नई दिल्ली: नदियों के किनारे कई सभ्यताएं विकसित हुई हैं. चाहे सिन्धु घाटी की सभ्यता हो या हड़प्पा मोहनजोदाड़ो की सभ्यता हो या फिर मिश्र की सभ्याता. भारत में भी सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ है. यही कारण है कि भारतीय परम्परा में नदियों को मां माना गया है. हमारे यहां नदियों को इतना पवित्र माना जाता है कि स्नान करते समय हम पवित्र नदियों का आह्वान करते हैं. भारत में नदियों को वेदों का प्रतीक भी माना गया है. गंगा को ऋग्वेद, यमुना को यजुर्वेद, सरस्वती को अथर्ववेद और नर्मदा को सामवेद का प्रतीक माना गया है.
अमरकंटक में मैकाल पर्वत के एक कुंड से निकली मां नर्मदा भारत की सबसे पवित्र और महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक हैं. इन्हें रेवा के नाम से भी जाना जाता है. शिवपुत्री मां नर्मदा मध्य प्रदेश की जीवनरेखा तो हैं ही, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के भी लाखों लोगों के जीवन को सुगम बनाती हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के मीडिया सेंटर ने अपने मासिक आयोजन 'फ्राइडे फिल्म क्लब' (Friday Film Club) के तहत नर्मदा नदी पर आधारित फिल्म "देव नदी नर्मदा" (Dev Nadi Narmada) का प्रदर्शन केंद्र के समवेत ऑडिटोरियम में किया. फिल्म का निर्माण इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Center for Arts) और निर्देशक और फिल्मकार पंकज पराशर (Director and filmmaker Pankaj Parashar) ने किया है.
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53 मिनट की इस फिल्म में उद्गम स्थल से लेकर खंभात की खाड़ी में समुद्र में मिलने तक, नर्मदा नदी की 1312 किलोमीटर यात्रा को सुंदर तरीके से दिखाया गया है. नर्मदा के उद्गम स्थल, उसकी उत्पत्ति के पौराणिक आख्यानों और नर्मदा से जुड़े विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में यह फिल्म बताती है. "देव नदी नर्मदा" (Dev Nadi Narmada) फिल्म की खासियत यह है कि यह नर्मदा नदी के बारे में विस्तृत जानकारी तो देती ही है, इसके मार्ग में पड़ने वाले ढेरों स्थानों के बारे में भी रोचक जानकारियां देती है.
नर्मदा की यात्रा के बहाने यह फिल्म हमें कई अद्भुत तथ्यों से परिचित कराती है. उदाहरण के लिए, यह मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में होने वाले बैगा जनजाति के भगोरिया मेले के बारे में दिलचस्प जानकारी देती है. युवकों-युवतियों के वैवाहिक सम्बंधों के निर्धारण में 'पान' कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, इसका अनुभव भगोरिया मेले में किया जा सकता है. यह फिल्म नर्मदा की सैकड़ों मील लंबी यात्रा के धार्मिक-सांस्कृतिक-सामाजिक पहलुओं को तो उजागर करती ही है, साथ ही पर्यटन के लिहाज से भी काफी उपयोगी जानकारियां देती है. फिल्म के दृश्य काफी मनभावन हैं और इसका नरेशन भी काफी प्रभावशाली है.
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इस अवसर पर मीडिया नियंत्रक अनुराग पुनेठा (Media Controller Anurag Punetha) ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Center for Arts) के आर्काइव में अनूठी फिल्मों का खजाना है. केंद्र ने कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया है. मासिक आयोजन 'फ्राइडे फिल्म क्लब' (Friday Film Club) का उद्देश्य है कि फिल्मों के प्रदर्शन के माध्यम से लोगों को भारत, भारतीयता, भारतीय संस्कृति, भारतीय समाज, भारत के नायकों, भारत की समृद्ध विरासत और इसकी विविधता से परिचित कराया जाए.
मौके पर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान समवेत ऑडिटोरियम पूरी तरह भरा रहा. दर्शकों में आईएएएन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (एनआईएमसी), देशकाल सोसाइटी के छात्र व फैकल्टी, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फेडरेशन, कलेक्टिव विजडम, यूनाइटेड वॉयस के स्टाफ विशेष रूप से शामिल थे. फिल्म की समाप्ति पर लोगों की तालियां इस बात का गवाह थीं कि लोगों को यह काफी पसंद आई.
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