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डीयू शिक्षकों के बदले सुर, ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी - DU teacher

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा को अब छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी बताया है. साथ ही उनका कहना है कि ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा कोई आसान काम नहीं है. जितना मुश्किल परीक्षा का आयोजन है उतना ही मुश्किल इसका मूल्यांकन भी होगा.

Pro. Ranjana Mukhopadhyay
प्रो. रंजना मुखोपाध्याय
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Published : May 31, 2020, 7:48 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाली ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा को लेकर शुरू से विरोध करते चले आ रहे शिक्षकों के अब सुर बदलने लगे हैं. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षा को लेकर डेटशीट जारी करने के बाद अब शिक्षक भी परीक्षा का समर्थन करते नजर आ रहे हैं.

ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम पर प्रो. रंजना मुखोपाध्याय से खास बाचचीत

शिक्षकों का कहना है कि छात्रों के भविष्य के लिए यह परीक्षा बहुत जरूरी है, क्योंकि अभी छात्र विश्वविद्यालय आ नहीं सकते ऐसे में ओपन बुक एग्जाम ही एक मात्र विकल्प है. हालांकि शिक्षकों का यह भी मानना है कि इस परीक्षा का मूल्यांकन करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.


ऑनलाइन परीक्षा के समर्थन में शिक्षक

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. रंजना मुखोपाध्याय ने कहा कि स्थिति को देखते हुए इस समय ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम का विकल्प ही सही है. उन्होंने कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि बिना परीक्षा फाइनल ईयर के छात्रों को पास नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस समय छात्र कॉलेज तो आ नहीं सकते. ऐसे में परीक्षा में जितनी देरी होगी उतना ही छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा और उनका शैक्षणिक वर्ष भी खराब जाएगा.

डिजिटल डिवाइड की थी संभावना

वहीं प्रोफेसर रंजना का कहना है कि पहले इसलिए इस परीक्षा का विरोध किया जा रहा था क्योंकि ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के लिए छात्रों के पास कई संसाधन जैसे कि कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर आदि होना जरूरी है. लेकिन दूरदराज के गांव में या पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले छात्रों के पास यह सभी संसाधन उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा इंटरनेट की सुविधा भी सबके पास नहीं है. इसीलिए डिजिटल डिवाइड की संभावनाओं को देखते हुए शिक्षक समुदाय इस परीक्षा का विरोध कर रहा था.

छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी

वहीं प्रोफेसर रंजना का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने रेगुलर, एनसीवेब और एसओएल के फाइनल ईयर के सभी छात्रों की एक साथ परीक्षा लेने के लिए जो विकल्प निकाला है, फिलहाल इसके सिवा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. छात्रों के भविष्य के लिए यह परीक्षा बहुत जरूरी है. यही कारण है कि अब शिक्षक समुदाय भी इस पर सहमति देने लगा है. वहीं उन्होंने कहा कि अभी तक परीक्षा में जो एक सत्यता होती है वह इस ओपन बुक परीक्षा में बरकरार रहेगी कि नहीं इस पर संशय बना हुआ है. इसके अलावा मार्च माह से ही शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में छात्रों की कितनी तैयारी है और किस पुस्तक की मदद से वह यह परीक्षा देंगे यह भी अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है. अब देखने वाली बात होगी कि दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से मूल्यांकन करने को लेकर भी क्या दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाली ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा को लेकर शुरू से विरोध करते चले आ रहे शिक्षकों के अब सुर बदलने लगे हैं. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षा को लेकर डेटशीट जारी करने के बाद अब शिक्षक भी परीक्षा का समर्थन करते नजर आ रहे हैं.

ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम पर प्रो. रंजना मुखोपाध्याय से खास बाचचीत

शिक्षकों का कहना है कि छात्रों के भविष्य के लिए यह परीक्षा बहुत जरूरी है, क्योंकि अभी छात्र विश्वविद्यालय आ नहीं सकते ऐसे में ओपन बुक एग्जाम ही एक मात्र विकल्प है. हालांकि शिक्षकों का यह भी मानना है कि इस परीक्षा का मूल्यांकन करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.


ऑनलाइन परीक्षा के समर्थन में शिक्षक

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. रंजना मुखोपाध्याय ने कहा कि स्थिति को देखते हुए इस समय ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम का विकल्प ही सही है. उन्होंने कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि बिना परीक्षा फाइनल ईयर के छात्रों को पास नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस समय छात्र कॉलेज तो आ नहीं सकते. ऐसे में परीक्षा में जितनी देरी होगी उतना ही छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा और उनका शैक्षणिक वर्ष भी खराब जाएगा.

डिजिटल डिवाइड की थी संभावना

वहीं प्रोफेसर रंजना का कहना है कि पहले इसलिए इस परीक्षा का विरोध किया जा रहा था क्योंकि ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के लिए छात्रों के पास कई संसाधन जैसे कि कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर आदि होना जरूरी है. लेकिन दूरदराज के गांव में या पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले छात्रों के पास यह सभी संसाधन उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा इंटरनेट की सुविधा भी सबके पास नहीं है. इसीलिए डिजिटल डिवाइड की संभावनाओं को देखते हुए शिक्षक समुदाय इस परीक्षा का विरोध कर रहा था.

छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी

वहीं प्रोफेसर रंजना का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने रेगुलर, एनसीवेब और एसओएल के फाइनल ईयर के सभी छात्रों की एक साथ परीक्षा लेने के लिए जो विकल्प निकाला है, फिलहाल इसके सिवा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. छात्रों के भविष्य के लिए यह परीक्षा बहुत जरूरी है. यही कारण है कि अब शिक्षक समुदाय भी इस पर सहमति देने लगा है. वहीं उन्होंने कहा कि अभी तक परीक्षा में जो एक सत्यता होती है वह इस ओपन बुक परीक्षा में बरकरार रहेगी कि नहीं इस पर संशय बना हुआ है. इसके अलावा मार्च माह से ही शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में छात्रों की कितनी तैयारी है और किस पुस्तक की मदद से वह यह परीक्षा देंगे यह भी अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है. अब देखने वाली बात होगी कि दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से मूल्यांकन करने को लेकर भी क्या दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं.

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