नई दिल्लीः पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर एमजे अकबर ने कहा कि प्रिया रमानी की ओर से उनके खिलाफ अपमानजनक ट्वीट कर, उसे हटा देना उनकी खराब नीयत के बारे में बताता है. ट्रायल के दौरान ऐसा करना कोर्ट की कार्रवाई में बाधा डालने के समान है. इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.
'प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया'
सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा कि रमानी के आलेख मानहानि वाले थे. उन्होंने कहा कि एक ही चीज बार-बार कहने का ये मतलब नहीं है कि आप सही कह रही हैं. उन्होंने कहा कि रमानी ने अपने बयान में एमजे अकबर को शिकारी (predator) कहा है. उन्होंने लॉ डिक्शनरी का मतलब बताते हुए कहा कि यौन शिकारी वह होता है, जो हिंसक यौन कृत्य करता है. रमानी ऐसी दलील अपने बचाव में नहीं दे सकती हैं. ऐसा कर उन्होंने एमजे अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है.
'सोशल मीडिया का प्रभाव ज्यादा घातक'
लूथरा ने कुहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव ज्यादा घातक है. स्वतंत्र ट्रायल के लिए ये सही नहीं है. वोग मैगजीन में लिखे आलेख में शिकायतकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ये आप कह रही हैं. उस आलेख के छपने के एक साल के बाद रमानी ने कहा कि वो एमजे अकबर के बारे में लिखा गया था. ये सब कुछ बिना किसी जिम्मेदारी के कहा गया. उस ट्वीट को कम-से-कम पांच हजार लोगों ने पढ़ा था.
'ये मानहानि का केस है, यौन प्रताड़ना का नहीं'
पिछले 22 दिसंबर को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने कहा था कि यह मानहानि का केस है, यौन प्रताड़ना का केस नहीं. एमजे अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा था कि रमानी ने खुद कहा कि एमजे अकबर उनके प्रोफेशल हीरो हैं, ऐसे में वे कैसे कह सकती हैं कि अकबर की कोई छवि नहीं है. एमजे अकबर ने केस किया है, प्रिया रमानी ने नहीं. लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर की छवि को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा था कि ये मानहानि का केस है, प्रिया रमानी ने यौन प्रताड़ना का केस नहीं किया है.
'40 साल की बनाई छवि को नुकसान पहुंचाया'
लूथरा ने कहा था कि एमजे अकबर जैसी छवि बनाने के लिए रोजाना काम करना पड़ता है. वो देश के शीर्ष पत्रकार हैं. उनके 40 साल के करियर में किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया. अखबारों के दफ्तरों में सैकड़ों लोग काम करते हैं. 2018 में प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के पिछले 40 साल की छवि को नुकसान पहुंचाया. उन्होंने दलीलों में एमजे अकबर के लिए फ्रॉड का इस्तेमाल किया. इसके लिए एक दूसरा मानहानि का केस किया जा सकता है.
'एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं'
बता दें कि प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन की दलीलें पूरी हो चुकी हैं. पिछले 18 दिसंबर को प्रिया रमानी ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं. सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर ने अपनी पूरी शिकायत में प्रिया रमानी के आलेख और ट्वीट का जिक्र किया है.
जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर को दूसरी 15 महिलाओं की शिकायतों के बारे में भी निष्पक्ष खुलासा करना चाहिए था. ये महिलाएं एक-दूसरे को नहीं जानती थीं. उन्होंने कहा था कि गजाला वहाब ने अपने अनुभवों के बारे में लिखा था. दूसरी महिलाओं ने भी ट्विटर पर लिखा था, लेकिन उन्होंने केवल हमारे खिलाफ शिकायत की. अकबर को ये जरूर बताना चाहिए कि जिन दूसरी महिलाओं ने ये शिकायत की उनकी शिकायत भी झूठी है. अकबर तथ्यों को छिपा रहे हैं.
2018 में दायर किया था मामला
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कियाथा. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.
25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.
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