नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा के एक मामले के नौ आरोपियों को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया, उनमें शाहनवाज ऊर्फ शानू, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद ऊर्फ राजा, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल और राशिद ऊर्फ मोनू शामिल हैं.
आरोपियों की पहचान कांस्टेबल विपिन और हेड कांस्टेबल हरि बाबू ने किया था. कोर्ट ने कहा कि ये स्पष्ट नहीं है कि कांस्टेबल विपिन ने सभी आरोपियों को भीड़ में कैसे देखा, जबकि घटना सुबह नौ बजे से लेकर देर रात तक घटती रही. कोर्ट ने हेड कांस्टेबल हरि बाबू के बयान पर भी सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बयान दर्ज कराने के पहले इन गवाहों का कई मामलों में परीक्षण किया जा चुका है और वो भी इन्हीं आरोपियों के खिलाफ किया गया है. इन गवाहों ने शाहनवाज, आजाद और अशरफ के अलावा किसी की पहचान नहीं की. कोर्ट ने कहा कि ये गवाह शाहनवाज और आजाद का नाम घटना के पहले से जानते हैं. अशरफ के नाम का पता भी दूसरे केसों में साक्ष्य दर्ज करने के समय पता चला.
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फरवरी 2020 की है घटना: घटना 25 फरवरी 2020 की है. शिकायतकर्ता दिनेश अग्रवाल की शिव विहार तिराहा के पास राजधानी पब्लिक स्कूल के नजदीक एसएस ग्लास एंड प्लाईवुड नामक दुकान थी. शिकायतकर्ता ने 28 फरवरी को पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि उसके गोदाम, टेंपो और मोटरसाइकिल को दंगाईयों की भीड़ ने आग लगा दिया.
शिकायतकर्ता ने कहा कि इसके अलावा दूसरे वाहनों को भी क्षतिग्रस्त किया गया था. इस मामले की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस की टीम ने 15 मार्च 2020 को घटनास्थल का मुआयना किया और वहां के फोटोग्राफ लिए. जांच अधिकारी ने चश्मदीद गवाह के तौर पर कांस्टेबल विपिन और हेड कांस्टेबल हरि बाबू के बयान दर्ज किए. अपने बयान में इन गवाहों ने सभी आरोपियों का नाम लिया था. जांच के दौरान जांच अधिकारी ने राजधानी पब्लिक स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की वीडियो फुटेज भी हासिल की थी.
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