक 5 10
घेवरा मोड़ 8 5
कश्मीरी गेट 10 14
स्वरूप नगर 5 13
टिकरी गांव 5 4
वज़ीराबाद 6 16
लिबासपुर 8 10
महिपालपुर फ्लाईओवर 7 5
मुकरबा चौक 7 9
मुकुन्दपुर चौक 8 16
निरंकारी कॉलोनी 6 11
राजधानी पार्क 74
सरिता विहार 5 4
सिंघु बॉर्डर 4 4
Last Updated : Feb 8, 2021, 9:08 PM IST
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