नई दिल्ली : तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर को तोड़े जाने का मामला दिल्ली विधानसभा में भी जोर-शोर से उठा. बता दें कि विधानसभा सत्र में जब सत्ता पक्ष ने आम सहमति से इस मंदिर को दिल्ली सरकार द्वारा बनाने का बात कही और इसके लिए जमीन केंद्र सरकार से मांग की गई है.
बता दें कि मंदिर बनाने की रूपरेखा तथा कार्रवाई की निंदा को लेकर दिल्ली विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव भी पेश किया गया. जिस पर आखिर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अपनी बात रखेंगे.
'यह एक ऐतिहासिक महत्व का स्थल है'
विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायक विशेष रवि द्वारा तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर के दोबारा निर्माण को लेकर लाए गए संकल्प प्रस्ताव में कहा गया है कि यह सदन दलित समुदाय के इस विश्वास का सम्मान करता है कि यह जगह अफगान तानाशाह सिकंदर लोदी द्वारा संत रविदास को दान की गई थी. जिन्हें व्यापक रूप से दलित और अन्य समुदायों द्वारा पूजा जाता है. यह एक ऐतिहासिक महत्व का स्थल है. जहां स्वयं संत रविदास कुछ दिन आ कर रहे थे.
'दलित समुदाय के संघर्ष का इतिहास है'
उन्होंने कहा कि यह दलित समुदाय की पहचान और अधिकारों के लिए उनके संघर्ष का प्रतीक है. इस मंदिर के तोड़े जाने से ना केवल धार्मिक भावनाएं क्षत-विक्षत हुई है. दलित समुदाय के संघर्ष का इतिहास भी है.
उन्होंने कहा कि यह सदन संकल्प करता है कि केंद्र सरकार ने न्यायालय के समक्ष उनके मामले का समर्थन ना करके इस मामले का गलत तरीके से निपटारा किया. जिसके कारण अंततः इसका अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण विध्वंस हुआ. यह सदन लाखों लोगों की भावनाओं को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का भी संकल्प करता है और मांग करता है कि केंद्र सरकार इस पर तुरंत अध्यादेश लाकर यह भूमि संत रविदास मंदिर के लिए आवंटित करें.
उन्होंने कहा कि यह सदन संकल्प करता है कि केंद्र सरकार से भूमि आवंटन के पश्चात राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार इस जगह पर एक भव्य मंदिर बनाएं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया मंदिर
बता दें कि संत रविदास मंदिर जिस जगह बना हुआ था वह दिल्ली के वन क्षेत्र में आता है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को मंदिर हटाने का आदेश दिया था. उसी आदेश के तहत डीडीए ने पिछले दिनों इस मंदिर को तोड़ने की कार्रवाई की थी.