नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में हो रहे इस बार के एमसीडी चुनाव में (in MCD elections) बड़ी संख्या में छोटे राजनीतिक दलों (Small political parties) की एंट्री के बाद मुकाबला बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है. जेडीयू, शिरोमणि अकाली दल (बादल) एआईएमआईएम और बीएसपी के अलावा अन्य छोटे राजनीतिक दलों की ओर से प्रत्याशियों को एमसीडी चुनाव दंगल में उतारने से बड़े राजनीतिक दल बीजेपी और आप को सीधे वोट शेयर के मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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जदयू की नजर बिहार और पूर्वांचलियों पर : जनता दल यूनाइटेड के दिल्ली अध्यक्ष दयानंद राय ने बातचीत के दौरान बताया कि इस बार एमसीडी चुनाव में जदयू पूरी ताकत के साथ उतरने जा रही है. दिल्ली जहां पर भी बिहार और पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में हैं, वहां से जदयू के उम्मीदवार उतारे जाएंगे. दयानंद राय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि दिल्ली में चाहे वह आम आदमी पार्टी हो या फिर बीजेपी दोनों पूर्वांचल और बिहार से आने वाले लोगों की लगातार उपेक्षा करते रहे हैं. जिसका जवाब पूर्वांचल की जनता निगम चुनावों में देगी.
बड़े राजनीतिक दलों के वोट शेयर पर पड़ेगा असर : राजधानी दिल्ली में एमसीडी चुनाव में इस बार आप और बीजेपी के बीच टक्कर मानी जा रही है. दिल्ली की राजनीतिक गलियारे में हाशिए पर पहुंच चुकी कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने के लिए चुनावी दंगल में उतरने जा रही है. इन सबके बीच एमसीडी चुनाव में छोटे राजनीतिक दलों की बड़े स्तर पर उतरने के साथ मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. दरअसल 2007, 2012 ओर 2017 के एमसीडी चुनाव नतीजों पर गौर किया जाए तो करीब 30-35 सीटें हर बार ऐसी होती हैं जिनसे इन छोटी पार्टियों के या निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत होती है. तकरीबन इतनी ही सीटें ऐसी होती हैं जहां ये छोटी पार्टियां आप, बीजेपी और कांग्रेस के लिए टोटल वोट शेयर के मामले में परेशानी पैदा करती हैं.एआईएमआईएम, आजाद समाज पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, शिरोमणि अकाली दल (बादल), बहुजन समाज पार्टी, एमसीपी जैसे कई छोटे राजनीतिक दल दिल्ली के एमसीडी चुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने जा रहे हैं. जिसका सीधा असर वोट शेयर पर पड़ सकता है. दरअसल एमसीडी के चुनाव में हर वार्ड में हार-जीत का अंतर कुछ सौ वोट से लेकर कुछ हजार वोट का होता है. ऐसे में बड़ी संख्या में छोटे राजनीतिक दलों के चुनावी दंगल में उतरने से न सिर्फ हार-जीत के अंतर पर असर पड़ेगा बल्कि बड़े राजनीतिक दलों आप और बीजेपी के वोट शेयर पर इसका सीधा असर पड़ना तय माना जा रहा है.
ओवैसी की एआईएमआईएम ने किया है गठबंधन : पिछले कुछ समय से देश में कहीं भी हो रहे चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है और उसे सफलता भी मिल रही है. इस बार दिल्ली के एमसीडी चुनाव में एआईएमआईएम पहली बार अपनी किस्मत आजमाने जा रही है. कलीमुल हफीज ने बातचीत में बताया कि इस बार एआईएमआईएम आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन में मिलकर दिल्ली के अंदर एमसीडी का चुनाव लड़ने जा रही है. 68 सीटों पर जहां एआईएमआईएम अपने उम्मीदवार उतारेगी वही 32 सीटों पर आजाद समाज पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी. कुल 4 सीटों पर एआईएमआईएम अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर चुकी है. एआईएमआईएम इस बार ज्यादातर मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव लड़ने जा रही है. जहां आम आदमी पार्टी की अच्छी पकड़ है वहां एआईएमआईएम सेंधमारी करने की पूरी कोशिश करेगी.
शिरोमणि अकाली दल (बादल) पूरी ताकत से मैदान में : शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने इस बार एमसीडी के चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरने की तैयारी कर ली है. सरदार परमजीत सिंह सरना को अकाली दल की ओर से एमसीडी चुनाव की पूरी जिम्मेदारी दी गई है. परमजीत सिंह सरना ने बातचीत में बताया कि दिल्ली के अंदर सभी सिख बहुल वार्डों में शिरोमणि अकालीदल (बादल) की ओर से अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी पूरी कर ली गई है और सभी जगह अकाली दल पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरेगा और जीत दर्ज करेगी. हालांकि किस सीट पर कौन सा उम्मीदवार अकाली दल की ओर से उतारा जाएगा, ये रविवार शाम तक तय होगा.इसके अलावा आज़ाद समाज पार्टी 32 सीटों पर इस बार एमसीडी के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है. बहुजन समाज पार्टी और अन्य छोटे-बड़े राजनीतिक दल से अपने उम्मीदवार बड़ी संख्या में उतार रहे हैं. जिसे लेकर रविवार तक तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी. निर्दलीय उम्मीदवार भी इस बार बड़ी संख्या में नामांकन भरने जा रहे हैं. ऐसे में इस बार के एमसीडी चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले है.
पार्षदों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता :दिल्ली के एमसीडी चुनाव को लेकर हाल ही में सामने आए कुछ निजी संस्थानों के ओपिनियन पोल की बात की जाए तो उसमें किसी को भी बहुमत मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है. आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी दोनों को ही लगभग 100 से 120 सीटें मिलती हुई नजर आ रही हैं. बीजेपी का वोट शेयर 42 फीसद अनुमानित है.ी आप का वोट शेयर भी 40 फीसद रहने का अनुमान है. अगर नतीजे ओपिनियन पोल के अनुसार ही आए तो ऐसे में छोटे राजनीतिक दल, जिनके पास छोटी संख्या में ही सही सीटें होंगी, वे दिल्ली में एकीकृत हो चुकी एमसीडी में सरकार बनाने में न सिर्फ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे बल्कि उनके हाथ में सत्ता की चाबी भी हो सकती है. एक बात यह भी है कि दिल्ली में पार्षदों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता है.पार्षद एक पखवाड़े में राजनीतिक दल बदल सकते हैं.ऐसे में नतीजे सामने आने के बाद अगर किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो राजनीतिक दलों की ओर से एक दूसरे के खेमे के पार्षदों को तोड़कर अपने खेमें में शामिल कर एमसीडी़ की सत्ता पर कब्जा बनाए जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
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