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Delhi NCR में फिर बढ़ा प्रदूषण, ‘बेहद खराब’ हो सकती है हवा, यहां चेक करें AQI - in Delhi NCR

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) यानी एनसीआर में प्रदूषण फिर बढ़ गया है. हवा की गुणवत्ता बताने वाला सूचकांक यानी Air quality Index अधिकतर जगह अभी 'खराब' श्रेणी में है और आशंका जताई जा रही है कि ये हवा ‘बेहद खराब’ हो सकती है. यहां चेक करें AQI

Delhi NCR में फिर बढ़ा प्रदूषण
Delhi NCR में फिर बढ़ा प्रदूषण
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Published : Nov 17, 2022, 11:25 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी (200-300 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी में बरकरार है. दिल्ली एनसीआर के हालात मौजूदा समय में खराब नजर आ रहे हैं. दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, सिरी फोर्ट, आरके पुरम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नेहरू नगर, पटपड़गंज, सोनिया विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार, अशोक विहार, नरेला, ओखला फेस 2, वजीरपुर, बवाना और मुंडका इलाके का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बना हुआ है.

दिल्ली
अलीपुर: 266
शादीपुर: 275
आरके पुरम :258
सिरी फोर्ट: 257
आईटीओ: 211
पूसा : 213
नेहरू नगर 268
अशोक विहार 262

गाज़ियाबाद
लोनी: 192
इंदिरापुरम : 149
सेक्टर 116

नोएडा

नोएडा 206

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Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.


पार्टिकुलेट मैटर(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस से बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में एकत्र होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि ये कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानियां सामने आती हैं.

ये भी पढ़ें :-कैंसर की नकली दवाइयां ऑनलाइन बेचने वाले गैंग के 7 बदमाश दिल्ली से गिरफ्तार, 8 करोड़ की नकली दवा जब्त

नई दिल्ली : दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी (200-300 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी में बरकरार है. दिल्ली एनसीआर के हालात मौजूदा समय में खराब नजर आ रहे हैं. दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, सिरी फोर्ट, आरके पुरम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नेहरू नगर, पटपड़गंज, सोनिया विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार, अशोक विहार, नरेला, ओखला फेस 2, वजीरपुर, बवाना और मुंडका इलाके का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बना हुआ है.

दिल्ली
अलीपुर: 266
शादीपुर: 275
आरके पुरम :258
सिरी फोर्ट: 257
आईटीओ: 211
पूसा : 213
नेहरू नगर 268
अशोक विहार 262

गाज़ियाबाद
लोनी: 192
इंदिरापुरम : 149
सेक्टर 116

नोएडा

नोएडा 206

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Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.


पार्टिकुलेट मैटर(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस से बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में एकत्र होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि ये कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानियां सामने आती हैं.

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