नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में बीजेपी विधायकों द्वारा ठंड में बेघर लोगों की मौत के मुद्दे पर हंगामा और जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए, इस पर दिल्ली सरकार के मंत्री ने कहा है कि बीजेपी विधायकों ने विधानसभा को गुमराह किया है. इन पर अवमानना का मुकदमा भी चलाया जा सकता है.
दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों द्वारा बड़ी ही शर्मनाक हरकत को अंजाम दिया गया. विधानसभा में भाजपा विधायकों ने सदन को गुमराह किया और झूठ बोला. विधानसभा की अवमानना का मामला उनपर बनता है. भाजपा विधायकों ने दिल्ली पुलिस की वेबसाइट से ली गई अलग अलग कारणों से मृत लोगों की सूची दिखाकर दिल्ली की विधानसभा को गुमराह करने की कोशिश की.
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दिल्ली पुलिस की जिपनेट वेबसाइट पर साफ़ है कि सर्दियों में ही नहीं, आम मौसम में भी लगभग 300-350 मृत शरीर दिल्ली पुलिस रिपोर्ट करती है. दिल्ली पुलिस की वेबसाइट जिपनेट अनुसार जून 2023 में 270 , जुलाई 2023 में 370, अगस्त में 382, सितंबर में 313, अक्टूबर में 316, नवंबर में 319 और दिसंबर 2023 में 1 दिसंबर से 15 दिसंबरतक 108 मृत शरीर के बारे में दिल्ली पुलिस द्वारा रिपोर्ट किया गया .
इस बात से साफ़ होता है कि दिल्ली में पूरे साल चाहे कोई भी मौसम हो लगभग 300 से साढ़े तीन सौ मृत लोगों के शरीर बरामद होते हैं और इनकी मृत्यु के अलग अलग कारण होते हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली विधानसभा के पटल पर भाजपा के विधायकों द्वारा दिल्ली पुलिस की वेबसाइट से ली गई एक सूची दिखाकर, दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बदनाम करने की शर्मनाक कोशिश की गई.
उन्होंने कहा कि यह सूची पिछले महीने दिल्ली की सड़कों पर हुई मृत्यु से संबंध रखती है. जिसमें उन सभी मृत व्यक्तियों की जानकारी एवं तस्वीरें हैं जिनकी मृत्यु बीते दिनों दिल्ली की सड़कों पर हुई. उन्होंने बताया कि यह दिल्ली पुलिस की एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे दिल्ली पुलिस निरंतर करती है और प्रतिमाह दिल्ली की सड़कों पर पाए गए मृत व्यक्तियों की एक सूची उनकी तस्वीरों के साथ बनाकर दिल्ली पुलिस अपनी वेबसाइट पर अपलोड करती है.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी के विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के विधायकों ने यह शर्मनाक हरकत केवल और केवल गंदी राजनीति के चलते की है. जो सूची भाजपा के विधायकों ने सदन के पटल पर दिखाई, उन तस्वीरों में साफ तौर पर यह देखा जा सकता है, कि जिन मृत लोगों की सूची भाजपा के विधायक दिखा रहे हैं, उनके शरीर पर गंभीर चोटें लगी हुई हैं और इन व्यक्तियों की मृत्यु कहीं ना कहीं या तो किसी सड़क दुर्घटना में या फिर किसी साजिश के तहत की गई हत्या से हुई है.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली पुलिस की इस सूची में दी गई उन व्यक्तियों की मृत्यु की तारीखों का उल्लेख करते हुए बताया, कि इन तारीखों को देखकर पता चलता है, कि अधिकतर लोगों की मृत्यु नवंबर के महीने में हुई है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में रहने वाले सभी लोग इस बात को भली-भांति जानते हैं, कि नवंबर के महीने में दिल्ली में इतनी ठंड थी ही नहीं की किसी व्यक्ति की ठंड से मृत्यु हो जाए.
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सौरभ भारद्वाज ने केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि बीते वर्ष केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग ने तुगलकाबाद किले के पास बस्सी झुग्गी बस्ती को उजाड़ कर हजारों लोगों को बेघर कर दिया था. इसी प्रकार से केंद्र सरकार ने महरौली के पास बसी झुग्गी बस्ती को उजाड़ कर हजारों लोगों को बेघर कर दिया था. उस वक्त भी आम आदमी पार्टी और दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने केंद्र में बैठी बीजेपी के इस जघन्य अपराध के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी.
केंद्र में बैठी बीजेपी से प्रश्न पूछा था, कि जिन हजारों गरीब लोगों के घर आपने उजाड़ दिए हैं, यह लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएंगे? लेकिन केंद्र में बैठी भाजपा सरकार और उसकी एजेंसियों ने केवल और केवल अपनी जिद के कारण इन हजारों लोगों के सर से छत छीन ली थी. सौरभ भारद्वाज ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र शासित सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार और उसकी एजेंसिया जैसे डीडीए, रेलवे, पुरातत्व विभाग एवं एलएनडीओ लगातार दिल्ली की गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों को उजाड़ने का काम कर रही है.
भारद्वाज ने नियमों का हवाला देते हुए कहा, कि यह कानून है, कि जब कभी भी कोई सरकार किसी भी झुग्गी बस्ती या कॉलोनी में रहने वाले लोगों के घरों को तोड़ती है, तो उसका दायित्व होता है कि उन लोगों के रहने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न पूछते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र में बैठी भाजपा के लोग बताएं कि बीते वर्ष में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बस्तियों में रहने वाले जिन हजारों लोगों के घर तोड़े हैं, क्या उनके रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था आज तक की गई है ?
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