नई दिल्ली: राजधानी में यातायात नियमों का उल्लंघन करने के मामले में रोजाना औसतन 30 हजार चालान किए जाते हैं. वर्ष 2020 में किए गए चालान से करीब 124.17 करोड़ रुपए की राशि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा जमा की गई है. वर्ष 2019 में लगभग 94.8 करोड़ रुपये चालान की राशि से इकट्ठा किए गए थे.
संयुक्त आयुक्त मनीष अग्रवाल का कहना है कि चालान का मकसद राशि एकत्रित करना नहीं, बल्कि लोगों के बीच ट्रैफिक नियमों का पालन करवाना है, ताकि सड़क हादसों को कम किया जा सके.
जानकारी के अनुसार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ चालान किया जाता है. सितंबर 2019 से चालान राशि को केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाया गया था. चालान के लिए न केवल पुलिसकर्मी बल्कि सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के जवान जहां औसतन रोजाना चार से पांच हजार चालान करते हैं तो वहीं कैमरों द्वारा औसतन 25000 चालान रोजाना किए जाते हैं.
दिल्ली पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में ट्रैफिक पुलिस द्वारा किए गए चालान से 124.17 करोड़ रुपए की राशि एकत्रित हुई है जबकि वर्ष 2019 में किए गए चालान से लगभग 94.8 करोड़ रुपये ट्रैफिक पुलिस ने जमा किए थे.
तकनीक पर खर्च होनी चाहिए चालान राशि
सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा किसी भी जगह पर किए जाने वाले चालान का असली मकसद लोगों के बीच ट्रैफिक नियमों का पालन करवाना होता है. यह दुनियाभर में देखा गया है कि चालान ज्यादा करने से सड़क हादसे कम होते हैं.
पीयूष तिवारी ने बताया-
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा किए जा रहे अधिक चालान का बेहतर असर देखने को मिल रहा है. सड़क हादसों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार कमी देखने को मिली है. चालान से मिलने वाली राशि सरकार के पास चली जाती है. ये राशि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को अत्याधुनिक तकनीकी सुधार पर खर्च करने के लिए मिलनी चाहिए. इससे वो एक तरफ जहां सड़क हादसों को कम कर सकेंगे तो वहीं दूसरी तरफ जाम की समस्या से भी लोगों को निजात दिला सकेंगे.
कम हो रहे हादसे
ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त मनीष अग्रवाल ने बताया कि चालान के जरिए ट्रैफिक पुलिस का मकसद रुपए जुटाना नहीं होता है. इसका असली मकसद राजधानी में सड़क हादसों में होने वाली मौत को कम करना है. सड़क हादसों को कम करने के लिए ट्रैफिक नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है. ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने के लिए ही पुलिस द्वारा चालान किया जाता है. लोगों के बीच यह भय आवश्यक है कि अगर वह ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भारी चालान राशि चुकानी पड़ेगी. इस भय के चलते वह ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं जिसकी वजह से सड़क हादसों में लगातार कमी आती है.
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संयुक्त आयुक्त मनीष अग्रवाल ने बताया-
सड़क पर वाहन चलाते समय लोगों को यह एहसास होना चाहिए कि ये सड़क केवल उनके लिए नहीं है. इस पर सुरक्षा के साथ चलने का जितना उनका हक है उतना ही अन्य लोगों का है. ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने में ट्रैफिक पुलिस की सीमित संख्या के साथ उनकी भूमिका भी सीमित है. इसलिए ट्रैफिक पुलिस इलेक्ट्रॉनिक चालान की मदद ले रही है.
दिल्ली में 100 से ज्यादा जगहों पर स्पीड डिटेक्टर कैमरे लगाए गए हैं जबकि 24 इंटरसेक्शन को कैमरों से लैस किया गया है. ट्रैफिक पुलिस का प्रयास है कि आने वाले समय में इनकी संख्या को डबल किया जाए ताकि सड़क हादसों के आंकड़े को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि चालान का असर भी तब तक नहीं होता जब तक चालान की राशि चुकाने वाले को न चुभे. सरकार द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद से चालान राशि बढ़ाई गई है जिसके बाद इसका सकारात्मक असर दिख रहा है.
वर्ष 2020 में किये गए प्रमुख चालान
चालान के प्रकार | चालान |
ओवर स्पीड वायलेशन | 8217692 |
अवैध पार्किंग | 251547 |
रेड लाइट वायलेशन | 1803293 |
वन वे वायलेशन | 105436 |
बिना हेलमेट | 91257 |
स्टॉप लाइन क्रासिंग | 86342 |
बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट | 64908 |