नई दिल्ली: राजधानी में परिसीमन के बाद नए स्वरूप में सामने आई एमसीडी को इस बार केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले वित्तीय वर्ष 2023-24 के मद्देनजर आम बजट से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. दिल्ली नगर निगम पिछले कुछ सालों से भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एमसीडी के पास इतना भी पर्याप्त वित्तीय राजस्व नहीं है कि वह अपने वर्तमान कर्मचारियों को समय से वेतन दे सकें. एमसीडी में 4 कैटेगरी ए, बी, सी और डी के अंदर कर्मचारियों को ग्रुप के हिसाब से बांटा गया है. इसके इलावा कॉन्ट्रैक्ट और डेली वेजेस कर्मचारी अलग से हैं. वर्तमान समय में इन सभी कर्मचारियों का 1 से लेकर 3 महीने तक का वेतन बकाया है.
वहीं निगम से रिटायर हो चुके कर्मचारियों को 3 महीने से पेंशन भी नहीं मिली है. इसके अलावा बीते 3 साल में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को रिटायर बेनिफिट्स भी अभी तक नहीं मिले हैं. एमसीडी की वित्तीय बदहाली के पीछे बड़ा कारण दिल्ली सरकार के द्वारा फंड ना मिलने के साथ-साथ एमसीडी का आत्मनिर्भर ना होना भी है. दरअसल एमसीडी एक ऐसी सिविक एजेंसी है जो लोगों को सुविधाएं देने के मद्देनजर बनाए गई है, जो प्रॉफिट मेकिंग एजेंसी नहीं है और एमसीडी आज भी राजस्व को लेकर दिल्ली सरकार पर निर्भर है.
आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 के मद्देनजर एमसीडी कमिश्नर ज्ञानेश भारती के द्वारा विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार को 16 हजार करोड़ से ज्यादा के बजट की फाइल सौंपी गई है. इस फाइल को पास भी कर दिया गया है. लेकिन आधिकारिक तौर पर इस बजट को लागू करने के मद्देनजर अभी इसका सदन में पास होना बाकी है. एमसीडी बजट को कर ध्यान से देखा जाए तो उसमें सभी खर्चों का ब्यौरा दिया गया है, जिसमें एमसीडी को स्पष्ट तौर पर घाटे में दिखाया गया है. एमसीडी वर्तमान समय में साढ़े छह हजार करोड़ से ज्यादा के वित्तिय घाटे में है. यानी कि सरल शब्दों में एमसीडी की देनदारी 6500 करोड़ से ज्यादा की है. इसमें सबसे अधिक राशि कर्मचारियों के हक के बकाया वेतन एरियर और पेंशन के साथ रिटायरमेंट बेनिफिट्स की है.
दिल्ली में विकास कार्यों को करने के मद्देनजर एमसीडी फिलहाल पूरे तरीके से अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री द्वारा दिए जाने वाले फंड ओर निर्भर है. वहीं इन सबके बीच केंद्र सरकार द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 23-24 के मद्देनजर प्रस्तुत किए जाने वाले बजट में इस बार दिल्ली एमसीडी को भी खास उम्मीदें हैं. एमसीडी को इस बार उम्मीद रहेगी कि केंद्र सरकार के द्वारा इस बार उसे बजट के अंदर स्पेशल ग्रांट इन एड दी जाए ताकि वह वित्तीय बदहाली के दौर से कुछ हद तक बाहर निकल सके. वर्तमान समय में निगम की देनदारियों और तमाम खर्चों को देखा जाए तो उसे लगभग 8000 करोड़ के वित्तीय सहायता की तुरंत प्रभाव से आवश्यकता है. एमसीडी के परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन में सरकार का अभिप्राय केंद्र सरकार से है, जिसके अनुसार अब एमसीडी पूरी तरीके से केंद्र सरकार के अंतर्गत है. ऐसे में इस बार एमसीडी को केंद्र सरकार द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष को लेकर प्रस्तुत किए जाने वाले बजट में बड़ी आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद है.
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एमसीडी के जानकार और पूर्व पार्षद जगदीश ममगाई ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि, परिसीमन को लेकर नई नोटिफिकेशन सामने आ जाने के बाद अब एमसीडी केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह है. ऐसे में इस बार केंद्र सरकार के द्वारा जो बजट आगामी वित्तीय वर्ष पर लेकर प्रस्तुत किया जा रहा है उससे एमसीडी को काफी उम्मीदें हैं. एमसीडी को उम्मीद है कि उसे केंद्र सरकार के द्वारा विशेष तौर पर वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे कि वह न सिर्फ आर्थिक बदहाली के दौर से निकल सके बल्कि अपने कर्मचारियों की बकाया देनदारी भी चुका सके. इसके अलावा दिल्ली में रुके हुए विकास कार्यो और अंतरराष्ट्रीय जी20 समिट को ध्यान में रखते हुए एमसीडी को केंद्र सरकार द्वारा फंड अलॉट किया जा सकता है.
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