नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के कादीपुर गांव के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मदद सहायता की राशि को लेकर सूचना अधिकार अधिनियम के तहत विद्यालयों से जवाब मांगा. इसको लेकर उन्हें हर विद्यालय से अलग-अलग जवाब प्राप्त हुए.
हरपाल सिंह राणा का कहना है कि बच्चों को दी जानी वाली सहायता राशि बैंक के जरिए दी जाए, ये आदेश पहले ही 2006 में आ चुका था. वे तभी से इसके लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को बैंक के जरिए ही मदद दी जाए, जिससे उनका विद्यालय में समय कम बर्बाद हो.
विद्यालयों से मिल रहे अलग-अलग जवाब
उनका कहना है कि साल 2006 से ही सभी विद्यालयों से अलग-अलग जवाब प्राप्त हो रहे हैं. वर्तमान साल 2020 में भी ये कहा जा रहा है कि हमने आखिरी बार जो कैश के जरिए मदद की थी, वो साल 2015-16 में, दूसरे विद्यालय कह रहे है कि 2017-18 में बांटी तो कुछ का कहना है कि उनके जरिए 2018-19 में मदद की गई. उनका कहना है कि ये सरकार की अनियिमतताओं को दर्शाता है.
आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा ने अपील की है कि जल्द से जल्द सभी विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन आरंभ हो साथ ही साथ बैंक के जरिए पैसे दिए जाए. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों को योजनाओं के बारे में भी सही तरीके की जानकारी ही नहीं है. उन्हें ये नही पता की कितनी योजनाएं ऑनलाइन और कितनी योजनाओं के लिए विद्यार्थियों को स्वयं आवेदन करना पड़ता है.
योजनाओं को लेकर हैं कम जानकारी
एक विद्यालय का कहना है कि दो योजनाओं के लिए ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल करना होत है, तो वहीं दूसरे का कहना है कि सभी योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है. ये अलग-अलग जवाब ये बताते हैं कि दिल्ली सरकार के जरिए जो विद्यार्थियों को योजनाएं दी गई है, उनमें कई कमियां हैं. साथ ही जानकारी का अभाव है जिसके कारण सभी छात्रों तक मदद नहीं पहुंच पाती है.
तीन विद्यालय कह रहे हैं कि विद्यार्थियों को दी जाने वाली सहायता मदद के लिए 4 योजनाएं हैं, दो विद्यालय बता रहे हैं कि 6 योजनाएं हैं, तीन विद्यालय बता रहे हैं की 7 योजनाएं हैं. सिर्फ दिल्ली के चंद्रनगर स्थित राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय के द्वारा 12 योजनाओं की जानकारी दी गई है, भले ही अंग्रेजी में दी गई है.
अंग्रेजी में दी गई जानकारी
बता दें कि दिल्ली सरकार के द्वारा विद्यार्थियों को दी जाने वाली पुस्तिका में बच्चों से संबंधित 12 योजनाओं की जानकारी अंग्रेजी में छपी हुई है. अगर वह योजनाओं की जानकारी पुस्तिका में हिंदी में छपी हो तो संभव है कुछ अभिभावक उसको पढ़कर विद्यार्थियों के लिए आवेदन करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के अभिभावक अंग्रेजी नहीं जानते है.