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गहलोत मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों ने दिये इस्तीफे...सीएम ने की राज्यपाल से मुलाकात

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Published : Nov 20, 2021, 10:37 PM IST

सीएमआर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक खत्म हो चुकी है. गहलोत कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिये हैं. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि रविवार को दोपहर 2 बजे सभी सदस्य पीसीसी कार्यालय पहुंचेंगे.

राजस्थान कांग्रेस मंत्रिमंडल
राजस्थान कांग्रेस मंत्रिमंडल

नई दिल्ली/जयपुरः राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर मंत्री परिषद की बैठक खत्म हो चुकी है. मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी मंत्रियों के इस्तीफा ले लिए गए हैं. कल कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में दोपहर 2 बजे बैठक होगी.

अब जिन मंत्रियों को मंत्रिपरिषद से हटाना है, उनके इस्तीफे राजभवन भेज दिए जाएंगे, बाकी इस्तीफे मुख्यमंत्री अपने पास रख लेंगे. माना जा रहा है कि पीसीसी कार्यालय से वे सदस्य राजभवन जा सकते हैं जिन्हें मंत्री पद की शपथ लेनी है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि मंत्रियों का शपथग्रहण कितने बजे होगा.

राजस्थान कांग्रेस मंत्रिमंडल

मंत्रिमंडल की बैठक में दो प्रस्ताव रखे गए थे. जिनमें एक प्रस्ताव में राजस्थान में मंत्री बनाने का आधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया गया है. दूसरे प्रस्ताव में कांग्रेस की परिपाटी के मुताबिक सभी मंत्रियों के इस्तीफे लिये गये. बैठक में प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने सम्बोधित किया. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि रविवार को दोपहर 2 बजे पीसीसी कार्यालय में बैठक होगी. इस बैठक में सभी सदस्य पहुंचेंगे. उनके बयान से ये संकेत मिल रहे हैं कि शपथ लेने वाले मंत्री यहीं से राजभवन जा सकते हैं.

पढ़ें- कृषि कानून वापसी पर बोले टिकैत-सरकार की तरफ से नहीं कोई पहल, किसानों के सभी कार्यक्रम तय

16 जिलों में नहीं कोई प्रतिनिधित्व

पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जहां 13 जिलों को गहलोत मंत्रिमंडल में पहले प्रतिनिधित्व नहीं था वहां कैसे प्रतिनिधित्व दिया जाए. पहले जिन 13 जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं था उनमे धौलपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ ,प्रतापगढ़, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरु, झुंझुनू, सिरोही, टोंक, सवाई माधोपुर और करौली है.

शिक्षा मंत्री रहे गोविंद डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रहे रघु शर्मा और राजस्व मंत्री रहे हरीश चौधरी के इस्तीफे होने के बाद प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं जहां मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. अब सीकर बाड़मेर और अजमेर में भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं रह गया है. ऐसे में पार्टी के सामने चुनौती यह होगी कि कैसे 16 जिलों को प्रतिनिधित्व दिया जाए.

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नई दिल्ली/जयपुरः राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर मंत्री परिषद की बैठक खत्म हो चुकी है. मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी मंत्रियों के इस्तीफा ले लिए गए हैं. कल कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में दोपहर 2 बजे बैठक होगी.

अब जिन मंत्रियों को मंत्रिपरिषद से हटाना है, उनके इस्तीफे राजभवन भेज दिए जाएंगे, बाकी इस्तीफे मुख्यमंत्री अपने पास रख लेंगे. माना जा रहा है कि पीसीसी कार्यालय से वे सदस्य राजभवन जा सकते हैं जिन्हें मंत्री पद की शपथ लेनी है. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि मंत्रियों का शपथग्रहण कितने बजे होगा.

राजस्थान कांग्रेस मंत्रिमंडल

मंत्रिमंडल की बैठक में दो प्रस्ताव रखे गए थे. जिनमें एक प्रस्ताव में राजस्थान में मंत्री बनाने का आधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया गया है. दूसरे प्रस्ताव में कांग्रेस की परिपाटी के मुताबिक सभी मंत्रियों के इस्तीफे लिये गये. बैठक में प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने सम्बोधित किया. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि रविवार को दोपहर 2 बजे पीसीसी कार्यालय में बैठक होगी. इस बैठक में सभी सदस्य पहुंचेंगे. उनके बयान से ये संकेत मिल रहे हैं कि शपथ लेने वाले मंत्री यहीं से राजभवन जा सकते हैं.

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16 जिलों में नहीं कोई प्रतिनिधित्व

पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जहां 13 जिलों को गहलोत मंत्रिमंडल में पहले प्रतिनिधित्व नहीं था वहां कैसे प्रतिनिधित्व दिया जाए. पहले जिन 13 जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं था उनमे धौलपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ ,प्रतापगढ़, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरु, झुंझुनू, सिरोही, टोंक, सवाई माधोपुर और करौली है.

शिक्षा मंत्री रहे गोविंद डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रहे रघु शर्मा और राजस्व मंत्री रहे हरीश चौधरी के इस्तीफे होने के बाद प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं जहां मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. अब सीकर बाड़मेर और अजमेर में भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं रह गया है. ऐसे में पार्टी के सामने चुनौती यह होगी कि कैसे 16 जिलों को प्रतिनिधित्व दिया जाए.

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