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Raksha Bandhan: राखी का वचन निभाने के लिये पोरस ने बख्शे थे सिकंदर के प्राण, पढ़िये पूरी कहानी

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के महत्व को समझने के लिए हमें सिकंदर की प्रेमिका और पंजाब के राजा पोरस की कहानी (story of porus) जरूर पढ़ना चाहिये. जिसमें पोरस ने राखी का वचन निभाने के लिये सिकंदर (Alexander) को जीवनदान दे दिया था. जिसके बाद सिकंदर हृदय परिवर्तन हुआ और उसे अपने देश लौटने को मजबूर होना पड़ा.(raksha bandhan story)

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राखी का वचन निभाने के लिये पोरस ने बख्से थे सिंकंदर के प्राण
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Published : Aug 22, 2021, 12:34 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 1:31 PM IST

नई दिल्ली: आज रक्षाबंधन है. हिंदू धर्म में इस त्योहार का क्या महत्व है, इसे सिकंदर की प्रेमिका और पंजाब के राजा पोरस की कहानी (raksha bandhan story) से समझा जा सकता है. इस कहानी (story of porus) से पता चलता है कि राखी (Rakhi) का रिश्ता कितना गहरा होता है. यह कहानी भारतीय राजा पोरस और सिकंदर के बीच युद्ध (War between King Porus and Sikandar) और पोरस द्वारा सिकंदर को जीवनदान देने की है. जिसने विश्व के कई देशों में राज करने वाले सिकंदर (Alexander) का हृदय परिवर्तन कर उसे अपने देश लौटने को मजबूर कर दिया.

रक्षाबंधन के ETV Positive Bharat podcast में सुनिये, सिकंदर की प्रेमिका और पोरस की कहानी

विश्व विजय के अभियान में निकला ग्रीक शासक सिकंदर ईरान, अफगानिस्तान समेत कई देश जीतकर लगातार आगे बढ़ रहा था, इसी बीच उसका सामना हुआ भारत के पंजाब क्षेत्र के महाराज पोरस यानी पुरु से, जिन्होंने सिकंदर के सामने घुटने नहीं टेके और सिकंदर द्वारा आधीनता स्वीकार करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

जिसके बाद यूनानी सैनिकों ने पुरु के साम्राज्य को घेर लिया, और युद्ध छिड़ गया. कई दिनों तक घमासान युद्ध हुआ, दोनों ओर के अनेक योद्धा मारे गये, लेकिन हार जीत का निर्णय नहीं हो सका.

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सिकंदर के साथ उसकी ईरानी प्रेमिका भी आई हुई थी. वह पड़ाव के बीच भारतीय लोगों से मिलती और भारतीय संस्कृति जानने की कोशिश कर रही थी. दुश्मन होने के बाद भी भारतीय हिंदुओं से मिल रहे सम्मान और अपनापन से वह हैरान थी.

इसी बीच रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का पावन त्योहार आया. भारतीय बहनें रंग-बिरंगे धागों से अपने भाइयों के लिए राखियां तैयार कर रहीं थी, जिन्होंने सिकंदर की प्रेमिका को रक्षा बंधन का महत्व बताया और कहा कि इस राखी के बदले उनका भाई जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देता है.

सिकंदर की प्रेमिका पुरु की बहादुरी सुनकर सिकंदर के जीवन को लेकर चिंतित थी तो उसने रक्षाबंधन के दिन पुरु को राखी बांधने का निर्णय लिया. उसे विश्वास था कि रक्षाबन्धन के दिन वह पुरु को राखी बांधकर सिकंदर की रक्षा कर सकती है.

सिकंदर की प्रेमिका रक्षा बंधन के दिन थाली में मिठाई और राखी रखकर बिना डरे होकर पुरु के पास पहुंची और कहा अपनी छोटी बहन का प्रणाम स्वीकार करें. पुरु ने युवती का पूरे सम्मान के साथ स्वागत किया और राखी बांधने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया. युवती ने पुरु को प्यार से राखी बांधी और मिठाई खिलाई.

इसके बाद युवती ने कहा कि शायद आप मुझे नहीं जानते कि मैं कौन हूं. इस पर पुरु ने कहा कि एक भाई अपनी बहन को न जाने ये कैसे हो सकता है. यह सुनकर सिकंदर की प्रेमिका की आंखों में पानी आ गया. उसने बताया कि वह सिकंदर की प्रेमिका है और सिकंदर के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती.

अपनी बहन की बात सुन पुरु ने युद्ध में सिकंदर की प्राण रक्षा का वचन दिया और कहा कि बहन के सुहाग की रक्षा करना एक भाई का फर्ज है. इसके बाद पुरु ने सिकंदर की प्रेमिका को अपनी सगी बहन की तरह विदा किया और अनेक उपहार देकर उसके शिविर में भेजा.

कुछ दिन बाद जब पुरु और सिकंदर की सेना में फिर युद्ध शुरु हो गया. युद्ध के दौरान एक दिन ऐसी स्थिति आई कि जब पुरु सिकंदर की जान लेकर युद्ध जीत सकता थे. हाथी पर सवार पुरु घोड़े पर सवार सिकंदर पर वार करने ही वाले थे लेकिन उन्हें ईरानी बहन को दिया हुआ वचन याद आ गया, जिसके बाद उन्होंने सिकंदर को जीवनदान दे दिया. पुरु की उदारता से सिकंदर भी हैरान था लेकिन वह समझ न सका.

कई दिनों तक चले इस युद्ध के बाद सिकंदर जीत गया और राजा पुरु को बंदी बना लिया गया, इस बात से पूरा यूनानी सम्राज्य खुश था लेकिन सिकंदर की प्रेमिका दुखी थी. सिकंदर ने जब इसका कारण पूछा तो उसने रक्षाबन्धन का सारा घटनाक्रम सुनाया. तब सिकंदर को पता चला कि उस दिन युद्ध में सम्राट पुरु ने उसे क्यों नहीं मारा. सिकंदर को ये अहसास हो गया था कि युद्ध उसने नहीं पुरु ने जीता है.

अगले दिन पुरु को बंदी की भांति दरबार में पेश किया गया. सिकंदर ने पुरु से पूछा, आपके साथ कैसा बर्ताव किया जाए. जिस पर पुरु ने सहज भाव से कहा, जैसा एक राजा को दूसरे राजा के साथ करना चाहिए. यह सुनते ही सिकंदर गद्दी से उठा खड़ा हुआ और आत्मीयता से पुरु को गले लगाकर बोला न ही कोई हारा है न जीता है. आज से हम मित्र हैं. बताया जाता है कि इस घटना से प्रभावित सिकंदर ने राजा पोरस को उनका राज्य वापस लौटा दिया और अपने देश वापस लौट गया.

नई दिल्ली: आज रक्षाबंधन है. हिंदू धर्म में इस त्योहार का क्या महत्व है, इसे सिकंदर की प्रेमिका और पंजाब के राजा पोरस की कहानी (raksha bandhan story) से समझा जा सकता है. इस कहानी (story of porus) से पता चलता है कि राखी (Rakhi) का रिश्ता कितना गहरा होता है. यह कहानी भारतीय राजा पोरस और सिकंदर के बीच युद्ध (War between King Porus and Sikandar) और पोरस द्वारा सिकंदर को जीवनदान देने की है. जिसने विश्व के कई देशों में राज करने वाले सिकंदर (Alexander) का हृदय परिवर्तन कर उसे अपने देश लौटने को मजबूर कर दिया.

रक्षाबंधन के ETV Positive Bharat podcast में सुनिये, सिकंदर की प्रेमिका और पोरस की कहानी

विश्व विजय के अभियान में निकला ग्रीक शासक सिकंदर ईरान, अफगानिस्तान समेत कई देश जीतकर लगातार आगे बढ़ रहा था, इसी बीच उसका सामना हुआ भारत के पंजाब क्षेत्र के महाराज पोरस यानी पुरु से, जिन्होंने सिकंदर के सामने घुटने नहीं टेके और सिकंदर द्वारा आधीनता स्वीकार करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

जिसके बाद यूनानी सैनिकों ने पुरु के साम्राज्य को घेर लिया, और युद्ध छिड़ गया. कई दिनों तक घमासान युद्ध हुआ, दोनों ओर के अनेक योद्धा मारे गये, लेकिन हार जीत का निर्णय नहीं हो सका.

गाजियाबाद: रक्षाबंधन मनाने भाई के घर पहुंची थी बहन, जर्जर छज्जा गिरा, 8 महीने के बच्चे की मौत

सिकंदर के साथ उसकी ईरानी प्रेमिका भी आई हुई थी. वह पड़ाव के बीच भारतीय लोगों से मिलती और भारतीय संस्कृति जानने की कोशिश कर रही थी. दुश्मन होने के बाद भी भारतीय हिंदुओं से मिल रहे सम्मान और अपनापन से वह हैरान थी.

इसी बीच रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का पावन त्योहार आया. भारतीय बहनें रंग-बिरंगे धागों से अपने भाइयों के लिए राखियां तैयार कर रहीं थी, जिन्होंने सिकंदर की प्रेमिका को रक्षा बंधन का महत्व बताया और कहा कि इस राखी के बदले उनका भाई जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देता है.

सिकंदर की प्रेमिका पुरु की बहादुरी सुनकर सिकंदर के जीवन को लेकर चिंतित थी तो उसने रक्षाबंधन के दिन पुरु को राखी बांधने का निर्णय लिया. उसे विश्वास था कि रक्षाबन्धन के दिन वह पुरु को राखी बांधकर सिकंदर की रक्षा कर सकती है.

सिकंदर की प्रेमिका रक्षा बंधन के दिन थाली में मिठाई और राखी रखकर बिना डरे होकर पुरु के पास पहुंची और कहा अपनी छोटी बहन का प्रणाम स्वीकार करें. पुरु ने युवती का पूरे सम्मान के साथ स्वागत किया और राखी बांधने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया. युवती ने पुरु को प्यार से राखी बांधी और मिठाई खिलाई.

इसके बाद युवती ने कहा कि शायद आप मुझे नहीं जानते कि मैं कौन हूं. इस पर पुरु ने कहा कि एक भाई अपनी बहन को न जाने ये कैसे हो सकता है. यह सुनकर सिकंदर की प्रेमिका की आंखों में पानी आ गया. उसने बताया कि वह सिकंदर की प्रेमिका है और सिकंदर के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती.

अपनी बहन की बात सुन पुरु ने युद्ध में सिकंदर की प्राण रक्षा का वचन दिया और कहा कि बहन के सुहाग की रक्षा करना एक भाई का फर्ज है. इसके बाद पुरु ने सिकंदर की प्रेमिका को अपनी सगी बहन की तरह विदा किया और अनेक उपहार देकर उसके शिविर में भेजा.

कुछ दिन बाद जब पुरु और सिकंदर की सेना में फिर युद्ध शुरु हो गया. युद्ध के दौरान एक दिन ऐसी स्थिति आई कि जब पुरु सिकंदर की जान लेकर युद्ध जीत सकता थे. हाथी पर सवार पुरु घोड़े पर सवार सिकंदर पर वार करने ही वाले थे लेकिन उन्हें ईरानी बहन को दिया हुआ वचन याद आ गया, जिसके बाद उन्होंने सिकंदर को जीवनदान दे दिया. पुरु की उदारता से सिकंदर भी हैरान था लेकिन वह समझ न सका.

कई दिनों तक चले इस युद्ध के बाद सिकंदर जीत गया और राजा पुरु को बंदी बना लिया गया, इस बात से पूरा यूनानी सम्राज्य खुश था लेकिन सिकंदर की प्रेमिका दुखी थी. सिकंदर ने जब इसका कारण पूछा तो उसने रक्षाबन्धन का सारा घटनाक्रम सुनाया. तब सिकंदर को पता चला कि उस दिन युद्ध में सम्राट पुरु ने उसे क्यों नहीं मारा. सिकंदर को ये अहसास हो गया था कि युद्ध उसने नहीं पुरु ने जीता है.

अगले दिन पुरु को बंदी की भांति दरबार में पेश किया गया. सिकंदर ने पुरु से पूछा, आपके साथ कैसा बर्ताव किया जाए. जिस पर पुरु ने सहज भाव से कहा, जैसा एक राजा को दूसरे राजा के साथ करना चाहिए. यह सुनते ही सिकंदर गद्दी से उठा खड़ा हुआ और आत्मीयता से पुरु को गले लगाकर बोला न ही कोई हारा है न जीता है. आज से हम मित्र हैं. बताया जाता है कि इस घटना से प्रभावित सिकंदर ने राजा पोरस को उनका राज्य वापस लौटा दिया और अपने देश वापस लौट गया.

Last Updated : Aug 22, 2021, 1:31 PM IST
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