नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने पेरेंट्स को महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को बाध्य करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया है. नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को दिल्ली सरकार ने कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. नोटिस का सही जबाव न मिलने पर शिक्षा निदेशालय संबंधित स्कूलों के खिलाफ सख्त कारवाई करेगी. जानकारी के अनुसार गाइडलाइन्स के उल्लंघन के मामले में अब तक 12 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है.
दिल्ली एजुकेशन एक्ट के तहत हुआ एक्शन: शिक्षा मंत्री ने कहा कि पेरेंट्स से शिकायत आने पर संबंधित स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. साथ ही डीडीई स्तर पर इसकी जांच भी की जा रही है. यदि गाइडलाइन्स के उल्लंघन की स्थिति होती है तो इन स्कूलों पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, शिक्षा विभाग को गाइडलाइन्स जारी करने के बावजूद पेरेंट्स की ओर से कई स्कूलों के खिलाफ शिकायत मिल रही थी. स्कूल प्रशासन अभिभावकों को खास वेंडर से महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर कर रहे है, जो पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन है.
गाइडलाइन्स की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई: शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स पेरेंट्स को ये स्वतंत्रता देती है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी जगह से किताबें व ड्रेस खरीद सकते हैं. ऐसे में अगर प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स को खास जगह से महंगी किताबें-स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं, तो ये गाइडलाइन्स की अवहेलना है. केजरीवाल सरकार बच्चों की शिक्षा को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है. अगर प्राइवेट स्कूल नियमों की अवहेलना कर रहे है तो उन्हें बख्सा नहीं जाएगा.
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किताबें और ड्रेस खरीदने को लेकर गाइडलाइन्स: गाइडलाइन्स के तहत नए सत्र में प्रयोग में आने वाले किताबों व अन्य स्टडी मटेरियल की सूची स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करनी होती है. इसके अलावा स्कूल को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करना होता है, जहां से पेरेंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकें.
स्कूल पेरेंट्स को किसी भी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं. साथ ही शिक्षा निदेशालय की इस गाइडलाइन्स में ये भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिज़ाइन व अन्य स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकता है.
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