नई दिल्ली: सबरीमाला विवाद काफी सुर्खियों में रहा था और यहां तक कि यह सुप्रीम कोर्ट तक भी गया. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोगों ने अपने अपने तरीके से विश्लेषित किया और अब भी यदा कदा इस पर सियासी बयानबाजी होती है. लेकिन अब इसी मुद्दे पर एक ऐसी किताब आई है, जो इस पूरे मामले को लेकर एक अलग नजरिया देती है.
लेखी ने किया विमोचन
गुरुवार को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सबरीमाला मुद्दे पर लिखी गई सीनू जोसेफ की किताब वूमेन एंड सबरीमाला का विमोचन हुआ. नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं. मीनाक्षी लेखी ने इस मौके पर इस किताब के बहाने सबरीमाला विवाद पर भी अपना मत प्रकट किया.
'आस्था का सम्मान करें महिलाएं'
मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए सबरीमाला विवाद पर महिलाओं को आस्था का सम्मान करने को कहा. उन्होंने कहा कि जहां महिलाओं की पूजा की जाती है, वहां पर लोगों के कर्मो को अच्छा माना गया है, वहीं जहां स्त्रियों की पूजा नहीं की जाती, वहां लोगों के कर्मो को बुरा कहा गया है.
जेएनयू पर निशाना
लेखी ने इस मुद्दे को मनुवाद से भी जोड़ा और उसके बहाने जेएनयू विवाद पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मनु ने हमेशा से औरतों के हक के लिए कहा है, लेकिन आज जेएनयू के छात्र 'मनुवाद से आजादी' के नारे लगा रहे हैं, जिन्होंने मनु को कभी पढ़ा ही नहीं है. उन्होंने कहा कि ये वामपंथियों का दुष्प्रचार है.
'नजरिया बदल देगी किताब'
इस किताब वूमेन एंड सबरीमाला की लेखिका सीनू जोसेफ ने अपने संबोधन में कहा कि इसमें हालिया समय के दौरान सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश वर्जित होने के वैज्ञानिक कारणों को तथ्यात्मक रूप से बताया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह किताब हिंदुओं की आस्था व मान्यता और खासतौर पर सबरीमाला मंदिर को देखने का नजरिया बदल देगी.