नई दिल्ली : वर्तमान समय में दिल्ली की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक प्लास्टिक वेस्ट को मैनेज करने की भी है. इसके समाधान को लेकर साउथ एमसीडी के द्वारा जहां लगातार एक के बाद एक कई कदम उठाए जा रहे हैं. साथ ही लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करने के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है. एसडीएमसी ने अपने अंतर्गत आने वाले कुछ बाजारों के साथ मॉल्स को भी plastic-free घोषित कर दिया है.
प्लास्टिक की थैली और अनावश्यक उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके. वहीं एक ही जगह पर दफ्तर होने के बावजूद नॉर्थ एमसीडी ने साउथ एमसीडी से बिल्कुल भी सीख नहीं ली है और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर नॉर्थ एमसीडी के द्वारा वर्तमान समय में कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है. हालांकि नॉर्थ एमसीडी ने कुछ समय पहले प्लास्टिक फ्री मार्केट जरूर बनाई थी, लेकिन यह योजना पूरी तरीके से जमीन पर नहीं उतर सकी और अब वर्तमान समय में सभी मार्केट के अंदर प्लास्टिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.
ये भी पढ़ें- नॉर्थ MCD के मेयर ने कहा- निगम के स्कूल दिल्ली सरकार के स्कूल से अच्छे
बता दें कि नॉर्थ एमसीडी के सालाना बजट में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कई बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन एक भी दावे को भी जमीनी स्तर पर अभी तक नहीं उतारा जा सका है. इसके पीछे एक और बड़ी महत्वपूर्ण वजह नॉर्थ एमसीडी की वर्तमान समय में आर्थिक बदहाली भी है, जिसकी वजह से निगम को अपनी योजना जमीनी स्तर पर उतारने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल निगम की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वह अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं दे पा रही है. ऐसे में योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर उन्हें सफल बनाना दूर की बात है.
नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में हर रोज लगभग 300 से 400 मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट उत्पन्न होता है, जिसकी मैनेजमेंट करने की आवश्यकता है, लेकिन निगम द्वारा इस समस्या को लेकर फिलहाल किसी भी तरह का कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. भलस्वा लैंडफिल साइट पर ट्रोमेल मशीन की सहायता से अलग किए गए प्लास्टिक को एनर्जी वेस्ट प्लांट में भेजा जा रहा है, लेकिन उसके इलावा जो पूरे क्षेत्र से जो प्लास्टिक वेस्ट निकल रहा है.उसके मैनेजमेंट को लेकर निगम के द्वारा कोई भी योजना अभी धरातल पर नहीं है.
जहां एक तरफ साउथ एमसीडी लगातार गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर प्लास्टिक के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कई योजनाएं चला रही है. वहीं नॉर्थ एमसीडी में गैर सरकारी संगठनों के साथ करार तो जरूर किया है. लेकिन अभी तक इस कड़ी में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.सिर्फ एक योजना शुरू की गई थी नॉर्थ एमसीडी में साउथ एमसीडी की तर्ज पर प्लास्टिक की बोतल देकर खाना लेने के लेकिन यह योजना भी कोरोना कि दूसरी लहर के बाद से ठप पड़ी है.
ये भी पढ़ें- 'नॉर्थ MCD के कर्मचारियों का जल्द जारी होगा वेतन, नहीं होगी हड़ताल'
नॉर्थ एमसीडी के पूर्व मेयर जयप्रकाश के द्वारा सदर बाजार महिला हाट और दरियागंज के बाजारों को प्लास्टिक मुक्त मार्केट घोषित किया गया. जहां पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग नहीं होगा, लेकिन अब इन मार्केट के अंदर दोबारा खुलेआम प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है और इस पर निगम अधिकारियों का ध्यान भी नहीं है.
वर्तमान में अगर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर साउथ एमसीडी की पॉलिसी की बात करें तो एसडीएमसी के द्वारा बकायदा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कई गैर सरकारी संगठनों के साथ कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिसके तहत सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग न करने को लेकर लगातार जनता को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही साथ साउथ एमसीडी ने बकायदा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अलग से फंड भी एलॉट करा है. जबकि साउथ एमसीडी ने बिसलेरी जैसी बड़ी कंपनी के साथ प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर एक करार भी करा है जिसके तहत प्लास्टिक को रिसाइकल करके उसकी टाइल्स और अन्य चीजें बनाई जाएंगी.
ये भी पढ़ें- दिल्ली की 700 जर्जर इमारतों को नोटिस, कभी भी गिरने की आशंका
वहीं अगर साउथ एमसीडी के मुकाबले नॉर्थ एमसीडी की बात करें तो नॉर्थ एमसीडी के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं सिर्फ कागजों पर दिखाई दे रही है. जमीनी स्तर पर इसका किसी तरीके से कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है. नॉर्थ एमसीडी के पास वर्तमान समय में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर पर्याप्त मात्रा में फंड भी नहीं है ताकि इस योजना को जमीनी स्तर पर सही से सफल बनाया जा सके. नॉर्थ एमसीडी पहले ही आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है.
पिछले काफी लंबे समय से प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अध्ययन कर रहे पर्यावरणविद् अतिन बिस्वास (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट में प्रोग्राम डायरेक्टर) ने बताया वर्तमान समय में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट ना सिर्फ राजधानी बल्कि पूरे देश की बड़ी समस्याओं में से एक है सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पूरे देश में साल भर में 94,50,000 मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट का उत्पादन होता है. जिसमें से बड़ी मुश्किल से 20 से 25 फ़ीसदी प्लास्टिक का निष्पादन कर किया जा सकता है.
पर्यावरण को देखते हुए हमें प्लास्टिक के प्रयोग के प्रति ना सिर्फ सावधान होने की जरूरत है बल्कि कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करने की भी आवश्यकता है.अतिन बिस्वास ने यह भी सुझाव दिया कि वर्तमान समय में हालातों को देखते हुए नॉर्थ एमसीडी समेत देश की सभी सिविक एजेंसियों को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के मद्देनजर अलग-अलग रीसायकल प्लांट लगाने चाहिए.
साथ ही लोगों को जागरूक करने के साथ यह बताने की भी आवश्यकता है कि प्लास्टिक के कचरे को सामान्य कूड़े कचरे के साथ एकत्रित ना करके अलग से एकत्रित किया जाए ताकि बाद में प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकल करने में आसानी हो सके. इस पूरी प्रक्रिया को सगरिकेशन कहते हैं. राजधानी ने अभी नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और साउथ एमसीडी के द्वारा ही वर्तमान समय में लोगों को सगरिकेशन के बारे में ना सिर्फ जागरूक किया जा रहा है बल्कि उन्हें समझाया भी जा रहा है. जबकि इस तरह के अभियान सभी सभी सदस्यों को चलाने चाहिए जिससे कि प्लास्टिक वेस्ट को अलग से एकत्रित किया जा सके और उससे प्लास्टिक रीसाइकलिंग में आसानी हो.
ये भी पढ़ें- नॉर्थ MCD: स्थायी समिति के साथ वार्ड कमिटी चुनाव होंगे दिलचस्प, चुनाव में दिखेगी खींचतान
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर नॉर्थ एमसीडी के अधिकारियों द्वारा लगातार नई नई योजनाएं तैयार की जाती हैं और उन्हें आगे बढ़ाने का भी प्रयास किया जाता है, लेकिन आर्थिक बदहाली के चलते इन सभी योजनाओं को या तो सही तरीके से अमलीजामा नहीं पहनाया जाता या फिर यह योजना अधर में लटकी रह जाती हैं. वहीं निगम के कार्यालय सिविक सेंटर की बात की जाए तो यहां पर बकायदा हर एक फ्लोर पर सिंगल उस प्लास्टिक का प्रयोग ना करने के पोस्टर तो जरूर लगे हुए है. लेकिन अभी भी निगम के कार्यालय में dustbin के लिए प्रयोग किए जाने वाले पॉलीबैग में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है.