नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) की 286वीं मीटिंग आयोजित की गई. इस दौरान एमफिल, एमटेक और पीएचडी के शोध कार्यों को डिजिटल मोड से जमा करने के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है. वहीं जेएनयू प्रशासन का कहना है कि अब ऑनलाइन मोड से शोध कार्य जमा करने से बिना किसी परेशानी के और समय से मूल्यांकन कार्य किया जा सकेगा.
अब ऑनलाइन जमा हो सकेगा थीसिस
बता दें कि जेएनयू में ऑनलाइन थीसिस ट्रैकिंग सिस्टम को उपयोग में लाया जा रहा है. जिससे थीसिस की जांच की जा सकें. वहीं एग्जीक्यूटिव काउंसिल की हुई बैठक में एमफिल, एमटेक के शोध कार्य और पीएचडी की थीसिस ऑनलाइन जमा करने पर सहमति बन गई है. इसको लेकर जेएनयू प्रशासन का कहना है कि इस पहल से मूल्यांकन प्रक्रिया में भी पारदर्शिता बनी रहेगी. साथ ही बिना किसी परेशानी के छात्रों की थीसिस समय पर जमा भी हो सकेंगे.
क्लीयरेंस फॉर्म भी ऑनलाइन हो गया उपलब्ध
वहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि ऑनलाइन थीसिस जमा करने के लिए 'नो ड्यूज' क्लीयरेंस फॉर्म जमा करना अनिवार्य होता है. जहां पहले इस फॉर्म के लिए छात्र अलग-अलग जगह पर भटकते रहते थे. वहीं अब यह सारी व्यवस्था भी ऑनलाइन कर दी गई है. यानी छात्रों को ऑनलाइन ही नो ड्यूज क्लीयरेंस भी मिल जाएगा और फीस का भुगतान भी डिजिटल मोड से ही किया जा सकेगा.
समय के साथ तकनीकी तौर पर सशक्त हो रहा है विश्वविद्यालय
वहीं इस पहल को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने कहा कि अगर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को सबसे बेहतर बनना है तो उसे समय के साथ खुद को भी तकनीकी तौर पर सशक्त करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गत 4 वर्षों में जेएनयू ने कई ऐसी अकादमी पद्धतियां को डिजिटल तकनीकी का उपयोग कर बेहतर बनाया है और आगे भी विश्वविद्यालय इसी तरह के बदलाव के पथ पर अग्रसर है. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान करीब 150 वाइवा टेस्ट ऑनलाइन आयोजित किए गए, जिनके आधार पर डॉक्टरल डिग्री दी गयी.