नई दिल्लीः पुरानी पेंशन बहाली और नई पेंशन स्कीम को खत्म करने की मांग को लेकर नेशनल फेडरेशन इंडियन रेलवेमैन (NFIR) के द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी. इस बात की जानकारी NFIR के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी है. NFIR महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने कहा कि भारत सरकार ने 22 दिसंबर 2003 को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उदारीकृत पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना (एनपीएस) लाई है, जिसे वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) भी कहा जाता है.
उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वैध अधिकारों के खिलाफ इस तरह के निर्णय लेने से पहले कोई पूर्व विचार विमर्श नहीं किया गया. एनएफआईआर एनपीएस को खत्म करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है और भारत सरकार के विभिन्न स्तरों पर चर्चा भी हुई है, लेकिन आज तक कोई संतोषजनक परिणाम नहीं निकला है. 2004 से केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत लोगों को उनकी सेवानिवृत्ति पर गारंटीकृत पेंशन के रूप में कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है. जैसा कि सरकार अड़ी हुई है. फेडरेशन ने एनपीएस के खिलाफ संघर्ष जारी रखने के लिए लगभग सभी कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मंच के गठन की पहल की और तदनुसार जनवरी 2023 से पूरे भारत में आंदोलन आयोजित किए जा रहे हैं.
NFIR के सचिव सोमदत्त मालिक ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1982 में दिए अपने फैसले में कहा था कि पेंशन कर्मचारी का सम्मानपूर्वक जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है और यह कोई उपहार नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे और सुरेश प्रभु ने वर्ष 2014 और 2015 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि रेलवे कर्मचारियों की भूमिका अद्वितीय, जटिल और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले रक्षा बलों के समान है, इसलिए रेलवे को छूट दी जानी चाहिए.
दिल्ली के रामलीला मैदान में 10 अगस्त को देश भर के सभी रेलवे यूनियन के कर्मचारी एक विशाल रैली आयोजित करेंगे. अगर सरकार फिर भी हमारी मांगे नहीं मानती है तो 2024 के चुनाव में हम सरकार को दिखा देंगे कि हमारी कितनी ताकत है और 2024 के चुनाव में जो पार्टी रेलवे के कर्मचारियों के हित में बात करेगी, वोट उसी को दिया जाएगा. जो पार्टी अपने मेनिफेस्टो में हमारी मांगों को रखेगी, हम उसी के साथ रहेंगे.
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