नई दिल्लीः हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. ज्येष्ठ मास की शुल्क पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं. इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 (बुधवार) को पड़ रही है. साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशी में निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य और अध्यात्मिक गुरु शिवकुमार शर्मा के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत तपस्या के समान माना गया है. जो व्यक्ति निर्जला एकादशी के दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखता है उसको साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशी के समान फल की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है. निर्जला एकादशी का व्रत करने से घर में परेशानियां दूर होती हैं साथ ही आर्थिक संपन्नता आती है. निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. घर के मंदिर में दीप जलाएं और भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें. एकादशी के व्रत का संकल्प करें भगवान विष्णु का पूजन करें. ध्यान रखें कि निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान जलग्रहण ना करें. नैवेद्य आदि का भोग लगाएं और विष्णु सहस्रनाम श्री सुक्तम गोपाल सहस्त्रनाम आदि का जाप करें या पाठ करें.
० निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त
- निर्जला एकादशी प्रारंभ: 30 मई (मंगलवार) 01.07 PM.
- निर्जला एकादशी समाप्त: 31 मई (बुधवार), 01.45 PM
- व्रत पारण का समय: 1 जून (गुरुवार), 05:24 AM से 08:10 AM
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० इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- निर्जला एकादशी पर तामसिक भोजन का सेवन ना करें. मास, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी पूर्णता दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. निर्जला एकादशी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें. ना ही किसी पर गुस्सा करें. अपशब्द का प्रयोग करने से भी पूर्णता बचें.