नई दिल्ली: कोरोना महामारी देश में भारी तबाही लेकर आई लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी देश में कोरोना से इतने लोगों की मौत नहीं हुई, जितनी मौतें तंबाकू खाने से हो रही हैं और इसका सबसे अधिक शिकार युवा हो रहे हैं. इसके बावजूद मौत का ये व्यापार खुलेआम हो रहा है और युवा तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहा है.
कोरोना की तुलना में ज्यादा मौत
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में तम्बाकू से हर साल करीब 12 लाख 80 हजार लोगों की मौत होती है. जबकि कोरोना से अब तक एक लाख 55 हजार लोगों की मौत हुई है. देश में तम्बाकू से मरने वालों का हर दिन का आंकड़ा करीब साढ़े 3 हजार है, यह कोरोना से एक दिन में हुई सबसे ज्यादा मौत के आंकड़े से तीन गुना ज्यादा है.
50% केस तम्बाकू वाले कैंसर के
चिंता की बात यह है कि तम्बाकू के कारण होने वाली मौतों का एक बड़ा आंकड़ा राजधानी दिल्ली से जुड़ा है. दिल्ली जो तम्बाकू कैंसर से जूझने वाले देशभर के लोगों के लिए उम्मीदों की जगह है, वो खुद तम्बाकू के कहर से निजात नहीं पा रही. दिल्ली सरकार के कैंसर के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट में इसी साल अब तक साढ़े 3 हजार से ज्यादा कैंसर के मामले आ चुके हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से करीब आधे केस तम्बाकू के कारण होने वाले कैंसर से जुड़े हैं.
ज्यादातर युवा हो रहे शिकार
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट (DSCI) में एनोकोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. प्रज्ञा शुक्ला बताती हैं कि तम्बाकू के कारण होने वाले कैंसर के जितने मरीज इलाज के लिए आते हैं, उनमें से ज्यादातर युवा हैं और यह सबसे चिंता की बात है. ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने बताया कि पहले इनमें से ज्यादातर मरीजों की औसत आयु 40 साल या उससे ज्यादा होती थी, लेकिन बीते 3-4 सालों के आंकड़े बताते हैं कि तम्बाकू सेवन से पैदा हुए कैंसर के ज्यादातर मरीज 40 साल से कम के हैं.
भयावह हैं तम्बाकू से जुड़े कैंसर के आंकड़े
बीते कुछ सालों में दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट में इलाज के लिए आए मरीजों का आंकड़ा देखें, तो 2018 में यह संख्या 13,846 थी. इनमें से 2773 मरीज केवल गले और गर्दन से ऊपर के कैंसर से जूझ रहे थे, जिसका कारण तम्बाकू का सेवन था. वहीं इस दौरान खाने की नली से जुड़े कैंसर के 264 मरीज आए, वहीं फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या 47 थी. इनकी बीमारी का कारण भी तम्बाकू सेवन ही था. 2019 का आंकड़ा देखें तो इस साल DSCI में 17,281 कैंसर के मरीज आए.
दो महीने में आ गए साढ़े 3 हजार केस
2019 में आए मरीजों में भी तम्बाकू उत्पादों के कारण कैंसर का शिकार हुए लोगों की संख्या करीब आधी थी. 2020 में कोरोना के कारण यहां भर्ती होने वाले कैंसर के मरीजों की संख्या में कुछ कमी आई, लेकिन 2021 के शुरुआती दो महीने में ही 3500 से ज्यादा मरीज कैंसर के इलाज के लिए आ चुके हैं. डॉ. प्रज्ञा शुक्ला तम्बाकू और गुटकों के प्रतिबंध को लेकर उठाए जाने वाले कदमों के प्रति चिंता जताती हैं. उन्होंने कहा कि दुखद है कि आज मास्क और गुटखा एक ही जगह बिक रहा है.
निगम चलाएगा जागरूकता अभियान
दिल्ली में तम्बाकू उत्पादों पर लगे प्रतिबंध के क्रियान्वयन की एक बड़ी जिम्मेदारी निगमों की है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन, विनीत वोहरा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि गुटके पर तो प्रतिबंध है ही, हमारी कोशिश होती है कि स्कूलों और कॉलेज के सामने पान मसालों की भी बिक्री नहीं हो. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई तम्बाकू उत्पादों की बिक्री करता हुआ मिलता है, तो उसपर कार्रवाई की जाती है. विनीत वोहरा ने इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही.
दावों से दूर खुलेआम हो रही बिक्री
विनीत वोहरा का कहना था कि हमारी सबसे ज्यादा कोशिश होती है कि किस तरह युवाओं को खासतौर पर गुटका या तम्बाकू उत्पादों से दूर रखा जाए. उन्होंने बताया कि इसके लिए निगम के अधिकारी लगातार औचक दौरे भी करते हैं. हालांकि जमीन पर देखें, तो निगम के ये दावे हकीकत से दूर नजर आते हैं. दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में गुटका और तम्बाकू उत्पादों की खुलेआम बिक्री देखी जा सकती है. कई जगह ये दुकानें पुलिस स्टेशन, सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के पास भी हैं.