नई दिल्ली: दिल्ली की करीब 2 करोड़ आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की है. दिल्ली जल बोर्ड यह दावा भी करता है कि दिल्ली के कोने-कोने तक जल बोर्ड द्वारा पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन अब भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां पीने का पानी आसानी से नहीं पहुंच पाता और ऐसे इलाके के लोग बाजार में बिकने वाले मिनरल वाटर के भरोसे हैं. लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि आखिर मिनरल वाटर की गुणवत्ता के पैमाने क्या हैं.
मिनरल वाटर की गुणवत्ता पर सवाल समय-समय पर होती है जांच बाजार में बिकने वाले मिनरल वाटर की गुणवत्ता से जुड़े सवाल के जवाब में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर निर्मल जैन ने बताया कि निगम की जलकल विभाग की टीम द्वारा खुले में बिकने वाले मिनरल वाटर की जांच की जाती है. हर 3 महीने पर छोटे सैंपल उठाए जाते हैं तो वही 6 महीने के अंतराल में प्लांट से सैंपल लिए जाते हैं. जिनकी जांच लैबोरेट्री में कराई जाती है. अगर पानी की गुणवत्ता में कुछ खामियां पाई जाती है तो पहले जुर्माना लगाया जाता है और अगर गुणवत्ता में सुधार नहीं होता है तो उस प्लांट को सील किया जाता है. ऐसा सिर्फ पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा ही नहीं बल्कि दिल्ली के तीनों नगर निगम द्वारा किया जाता है. जलकल विभाग की टीम लगातार इलाकों का दौरा करती है और सैंपल को उठाती है.
नहीं है कोई स्पष्ट गाइडलाइन
जानकार बताते हैं कि मिनरल वाटर प्लांट को खोलने के लिए कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है, जिसका फायदा उठाकर पानी के दलाल गुणवत्ता से भी समझौता करते हैं. कई बार बिना शोधित किए हुए पानी की सप्लाई भी प्लांट से की जाती है. जानकार बताते हैं कि निगम द्वारा कहने के लिए तो कार्रवाई होती है, लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखता. धड़ल्ले से दिल्ली के कई इलाकों में नए मिनरल वाटर प्लांट खोले जा रहे हैं, जहां लगातार गुणवत्ता से समझौता किया जाता है.
मिनरल वाटर प्लांट के लिए WHO की गाइडलाइन
मिनरल वाटर प्लांट के लिए WHO ने कुछ गाइडलाइंस निर्धारित की हैं, जिसका पालन सभी मिनरल वाटर प्लांट को करना होता है.
मिनरल वाटर प्लांट के लिए WHO की गाइडलाइनशुद्ध पानी में लवणों की मात्रा