नई दिल्लीः समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने मंगलवार को सभी नए सदस्यों के साथ विकलांगता पर राज्य सलाहकार बोर्ड की पहली बैठक की. बैठक को संबोधित करते हुए गौतम ने कहा कि राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटी एक्ट 2016 के अंतर्गत इस बोर्ड को सरकार के कामकाज का सुझाव देने और उनकी देखरेख करने का अधिकार दिया गया है, ताकि संसाधनों का उपयोग लाभार्थियों के सर्वोत्तम हित में किया जा सके.
उन्होंने कहा कि यह बोर्ड एक राज्य स्तरीय परामर्शदात्री और सलाहकार निकाय है, जो विकलांगता पर विभिन्न नीतियों के निरंतर विकास का मूल्यांकन करने में मदद करता है. इस दौरान समाज कल्याण विभाग द्वारा बोर्ड के सभी सदस्यों और विभिन्न हितधारकों को एक प्रजेंटेशन दिया गया, ताकि वे अपने अधिकारों, कार्यों और कर्तव्यों को बेहतर तरीके से समझ सकें.
सदस्यों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा दिए गए विभिन्न सुझावों पर चर्चा करते हुए समाज कल्याण मंत्री ने समाज के अलग-अलग दिव्यांग सदस्यों के अधिकारों के प्रति सरकारा की प्रतिबद्धता को दोहराया.
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इसके साथ ही समाज कल्याण मंत्री ने विकलांगों के लिए उपकरणों और उसके लिए विधायक बालक (एमएलए एलएडी) फंड से धनराशि के उपयोग के संबंध में दिए गए सुझावों पर विधायक बालक योजना में इस तरह के क्लाॅज को शामिल करने के लिए संबंधित मंत्री को भेजने पर सहमति व्यक्त की.
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'जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण की जरूरत'
समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों की वास्तविक संख्या और जरूरतों का आंकलन करने के लिए जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण किया जाना चाहिए. उन्होंने सभी संस्थाओं और बिल्डिंग का तत्काल ऑडिट कराने का निर्देश दिया. यह ऑडिट मई 2021 के पहले सप्ताह में बोर्ड के सदस्यों द्वारा दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाना है.