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अब मशीन बताएगी कि कितनी एंटीबायोटिक खानी हैं, जानिए सबकुछ

मुबंई IIT के छात्रों और शिक्षकों द्वारा एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है. जिससे इक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या से मरीजों को काफी हद तक निजात मिल सकेगी. हालांकि इस डिवाइस को अभी मार्केट में आने में 2 से 3 साल का समय लग सकता है.

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Published : Aug 8, 2019, 12:35 PM IST

Updated : Aug 8, 2019, 2:40 PM IST

नई दिल्ली: IIT मुंबई के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर एक डिवाइस तैयार किया है. इससे यह पता लगेगा कि बीमारी किस तरह के बैक्टीरिया से फैल रही है जिससे सही मात्रा में उसका एंटीबायोटिक दिया जा सके.

मुबंई IIT के छात्रों ने तैयार की डिवाइस
बता दें कि इस डिवाइस से एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या से मरीजों को काफी हद तक निजात मिल सकेगी. हालांकि इस डिवाइस को अभी मार्केट में आने में 2 से 3 साल का समय लग सकता है. इसका प्रदर्शन IIT दिल्ली में किया गया.

बीमारी का सही पता लगाने में करेगा मदद
इस डिवाइस की कार्यशैली को लेकर इसे इजाद करने वाले IIT के छात्र डॉ कपिल पंजाबी ने बताया कि अक्सर इन्फेक्शन कई तरह के होते हैं और उन्हें जल्दी ठीक करने के लिए डॉक्टर मरीजों को एंटीबायोटिक दे देते हैं.
उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को इस तरह से बनाया गया है कि जब इसमें मरीज का सैंपल डाला जाएगा तो वह चंद ही मिनटों में यह बता देगा कि यह बीमारी बैक्टीरियल इनफेक्शन है या वायरल. साथ ही यह भी बताएगा कि यदि बैक्टीरियल इनफेक्शन है तो उसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक डोज़ की जरूरत है.

डिवाइस में सैंपल डालते ही रंग बदल जाएगा
डॉ कपिल ने कहा कि इस तरह के सैंपल की जांच के लिए अलग से किसी मशीन, लैब या एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी आंखों के आगे ही जांच का परिणाम देखा जा सकेगा.
इसके काम की तकनीक के बारे में बताते हुए डॉ कपिल ने कहा कि इस डिवाइस में तरह-तरह के सैंपल जैसे कि यूरीन सैंपल, ब्लड सैंपल, प्लाज्मा आदि डालने पर चंद मिनटों में डिवाइस का रंग बदल जायेगा.
इस कलर चेंजिंग रिएक्शन के जरिए यह डिवाइस यह जानकारी देगा कि यह इंफेक्शन किस बैक्टीरिया से हुआ है और इसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक देना सही रहेगा.

मामूली शु्ल्क में खरीदा जा सकेगा
डॉ कपिल ने बताया कि इस जांच प्रक्रिया को पूरी होने में करीब एक से डेढ़ साल तक का समय लग सकता है. उन्होंने बताया कि इस डिवाइस के कई भाग हैं जिनकी लागत तकरीबन 10 रुपये होगी ऐसे में डिवाइस का पूरा सेट 100 रुपये के मामूली शुल्क में खरीदा जा सकेगा.

नई दिल्ली: IIT मुंबई के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर एक डिवाइस तैयार किया है. इससे यह पता लगेगा कि बीमारी किस तरह के बैक्टीरिया से फैल रही है जिससे सही मात्रा में उसका एंटीबायोटिक दिया जा सके.

मुबंई IIT के छात्रों ने तैयार की डिवाइस
बता दें कि इस डिवाइस से एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या से मरीजों को काफी हद तक निजात मिल सकेगी. हालांकि इस डिवाइस को अभी मार्केट में आने में 2 से 3 साल का समय लग सकता है. इसका प्रदर्शन IIT दिल्ली में किया गया.

बीमारी का सही पता लगाने में करेगा मदद
इस डिवाइस की कार्यशैली को लेकर इसे इजाद करने वाले IIT के छात्र डॉ कपिल पंजाबी ने बताया कि अक्सर इन्फेक्शन कई तरह के होते हैं और उन्हें जल्दी ठीक करने के लिए डॉक्टर मरीजों को एंटीबायोटिक दे देते हैं.
उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को इस तरह से बनाया गया है कि जब इसमें मरीज का सैंपल डाला जाएगा तो वह चंद ही मिनटों में यह बता देगा कि यह बीमारी बैक्टीरियल इनफेक्शन है या वायरल. साथ ही यह भी बताएगा कि यदि बैक्टीरियल इनफेक्शन है तो उसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक डोज़ की जरूरत है.

डिवाइस में सैंपल डालते ही रंग बदल जाएगा
डॉ कपिल ने कहा कि इस तरह के सैंपल की जांच के लिए अलग से किसी मशीन, लैब या एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी आंखों के आगे ही जांच का परिणाम देखा जा सकेगा.
इसके काम की तकनीक के बारे में बताते हुए डॉ कपिल ने कहा कि इस डिवाइस में तरह-तरह के सैंपल जैसे कि यूरीन सैंपल, ब्लड सैंपल, प्लाज्मा आदि डालने पर चंद मिनटों में डिवाइस का रंग बदल जायेगा.
इस कलर चेंजिंग रिएक्शन के जरिए यह डिवाइस यह जानकारी देगा कि यह इंफेक्शन किस बैक्टीरिया से हुआ है और इसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक देना सही रहेगा.

मामूली शु्ल्क में खरीदा जा सकेगा
डॉ कपिल ने बताया कि इस जांच प्रक्रिया को पूरी होने में करीब एक से डेढ़ साल तक का समय लग सकता है. उन्होंने बताया कि इस डिवाइस के कई भाग हैं जिनकी लागत तकरीबन 10 रुपये होगी ऐसे में डिवाइस का पूरा सेट 100 रुपये के मामूली शुल्क में खरीदा जा सकेगा.

Intro:नई दिल्ली ।

किसी भी तरह के संक्रमण के लिए अक्सर मरीजों को दिए जाने वाली एंटीबायोटिक का डोज बताएगा अब आईआईटी मुंबई के छात्रों द्वारा बनाया गया डिवाइस. इस डिवाइस के जरिए यह पता लगाया जा सकेगा कि बीमारी किस तरह के बैक्टीरिया से फैल रही है जिससे सही मात्रा में उसका एंटीबायोटिक दिया जा सके. बता दें कि इस डिवाइस से एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या से मरीजों को काफी हद तक निजात मिल सकेगी. हालांकि इस डिवाइस को अभी मार्केट में आने में 2 से 3 साल का समय लग सकता है.


Body:मुंबई आईआईटी के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो पीड़ित मरीज के सैंपल को मिनटों में ही जांच कर उसके कारणों का पता लगा सकेगा. इस डिवाइस की कार्यशैली को लेकर इसे इजाद करने वाले आईआईटी के छात्र डॉ कपिल पंजाबी ने बताया कि अक्सर इन्फेक्शन कई तरह के होते हैं और उन्हें जल्दी ठीक करने के लिए डॉक्टर मरीजों को एंटीबायोटिक दे देते हैं. उस समय उन्हें यह पता नहीं होता कि वह इन्फेक्शन बैक्टीरिया से फैला है या वायरस से या किसी अन्य एजेंट से. ऐसे में अगर वायरल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है तो मरीज को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं बैक्टीरियल इनफेक्शन के लिए भी जो एंटीबायोटिक दिया जाता है उसका सही डोज़ डॉक्टर को कई बार नहीं पता होता जिसके चलते मरीज ओवरडोज का शिकार हो जाते हैं और उन्हें कई अन्य बीमारियां भी घेर लेती हैं. ऐसे में यह डिवाइस ना केवल मरीजों के लिए बल्कि डॉक्टरों के लिए भी काफी लाभदायक सिद्ध होगा. उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को इस तरह से बनाया गया है कि जब इसमें मरीज का सैंपल डाला जाएगा तो वह चंद ही मिनटों में यह बता देगा कि यह बीमारी बैक्टीरियल इनफेक्शन है या वायरल. साथ ही यह भी बताएगा कि यदि बैक्टीरियल इनफेक्शन है तो उसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक डोज़ की जरूरत है. डॉ कपिल ने कहा कि इस तरह के सैंपल की जांच के लिए अलग से किसी मशीन, लैब या एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी आंखों के आगे ही जांच का परिणाम देखा जा सकेगा.

इसके काम की तकनीक के बारे में बताते हुए डॉ कपिल ने कहा कि इस डिवाइस में तरह-तरह के सैंपल जैसे कि यूरीन सैंपल, ब्लड सैंपल, प्लाज्मा आदि डालने पर चंद मिनटों में डिवाइस का रंग बदल जायेगा. इस कलर चेंजिंग रिएक्शन के जरिए यह डिवाइस यह जानकारी देगा कि यह इंफेक्शन किस बैक्टीरिया से हुआ है और इसके लिए कितनी मात्रा में एंटीबायोटिक देना सही रहेगा. उन्होंने बताया कि जब भी किसी मरीज को एंटीबायोटिक दिया जाता है तो यदि उसकी मात्रा अधिक है तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही यदि वायरल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दे दिया जाए तो उसके शरीर के बैक्टीरिया एंटीबायोटिक से प्रभावित नहीं होते और तेजी से शरीर को बीमार करने लगते हैं जिसे एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहा जाता है. ऐसे में यह डिवाइस डॉक्टरों को इंफेक्शन का सही पता लगाने के साथ-साथ एंटीबायोटिक का सही डोज़ जानने में भी मदद करेंगे.

डॉ कपिल ने कहा कि इस डिवाइस पर अब तक ब्लड इन्फेक्शन यूरिन इन्फेक्शन और अन्य घावो के सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं जिसका सकारात्मक परिणाम आया है. वहीं मार्केट में इसकी उपलब्धता को लेकर उन्होंने बताया कि अभी इस डिवाइस पर और कई जांच करना बाकी है. इस डिवाइस पर जांच किये गए सैंपल के परिणाम को लैब में जांचे गए सैंपल से मिलाया जा रहा है जिससे यह पता लग सके कि इस डिवाइस की जांच कितनी सटीक है.



Conclusion:उन्होंने कहा कि इस जांच प्रक्रिया को पूरी होने में करीब एक से डेढ़ साल तक का समय लग सकता है. वहीं इस डिवाइस की सबसे खास बात है इसमें लगने वाली लागत. डॉ कपिल ने बताया कि इस डिवाइस के कई भाग हैं जिनकी लागत तकरीबन 10 रुपये होगी ऐसे में डिवाइस का पूरा सेट 100 रुपये के मामूली शुल्क में खरीदा जा सकेगा.
Last Updated : Aug 8, 2019, 2:40 PM IST
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