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दिल्ली में एक बार फिर आया सीलिंग का 'जिन्न', जमकर हो रही राजनीति

राजधानी में सीलिंग का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय है. राजनीतिक पार्टियां भी जमकर इसे भुनाने में लगी हैं. मुख्य तौर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी सीलिंग की चर्चा में शामिल हैं.

राजनीतिक चर्चा का विषय बनी सीलिंग
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Published : Jun 27, 2019, 12:26 AM IST

नई दिल्ली: बीते साल हजारों लोगों को प्रभावित करने के बाद दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का 'जिन्न' आ गया है. अमर कॉलोनी में सीलिंग के आदेश ने जहां एक तरफ लोगों को डराना शुरू कर दिया है, तो वहीं दूसरी और इस मुद्दे को भुनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहीं है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी इसमें सबसे आगे चल रही हैं.

आदेश के बावजूद सीलिंग नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी कोर्ट पहुंच गई है. साथ ही इसमें साउथ एमसीडी के रोल पर सवाल उठाए गए हैं. पूछा गया है कि सीलिंग नहीं करने को लेकर जिन प्रावधानों का जिक्र किया गया है, वो निगम को पहले याद क्यों नहीं आए? सवाल ये भी उठा कि ऐसे में उन लोगों को हर्जाना कौन देगा, जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था?

राजनीतिक चर्चा का विषय बनी सीलिंग

'आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी'

बीजेपी नेता और साउथ एमसीडी में नेता सदन कमलजीत सहरावत कहती हैं कि पिछले साल मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी, लेकिन उस समय न तो निगम अधिकारियों के पास इससे संबंधित कागजात थे और ना ही आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत. ऐसे में जो भी मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा वो किया गया.

सहरावत कहती हैं कि इस बार भी निगम मॉनिटरिंग कमेटी के आदेशानुसार सीलिंग के लिए तैयार था, लेकिन लैंड एंड डेवल्पमेंट ऑफिस ने स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2006 के आधार पर इन इमारतों की सीलिंग पर रोक लगाई है. ऐसे में निगम पर कोई सवाल नहीं उठता है, क्योंकि निगम तो बस आदेशों का पालन कर रहा है.

'बीजेपी भरे हर्जाना'

वहीं साउथ एमसीडी में नेता विपक्ष किशनवती इसे बीजेपी की गंदी राजनीति बताती हैं. वो कहती हैं कि आम आदमी पार्टी तो पहले ही सीलिंग के खिलाफ है, लेकिन बीजेपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब इस पर अलग रुख अपना रही है. पार्टी लाइन पर चलते हुए किशनवती कहती हैं कि जब अमर कॉलोनी में सीलिंग हो ही नहीं सकती तो बीजेपी को उन सभी लोगों को हर्जाना देना चाहिए, जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था.

क्या फिर होगी सीलिंग?

जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट में लैंड एंड डेवल्पमेंट ऑफिस और साउथ एमसीडी के अफसरों को तलब किया जाना तय है. इस मसले पर अगर तथ्यों को देखा जाए तो भी एजेंसियां अपने एक्शन को ही गलत ठहरा रही हैं. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि मॉनिटरिंग कमेटी के मानहानि के लिए अधिकारियों के पास क्या जवाब होगा, क्योंकि कमेटी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही की गई है. हालांकि इस सब के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से दिल्ली में सीलिंग होगी!

सीलिंग ना करने का मिला आदेश

बता दें कि मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर बीते मंगलवार को साउथ दिल्ली की रिफ्यूजी अमर कॉलोनी में सीलिंग की जानी थी. इसके लिए एमसीडी ने 150 से ज्यादा इमारतों को नोटिस भी भेज दिया था. हालांकि सीलिंग की कार्रवाई से पहले लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस की ओर से स्पेशल प्रोविजंस एक्ट का हवाला देते हुए सीलिंग नहीं करने के आदेश के साथ ही साउथ एमसीडी इससे मुकर गई थी.

नई दिल्ली: बीते साल हजारों लोगों को प्रभावित करने के बाद दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का 'जिन्न' आ गया है. अमर कॉलोनी में सीलिंग के आदेश ने जहां एक तरफ लोगों को डराना शुरू कर दिया है, तो वहीं दूसरी और इस मुद्दे को भुनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहीं है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी इसमें सबसे आगे चल रही हैं.

आदेश के बावजूद सीलिंग नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी कोर्ट पहुंच गई है. साथ ही इसमें साउथ एमसीडी के रोल पर सवाल उठाए गए हैं. पूछा गया है कि सीलिंग नहीं करने को लेकर जिन प्रावधानों का जिक्र किया गया है, वो निगम को पहले याद क्यों नहीं आए? सवाल ये भी उठा कि ऐसे में उन लोगों को हर्जाना कौन देगा, जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था?

राजनीतिक चर्चा का विषय बनी सीलिंग

'आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी'

बीजेपी नेता और साउथ एमसीडी में नेता सदन कमलजीत सहरावत कहती हैं कि पिछले साल मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी, लेकिन उस समय न तो निगम अधिकारियों के पास इससे संबंधित कागजात थे और ना ही आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत. ऐसे में जो भी मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा वो किया गया.

सहरावत कहती हैं कि इस बार भी निगम मॉनिटरिंग कमेटी के आदेशानुसार सीलिंग के लिए तैयार था, लेकिन लैंड एंड डेवल्पमेंट ऑफिस ने स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2006 के आधार पर इन इमारतों की सीलिंग पर रोक लगाई है. ऐसे में निगम पर कोई सवाल नहीं उठता है, क्योंकि निगम तो बस आदेशों का पालन कर रहा है.

'बीजेपी भरे हर्जाना'

वहीं साउथ एमसीडी में नेता विपक्ष किशनवती इसे बीजेपी की गंदी राजनीति बताती हैं. वो कहती हैं कि आम आदमी पार्टी तो पहले ही सीलिंग के खिलाफ है, लेकिन बीजेपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब इस पर अलग रुख अपना रही है. पार्टी लाइन पर चलते हुए किशनवती कहती हैं कि जब अमर कॉलोनी में सीलिंग हो ही नहीं सकती तो बीजेपी को उन सभी लोगों को हर्जाना देना चाहिए, जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था.

क्या फिर होगी सीलिंग?

जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट में लैंड एंड डेवल्पमेंट ऑफिस और साउथ एमसीडी के अफसरों को तलब किया जाना तय है. इस मसले पर अगर तथ्यों को देखा जाए तो भी एजेंसियां अपने एक्शन को ही गलत ठहरा रही हैं. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि मॉनिटरिंग कमेटी के मानहानि के लिए अधिकारियों के पास क्या जवाब होगा, क्योंकि कमेटी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही की गई है. हालांकि इस सब के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से दिल्ली में सीलिंग होगी!

सीलिंग ना करने का मिला आदेश

बता दें कि मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर बीते मंगलवार को साउथ दिल्ली की रिफ्यूजी अमर कॉलोनी में सीलिंग की जानी थी. इसके लिए एमसीडी ने 150 से ज्यादा इमारतों को नोटिस भी भेज दिया था. हालांकि सीलिंग की कार्रवाई से पहले लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस की ओर से स्पेशल प्रोविजंस एक्ट का हवाला देते हुए सीलिंग नहीं करने के आदेश के साथ ही साउथ एमसीडी इससे मुकर गई थी.

Intro:नई दिल्ली: बीते साल हजारों लोगों को प्रभावित करने के बाद दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का 'जिन्न' आ गया है. अमर कॉलोनी में सीलिंग के आदेश ने जहां एक तरफ लोगों को डराना शुरू कर दिया है तो वहीं दूसरी और इस मुद्दे को भुनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहीं है. आम आदमी पार्टी और भाजपा इसमें सबसे आगे चल रही हैं.


Body:आदेश के बावजूद सीलिंग नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनीटरिंग कमिटी कोर्ट तो पहुंच ही गई है. साथ ही इसमें साउथ एमसीडी के रोल पर सवाल उठाए गए हैं. पूछा गया है सीलिंग नहीं करने को लेकर जिन प्रावधानों का जिक्र किया गया है वो निगम को पहले याद क्यों नहीं आए और ऐसे में उन लोगों को हर्जाना कौन देगा जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था. भाजपा नेता और साउथ एमसीडी में नेता सदन कमलजीत सहरावत कहती है कि पिछले साल मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी लेकिन उस समय न तो निगम अधिकारियों के पास इससे संबंधित कागजात थे और ना ही आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत. ऐसे में जो भी मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा वह किया गया. सहरावत कहती हैं कि इस बार भी निगम मॉनिटरिंग कमेटी के आदेशानुसार सीलिंग के लिए तैयार थी लेकिन L&DO ने स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2006 के आधार पर इन इमारतों की सीलिंग पर रोक लगाई है. ऐसे में निगम पर कोई सवाल नहीं उठता है क्योंकि निगम तो बस आदेशों का पालन कर रही है. वही साउथ एमसीडी में नेता विपक्ष किशनवती इसे भाजपा की गंदी राजनीति बताती हैं. वह कहती हैं कि आम आदमी पार्टी तो पहले ही सीलिंग के खिलाफ है लेकिन भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब इस पर अलग रुख अपना रही है. पार्टी लाइन पर चलते हुए किशनवती कहती हैं कि जब अमर कॉलोनी में सीलिंग हो ही नहीं सकती तब भारतीय जनता पार्टी को उन सभी लोगों को हर्जाना देना चाहिए जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था. जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट में एलएन्डडीओ व साउथ एमसीडी के अफसरों को तलब किया जाना तय है. इस मसले पर अगर तथ्यों को देखा जाए तो भी एजेंसियां अपने एक्शन को ही गलत ठहरा रही हैं. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि मॉनीटरिंग कमिटी के मानहानि के लिए अधिकारियों के पास क्या जवाब होगा क्योंकि मॉनीटरिंग कमिटी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही की गई है. हालांकि इस सब के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से दिल्ली में सीलिंग होगी!


Conclusion:गौरतलब है कि मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर बीते मंगलवार को साउथ दिल्ली की रिफ्यूजी अमर कॉलोनी में सीलिंग की जानी थी. इसके लिए एमसीडी ने 150 से ज्यादा इमारतों को नोटिस भी भेज दिया था. हालांकि सीलिंग की कार्रवाई से पहले लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस की ओर से स्पेशल प्रोविजंस एक्ट का हवाला देते हुए सीलिंग नहीं करने के आदेश के साथ ही साउथ एमसीडी इससे मुकर गई थी.
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