नई दिल्ली: भारत को अगर केवल देश नहीं, बल्कि अनेक सभ्यताओं का मिश्रण कहें तो यह अतिशियोक्ति नहीं होगी. देश में विभिन्न जन-जातियां हैं और इन सभी की अपनी अलग पहचान है. चाहे इनकी भाषा हो, पहनावा हो या फिर उनकी संसकृति, सभी में लोक और जनजातीय नृत्य एवं संगीत का विशेष स्थान है. इसी से दुनिया को भारत की महानता का भी पता चलता है. दिल्ली में एक ऐसे ही नृत्य एवं संगीत कार्यक्रम 'शाश्वत भारत' का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य शैली की शास्त्रीय नृत्यांगना पद्म विभूषण सोनल मानसिंह द्वारा आयोजित किया गया. सोमवार को आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के छह लोक और जनजातीय नृत्य एवं संगीत प्रस्तुत किए गए. यह तीन दिवसीय कार्यक्रम मंडी हाउस स्थित कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया.
इसमें तेलंगाना का लोक नृत्य गुस्सादी, मध्यप्रदेश का भगोरिया, झारखंड का मर्दाना झूमर, तमिलनाडु का थप्पत्तम, ओडिशा का संथाली और गुजरात का मानियारो रास लोक नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन हुआ. कार्यक्रम में पूरे भारत से आए 169 नृत्य और संगीत कलाकारों ने अपना जलवा बिखेरा. वहीं अन्य दो दिनों में अरुणाचल प्रदेश से आए देलोंग पडुंग और उनके समूह ने अपना गायन प्रस्तुत किया. इसके अलावा मशहूर फोक सिंगर मैथली ठाकुर ने अपने संगीत से दर्शकों का मन मोह लिया. कार्यक्रम के जरिए देशभर की लोक संस्कृति को मंच के माध्यम से दर्शकों ने करीब से समझा.
इस अवसर पर कार्यक्रम की आयोजनकर्ता और शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने सभी कलाकारों को सफल कार्यक्रम की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि 3 दिवसीय 'शाश्वत भारत' का समापन हुआ. इस महोत्सव ने आनंद की पराकाष्ठा छू ली. मेरी नाट्यकथा 'मीरा के प्रदर्शन' के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में भारतवर्ष से 169 कलाकार एकत्रित हुए, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के लोक और जनजातीय नृत्य एवं संगीत का अद्भुत प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि मैं सभी कलाकारों, सहयोगियों और कर्मियों के सहयोग के लिए बहुत आभारी हूं. कामाख्या मां की कृपा से हम सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया. मैं सभी दर्शकों को उनकी उपस्थिति एवं कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए तहे दिल से धन्यवाद करती हूं.
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कौन हैं सोनल मानसिंह: सोनल मानसिंह एक भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य शैली की शास्त्रीय नृत्यांगना हैं. उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में राज्यसभा सदस्य बनने के लिए नामित किया गया है. उनका जन्म मुंबई में हुआ था और उनके दादा मंगल दास पकवासा थे. वह एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ भारत के पहले पांच राज्यपालों में से एक थे. सोनल मानसिंह ने चार साल की उम्र में नागपुर में एक शिक्षक से अपनी बड़ी बहन के साथ मणिपुरी नृत्य सीखना शुरू किया था. फिर सात साल की उम्र में उसने पंडानल्लूर स्कूल के विभिन्न गुरुओं से भरतनाट्यम सीखना शुरू किया. उन्होंने भारतीय विद्या भवन से संस्कृत में 'प्रवीण' की डिग्री के साथ एलफिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे से बी.ए. (ऑनर्स) जर्मन साहित्य में भी डिग्री हासिल की है.
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