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क्या दिल्ली कांग्रेस में वरिष्ठों को तरजीह देना युवओं के लिए बन रहा सरदर्द?

नई दिल्ली: अपनी खोई जमीन को वापस लौटाने के लिए दिल्ली कांग्रेस ने पूर्व सीएम शीला दीक्षित को प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है. शीला के आने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी में आपसी फूट खत्म हो एकता देखी जाएगी .

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Published : Feb 16, 2019, 3:01 PM IST

दिल्ली कांग्रेस

लेकिन हाल में शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी में जिस तरह के नेताओं की धमक बढ़ रही है, उनमें वरिष्ठ नेताओं की ही अधिकता है. पार्टी संगठन की होने वाली मीटिंग्स में भी युवा नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही और न ही उनके सुझाव सुने जा रहे हैं.

दिल्ली कांग्रेस में नेताओं में दिखी आपसी फूट!
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हाल में हुई एक जिला कांग्रेस संगठन की मीटिंग में एक युवा नेता को वहां मौजूद एक वरिष्ठ नेता ने यह कहकर बैठा दिया कि 'तुम बैठो, तुम्हारा समय बीत गया'


नाम उजागर ना करने की शर्त पर उस युवा नेता ने बताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हम नए कांग्रेस के सारथी बने थे, लेकिन पार्टी फिर से पुराने ढर्रे पर ही जा रही है, हालांकि ऐसी बातों से कांग्रेसी नेता मना कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने की उबाल यही है. हाल में जिस तरह से शर्मिष्ठा मुखर्जी पर वरिष्ठ नेता रमाकांत गोस्वामी को तरजीह दी गई, उससे भी युवा नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है.

लेकिन हाल में शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी में जिस तरह के नेताओं की धमक बढ़ रही है, उनमें वरिष्ठ नेताओं की ही अधिकता है. पार्टी संगठन की होने वाली मीटिंग्स में भी युवा नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही और न ही उनके सुझाव सुने जा रहे हैं.

दिल्ली कांग्रेस में नेताओं में दिखी आपसी फूट!
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हाल में हुई एक जिला कांग्रेस संगठन की मीटिंग में एक युवा नेता को वहां मौजूद एक वरिष्ठ नेता ने यह कहकर बैठा दिया कि 'तुम बैठो, तुम्हारा समय बीत गया'


नाम उजागर ना करने की शर्त पर उस युवा नेता ने बताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हम नए कांग्रेस के सारथी बने थे, लेकिन पार्टी फिर से पुराने ढर्रे पर ही जा रही है, हालांकि ऐसी बातों से कांग्रेसी नेता मना कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने की उबाल यही है. हाल में जिस तरह से शर्मिष्ठा मुखर्जी पर वरिष्ठ नेता रमाकांत गोस्वामी को तरजीह दी गई, उससे भी युवा नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है.

Intro:शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान दिए जाने के बाद यह चर्चा चली थी की कांग्रेस आलाकमान का यह फैसला कहीं नई पीढ़ी के नेताओं को नागवार न गुजरे इसकी काट के लिए 3 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए लेकिन समस्या शायद पूरी तरह से सुलझी नहीं है


Body:गुटबाजी किसी भी दल में सामान्य बात है लेकिन चुनाव से ऐन पहले होने वाली गुटबाजी राजनीतिक दलों के लिए समस्या का कारण बन जाती हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में पूर्व में ऐसी गुटबाजी देखने को मिलती रही है। चूंकि शीला दीक्षित ने 15 साल तक सरकार और संगठन को साध कर चलाया था, इसलिए लगा था कि उनके आने के बाद पार्टी एकजुट होकर आगे बढ़ेगी।

लेकिन हाल में शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी में जिस तरह के नेताओं की धमक बढ़ रही है, उनमें वरिष्ठ नेताओं की ही अधिकता है। पार्टी संगठन की होने वाली मीटिंग्स में भी युवा नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही और न ही उनके सुझाव सुने जा रहे हैं। हाल में हुई एक जिला कांग्रेस संगठन की मीटिंग में एक युवा नेता को वहां मौजूद एक वरिष्ठ नेता ने यह कहकर बैठा दिया कि 'तुम बैठो, तुम्हारा समय बीत गया।'

नाम उजागर ना करने की शर्त पर उस युवा नेता ने बताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हम नए कांग्रेस के सारथी बने थे, लेकिन पार्टी फिर से पुराने ढर्रे पर ही जा रही है। हालांकि ऐसी बातों से कांग्रेसी नेता मना कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने की उबाल यही है। हाल में जिस तरह से शर्मिष्ठा मुखर्जी पर वरिष्ठ नेता रमाकांत गोस्वामी को तरजीह दी गई, उससे भी युवा नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है।




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