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मंदी की चपेट में रावण! नहीं मिल रहे कारीगरों को अच्छे दाम - sale of Ravana

मंदी की मार इस बार हर त्योहार में दिखाई दे रही है. यहां तक कि रावण के निर्माण में भी कारीगरों को अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.

रावण की बिक्री पर पड़ी मंदी की मार
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Published : Oct 8, 2019, 8:34 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जगह-जगह पर रावण के पुतले बनाए गए हैं. जिनको दहन किया जाएगा और लोगों को अच्छाई पर बुराई का संदेश दिया जाएगा.

रावण की बिक्री पर पड़ी मंदी की मार

कारीगरों को नहीं मिलते अच्छे दाम
तुगलकाबाद में बने रावण के भव्य पुतले को कारीगर ने करीब 2 महीने की कडी़ मेहनत के बाद तैयार किया था लेकिन मुनाफा नाम मात्र का ही हुआ. कारीगरों का कहना था कि आज के दौर में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों की संख्या ज्यादा हो गई है. जिसके कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं और वह अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं.


उनका कहना था कि मंदी की मार इस बार हर त्योहार में दिखाई दे रही है. यहां तक कि रावण के निर्माण में भी उनको अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जगह-जगह पर रावण के पुतले बनाए गए हैं. जिनको दहन किया जाएगा और लोगों को अच्छाई पर बुराई का संदेश दिया जाएगा.

रावण की बिक्री पर पड़ी मंदी की मार

कारीगरों को नहीं मिलते अच्छे दाम
तुगलकाबाद में बने रावण के भव्य पुतले को कारीगर ने करीब 2 महीने की कडी़ मेहनत के बाद तैयार किया था लेकिन मुनाफा नाम मात्र का ही हुआ. कारीगरों का कहना था कि आज के दौर में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों की संख्या ज्यादा हो गई है. जिसके कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं और वह अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं.


उनका कहना था कि मंदी की मार इस बार हर त्योहार में दिखाई दे रही है. यहां तक कि रावण के निर्माण में भी उनको अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.

Intro:राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जगह-जगह पर रावण के पुतले बनाए गए हैं जिनका आज शाम दहन किया जाएगा और लोगों को अच्छाई पर बुराई का संदेश दिया जाएगा जिस प्रकार हर साल रामलीला का आयोजन किया जाता है और रामलीला के अंत में रावण के दहन के साथ ही रामलीला का यह त्यौहार खत्म होता है और दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत कहा जाता है


Body:2 महीने की कड़ी मेहनत के बाद होता है पुतलों का निर्माण
तुगलकाबाद विधानसभा में भी भव्य दशहरे के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जहां पर रावण मेघनाथ और कुंभकरण के विशाल पुतले बनाए जाते हैं और दशहरे की शाम को इनका दहन किया जाता है जब हम इन पुतलों को देखने के लिए पहुंचे तो हमने देखा काफी सुंदरता से और भव्य तरीके से कारीगरों ने इन पुतलों को करीब 2 महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है

कारीगरों को नहीं मिलते अच्छे दाम
कारीगरों का कहना था कि आज के दौर में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों की संख्या ज्यादा हो गई है जिसके कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं और वह अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं उनका कहना था कि मंदी की मार इस बार हर त्यौहार में दिखाई दे रही है यहां तक कि रावण के निर्माण में भी उनको अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं


Conclusion:बच्चों ने कहा बुराई को करेंगे खत्म
वहीं इस दौरान जब हमने रामलीला समिति के ग्राउंड में मौजूद कुछ बच्चों से की और उनसे यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार वह कौन सी बुराई है जिसे आज के दिन खत्म करेंगे तो तो बच्चों का साफ तौर पर कहना था कि पॉल्यूशन और प्लास्टिक फ्री समाज का हम निर्माण करेंगे और लोगों को संदेश देंगे

रावण दहन को लेकर उत्साहित बच्चे
क्योंकि हरेक त्योहार बच्चों के लिए बेहद खास होता है बड़ों से ज्यादा बच्चे उसके बहार को एंजॉय करते हैं इसलिए बच्चे दशहरा दिवाली को लेकर बेहद उत्साहित नजर आए
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