नई दिल्ली: नृत्य और भारतीय संस्कृति का एक ऐसा गठजोड़ है, जिसको समझना बेहद जरूरी है. हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है. इसी कड़ी में मशहूर कथक डांसर पद्मश्री रंजना गौहर की शिष्याओं ने शनिवार को दिल्ली के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में सु-तरंग के 15वें संस्करण के तहत दर्शकों के सामने मनभावन प्रस्तुति दी. ये उत्सव एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा प्रेरित और संकल्पित किया गया. यह सोसायटी रंजना गौहर द्वारा स्थापित की गई है.
रंजना गौहर का बयान "कहते हैं अगर मनुष्य को स्वस्थ रहना है, तो उसे अपने जीवन में दो चीजें जरूर करनी चाहिए. पहला खुश रहना और दूसरा डांस. डांस को केवल मनोरंजन के तौर पर न देखें, बल्कि ये आपको खुश रखने के अलावा कई अन्य तरह के भी लाभ देता है. इसके अलावा भारत की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है".
त्रिवेणी कला संगम में आयोजित इस कार्यक्रम में रंजना गौहर की 32 शिष्याओं और 3 वरिष्ठ कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. अपने कथक की अद्भुत प्रस्तुति से नर्तकियों ने हॉल में बैठे सभी दर्शकों का मन मोह लिया. कार्यक्रम के अंत में तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा. अंत में सभी ने खड़े होकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया.
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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की कब से हुई शुरुआत: यूनेस्को के इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल 1982 को महान नृतक जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिन पर ये घोषणा की थी. तब से अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. बता दें कि जार्ज नावेरे फ्रेंच डांसर थे. 19वीं सेंचुरी में उन्हें डांस की कई विधाओं का जनक माना गया है. जार्ज नावेरे चाहते थे कि डांस को स्कूली स्तर से ही शिक्षा में शामिल किया जाए.
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