नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हाल ये है कि मरीज बिना समुचित इलाज के मौत के मुंह में समा जा रहे हैं. कोरोना की सुनामी के बीच दिल्ली में अब ऑक्सीजन के लिए हंगामा मचता दिख रहा है.
मंगलवार की शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में कुछ घंटों के ही ऑक्सीजन बचे है. केंद्र जल्द से जल्द ऑक्सीजन मुहैया कराए. इस ट्वीट के बाद हंगामा मच गया.
अभी इस ट्वीट को कुछ देर ही हुए थे कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी एक ट्वीट कर अस्पतालों में मौजूद ऑक्सीजन के भंडार का विवरण दे दिया. इस ट्वीट के बाद दिल्ली में ऑक्सीजन की स्थिति साफ हो चुकी थी.
इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई और विपक्ष इसे राजनीति की नजर से भी देखने लगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि 'दिल्ली का ऑक्सीजन के बिना दम घुट रहा है, हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है... फिर भी कोर्ट में पक्ष रखने के बजाय केजरीवाल सिर्फ़ ट्वीट कर रहे हैं. प्लानिंग के तहत पूंजीवादी मानसिकता वाली केजरीवाल सरकार और भाजपा मजदूरों को भगाने की मंशा से दिल्ली को वेंटिलेटर पर धकेल दिया है.
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक करोड़ों के विज्ञापन देने वाले आज दिल्ली में ना अस्पताल, ना ऑक्सीजन, ना बेड, ना दवाई. कहां गया देश का तथाकथित सबसे ज्यादा हेल्थ बजट? केंद्र से मांग का ड्रामा शुरू... शर्म करो केजरीवाल
क्या है वास्तविकता
नेताओं के बयानों से भले ही ये सियासी कहानी लग रही हो और शायद हो भी लेकिन ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर केजरीवाल सरकार पिछले कई दिनों से केंद्र से गुहार लगा रही है. 18 अप्रैल को सीएम केजरीवाल को पत्र लिख कर ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया था. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन की भी भारी कमी हो रही है. हमें ऑक्सीजन भी तुरंत मुहैया कराई जाए. उन्होंने लिखा है कि इसकी जानकारी मैंने कल डॉ. हर्षवर्धन और आज सुबह अमित शाह को दे दी है.
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इसी दिन अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में सीएम केजरीवाल ने लिखा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के हिस्से वाले मेडिकल ऑक्सीजन को जो दूसरे राज्यों को डायवर्ट किया है. उसको वापस रिस्टोर किया जाए. इसके अलावा रोजाना 700 मेट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाई जाए. मुख्यमंत्री ने दिल्ली में कोरोना की गम्भीर होती स्थिति का जिक्र भी इस चिट्ठी में किया था. सीएम केजरीवाल ने लिखा था कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए फार्मूले के हिसाब से ही दिल्ली को हर दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इस मामले में विभागीय सचिव को 17 अप्रैल को अवगत भी कराया गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
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इससे पहले 17 अप्रैल को भी CM ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि दिल्ली में ऑक्सीजन तथा रेमदेसीविर जैसी प्राण रक्षक दवाइयों की कमी है. कुछ निजी अस्पतालों से हमें यह सूचना मिल रही है कि उनके पास ऑक्सीजन की कमी हो रही है. मैंने केंद्र स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बात की है और उनसे अविलंब दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा रेमदेसीविर जैसे प्राण रक्षक दवाइयों की मांग की है.
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19 अप्रैल को मामला और गंभीर हो गया और कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई. इस दिन दिल्ली सरकार के एक बड़े कोरोना अस्पताल राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऑक्सीजन की मांग सामान्य दिनों की तुलना में 10 गुना ज्यादा बढ़ गई.
इसके बाद 20 अप्रैल को हालत और खराब हो गई जब दिल्ली के अस्पतालों में कुछ घंटों के लिए ही ऑक्सीजन बचा. केजरीवाल सरकार चिट्ठी तो लिख ही चुकी थी इस बार सीधे ट्वीट कर केंद्र से मदद की गुहार लगाने लगे. हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कुछ सख्त आदेश दिए.
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क्या कहा हाईकोर्ट ने
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई की स्थिति काफी खराब है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऑक्सीजन सप्लाई के आदेश का पालन नहीं करने पर आईनॉक्स कंपनी के मालिक और प्रबंध निदेशक को आज कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यूपी सरकार के मुख्य सचिव को भी 22 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा पेट्रोलियम का उत्पादन बढ़ाने की बजाय लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि पेट्रोलियम और स्टील उद्योगों की ऑक्सीजन सप्लाई कुछ दिनों के लिए कम करने पर गंभीरता से विचार करे. कोर्ट ने कहा कि स्टील उद्योग में भी उत्पादन कम किया जा सकता है. आज लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है.
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बता दें कि दिल्ली में पिछले कई दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या 20 हजार से ज्यादा आ रही है. अस्पतालों में बेड्स कम पड़ गए हैं और मरीज ऑक्सीजन के लिए तड़पते दिख रहे हैं. हाल ये है लोग सोशल मीडिया से लेकर ब्लैक मार्केट तक में ऑक्सीजन के लिए गुहार लगा रहे है.