2014 और 2017 के आवंटियों के ये फ्लैट्स रोहिणी, नरेला, सीरसपुर, जसोला आदि इलाकों में बने हुए हैं. साल 2014 की आवासीय योजना में फ्लैट पाने वाली महिला ने बताया कि उन्होंने एलआईजी फ्लैट के लिए आवेदन दिया था. जब उनका फ्लैट निकला तो वह बहुत खुश थी, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि धोखे से डीडीए ने उन्हें एलआईजी की जगह ईडब्ल्यूएस फ्लैट दे दिया है.
इसके बाद से वह लगातार डीडीए से मांग कर रही हैं कि उन्हें वास्तविक एलआईजी फ्लैट दिया जाए, लेकिन अभी तक डीडीए ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की है. वह अकेली नहीं हैं बल्कि हजारों ऐसे लोग इसी समस्या से परेशान हैं.
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'डीडीए के फ्लैट ना खरीदें लोग'
महिला आवंटी ने बताया कि डीडीए नई आवासीय योजना लेकर आ रहा है, जिसमें 10 हजार फ्लैट होने की बात कही जा रही है. यह योजना आगामी मार्च माह में आने की संभावना है. उन्होंने बताया कि साल 2014 में लौटाए गए फ्लैट 2017 की आवासीय योजना में निकाले गए और 2017 में लौटाए गए फ्लैट अब इस आवासीय योजना के जरिए लोगों को बेचने जा रहे हैं. इसलिए वह लोगों से अपील करते हैं कि डीडीए के झांसे में न फंसे.
अभी तक नहीं पहुंची हैं बुनियादी सुविधाएं
साल 2014 के आवंटियों की माने तो अभी तक नरेला और रोहिणी जैसे इलाकों में बुनियादी सुविधाएं भी डीडीए नहीं पहुंचा पाया है. वहां सड़क, पानी, स्कूल, अस्पताल आदि की सुविधाएं अभी तक नहीं हैं. यहां पर बेहद गंदा पानी मिलता है जिसकी वजह से यहां लोग रहना पसंद नहीं करते.
अब तक जो फ्लैट बेचे गए हैं उनमें से 70 फीसदी से ज्यादा लोग यहां पर रहने नहीं आए हैं. दरअसल यहां पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में नई योजना के तहत डीडीए लोगों को भी एक बार फिर से फंसाने का प्रयास कर रहा है.
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