नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार में श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने गुरुवार को सचिवालय में दिल्ली भवन एवं सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में दिल्ली के श्रमिकों के लिए कई अहम फैसले लिए गए. महिला और पुरुष श्रमिकों के भत्ते में अंतर पर चर्चा हुई. श्रम मंत्री ने राजधानी के निर्माण स्थलों के पास महिला श्रमिकों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश दिया. बता दें कि यह कदम साइटों पर काम करने वाली सभी महिला श्रमिकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
मंत्री ने कहा कि निर्माण स्थलों पर पुरुष और महिला श्रमिकों द्वारा एक ही शौचालय इस्तेमाल किया जाता है, यह ठीक नहीं है. निर्माण स्थलों पर महिला श्रमिकों के लिए अलग से शौचालय होना चाहिए. संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल्द निर्माण स्थलों पर महिला और पुरुष श्रमिकों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था की जाए. मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि महिला और पुरुषों के भत्ते की असमानताओं को जल्द दूर कर समान कार्य के लिए समान भत्ता सुनिश्चित किया जाए."
बैठक में श्रमिकों की बेहतर सुविधा के लिए अहम फैसले
- अब महिला श्रमिकों को भी समान काम के लिए समान वेतन मिलेगा. पुरुष और महिला श्रमिकों के बीच समान काम के लिए वेतन में असमानताओं को ध्यान में रखते हुए श्रम मंत्री ने निर्देश दिया कि इन असमानताओं को तुरंत ठीक किया जाए, जिससे महिला श्रमिकों को समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जा सके.
- बोर्ड के ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध रजिस्ट्रेशन फॉर्म में श्रमिकों द्वारा भरी जाने वाली जानकारियों को श्रमिकों तक आसानी से पहुंचाने की दिशा में मंत्री ने आदेश दिए कि बोर्ड पर उपलब्ध जानकारियों (फॉर्म) की मुख्य भाषा "हिंदी" हो, जिससे सुविधाओं का लाभ निर्माण श्रमिकों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच सके.
- लेबर कार्ड रजिस्ट्रेशन, रिन्यूअल (नवीनीकरण) और क्लेम के लिए सभी जिलों में बनाई गई हेल्प डेस्कों पर पारदर्शिता लाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. लेबर बोर्ड की तरफ से दी जाने वाली एक्सीडेंटल इंश्योरेंस के बेहतर क्रियान्वन के लिए पॉलिसी को पुनः समीक्षा करने के भी निर्देश दिए. साथ ही निर्माण श्रमिकों को बेहतर कौशल विकास के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के ज़रिए ट्रेनिंग कराई जाए ताकि वह अपने कौशल में ज्यादा दक्षता हासिल कर सकें.
- निर्माण श्रमिकों को विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी योजनाओं की जानकारी नहीं मिलने के कारण समय से इसका लाभ निर्माण श्रमिकों तक नहीं पहुंच पाता. इसकी जागरूकता और प्रचार प्रसार के लिए सभी संचार के माध्यमों का इस्तेमाल किया जाए.