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'डेढ़ लाख करोड़ टैक्स देने वाली दिल्ली को मिले सिर्फ 325 करोड़, हुआ सौतेला व्यवहार'

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Published : Feb 1, 2021, 11:06 PM IST

मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर बजट आवंटन में दिल्ली के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया है. सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली के लोग हर साल केंद्र को टैक्स में डेढ़ लाख करोड़ रुपए देते हैं, जबकि दिल्ली को सिर्फ 325 करोड़ मिले हैं.

'दिल्ली के साथ हुआ सौतेला व्यवहार'
'दिल्ली के साथ हुआ सौतेला व्यवहार'

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया है. सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार को केंद्रीय करो में हिस्सेदारी के बदले मिलने वाला अनुदान पिछले दो दशकों से बिना बढ़ोत्तरी के केवल 325 करोड़ रुपए ही रखा गया है. जबकि दिल्ली हर साल केंद्र को 1.5 लाख करोड़ टैक्स देती है. लेकिन दिल्ली की हिस्सेदारी 2001-02 से नहीं बढ़ाई गई है, जबकि विभिन्न परियोजनाओं को फंड देने के लिए दिल्ली भी केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी की बराबर हकदार है.

'निगमों को मझधार में छोड़ा'
बजट को लेकर जारी बयान में सिसोदिया ने कहा है कि इससे पहले दिल्ली सरकार को केंद्रीय बजट से कुल अनुदान, ऋण या हस्तांतरण के रूप 1116 करोड़ मिला था, जिसे घटा कर अब 957 करोड़ कर दिया गया है. सिसोदिया ने यह भी कहा है कि केंद्र ने निगमों को भी बीच मझधार में छोड़ दिया है. आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगमों को केंद्रीय बजट से मदद मिलने की उम्मीद थी. हमने इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन एक रुपए का भी आवंटन नहीं हुआ है.

'शून्य हो गई अतिरिक्त सहायता राशि'
डिजाॅस्टर रिस्पाॅस अनुदान कम करने को लेकर भी सिसोदिया ने केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि पिछली बार दिल्ली को इस मद में 161 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन इस बार इसे घटा कर मात्र 5 करोड़ रुपए कर दिया गया है. वहीं, इससे पहले दिल्ली को मिली 150 करोड़ की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता राशि को भी शून्य कर दिया गया है. केंद्र शासित प्रदेशों से तुलना करते हुए सिसोदिया ने कहा है कि संवैधानिक रूप से दिल्ली के समान जम्मू-कश्मीर को दिल्ली के 957 करोड़ के मुकाबले 30,757 करोड़ दिए गए हैं.

'संघर्ष करें दिल्ली के सांसद'
सिसोदिया ने मांग की है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सहित दिल्ली के सभी सांसदों को बजट पास होने से पहले दिल्ली के नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए. इसके अलावा, अलग अलग क्षेत्रों का जिक्र करते हुए भी सिसोदिया ने केंद्रीय बजट को उम्मीदों के विपरीत बताया है. कोरोना महामारी से कोई भी सबक न लेते हुए केंद्र ने स्वास्थ्य बजट को 10 फीसदी कम कर दिया है. 2020-21 में स्वास्थ्य बजट 82,445 करोड़ था, जिसे 2021-22 में घटाकर 74,602 करोड़ कर दिया गया है.

'भ्रामक है 137 फीसदी की वृद्धि'
उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य देखभाल और भलाई के लिए बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा भ्रामक है. इसी तरह शिक्षा का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय के बजट में करीब 6 हजार करोड़ रुपए की कमी कर दी गई है. 2020-21 के 99,312 करोड़ के मुकाबले 2021-22 में यह घटकर 93,224 करोड़ हो गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के लिए जीडीपी के 6 फीसदी आवंटन का वादा किया गया है, जबकि यह बजट केवल 0.6 फीसदी है.

'अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं'
बढ़ती महंगाई के उल्लेख के साथ सिसोदिया ने यह भी कहा है कि पेट्रोल की कीमतों में केवल एक साल में 11 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. जबकि डीजल की कीमतें 68 रुपए से बढ़कर 77 रुपए हो गई और डीजल की कीमतों में एक साल के दौरान 9 रुपए की वृद्धि दर्ज की गई है, इसके बावजूद पेट्रोल पर 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर सेस लगाकर केंद्र सरकार ने बता दिया है कि वह मध्यम वर्ग या अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं करती है. वहीं एलपीजी की कीमतों में तीन महीनों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और बजट में इस पर नियंत्रण के संबंध में कोई योजना नहीं है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस को बजट से मिले 8644 करोड़ रुपये, सिस्टम अपग्रेड के लिए 238 करोड़

'बेरोजगारी के प्रति उदासीनता'
सिसोदिया ने कहा है कि गरीबों और बेरोजगारों की प्रमुख योजनाओं में कमी की गई है. मनरेगा में 38 हजार करोड़, सामाजिक कल्याण योजनाओं में 5 हजार करोड़ रुपए और पीएम किसान योजना आवंटन में 10 हजार करोड़ रुपए की कमी की गई है. अभी जबकि पूरे देश में किसान आंदोलन चल रहा है और कृषि संकट है, ऐसे में कृषि मंत्रालय का बजट 1.55 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 1.48 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है. वहीं, कौशल मंत्रालय का बजट 5400 करोड़ रुपए से घटकर 3500 करोड़ हो गया है. इससे पता चलता है कि सरकार बेरोजगारों के दर्द के प्रति पूरी तरह से उदासीन है.

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया है. सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार को केंद्रीय करो में हिस्सेदारी के बदले मिलने वाला अनुदान पिछले दो दशकों से बिना बढ़ोत्तरी के केवल 325 करोड़ रुपए ही रखा गया है. जबकि दिल्ली हर साल केंद्र को 1.5 लाख करोड़ टैक्स देती है. लेकिन दिल्ली की हिस्सेदारी 2001-02 से नहीं बढ़ाई गई है, जबकि विभिन्न परियोजनाओं को फंड देने के लिए दिल्ली भी केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी की बराबर हकदार है.

'निगमों को मझधार में छोड़ा'
बजट को लेकर जारी बयान में सिसोदिया ने कहा है कि इससे पहले दिल्ली सरकार को केंद्रीय बजट से कुल अनुदान, ऋण या हस्तांतरण के रूप 1116 करोड़ मिला था, जिसे घटा कर अब 957 करोड़ कर दिया गया है. सिसोदिया ने यह भी कहा है कि केंद्र ने निगमों को भी बीच मझधार में छोड़ दिया है. आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगमों को केंद्रीय बजट से मदद मिलने की उम्मीद थी. हमने इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन एक रुपए का भी आवंटन नहीं हुआ है.

'शून्य हो गई अतिरिक्त सहायता राशि'
डिजाॅस्टर रिस्पाॅस अनुदान कम करने को लेकर भी सिसोदिया ने केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि पिछली बार दिल्ली को इस मद में 161 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन इस बार इसे घटा कर मात्र 5 करोड़ रुपए कर दिया गया है. वहीं, इससे पहले दिल्ली को मिली 150 करोड़ की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता राशि को भी शून्य कर दिया गया है. केंद्र शासित प्रदेशों से तुलना करते हुए सिसोदिया ने कहा है कि संवैधानिक रूप से दिल्ली के समान जम्मू-कश्मीर को दिल्ली के 957 करोड़ के मुकाबले 30,757 करोड़ दिए गए हैं.

'संघर्ष करें दिल्ली के सांसद'
सिसोदिया ने मांग की है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सहित दिल्ली के सभी सांसदों को बजट पास होने से पहले दिल्ली के नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए. इसके अलावा, अलग अलग क्षेत्रों का जिक्र करते हुए भी सिसोदिया ने केंद्रीय बजट को उम्मीदों के विपरीत बताया है. कोरोना महामारी से कोई भी सबक न लेते हुए केंद्र ने स्वास्थ्य बजट को 10 फीसदी कम कर दिया है. 2020-21 में स्वास्थ्य बजट 82,445 करोड़ था, जिसे 2021-22 में घटाकर 74,602 करोड़ कर दिया गया है.

'भ्रामक है 137 फीसदी की वृद्धि'
उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य देखभाल और भलाई के लिए बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा भ्रामक है. इसी तरह शिक्षा का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय के बजट में करीब 6 हजार करोड़ रुपए की कमी कर दी गई है. 2020-21 के 99,312 करोड़ के मुकाबले 2021-22 में यह घटकर 93,224 करोड़ हो गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के लिए जीडीपी के 6 फीसदी आवंटन का वादा किया गया है, जबकि यह बजट केवल 0.6 फीसदी है.

'अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं'
बढ़ती महंगाई के उल्लेख के साथ सिसोदिया ने यह भी कहा है कि पेट्रोल की कीमतों में केवल एक साल में 11 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. जबकि डीजल की कीमतें 68 रुपए से बढ़कर 77 रुपए हो गई और डीजल की कीमतों में एक साल के दौरान 9 रुपए की वृद्धि दर्ज की गई है, इसके बावजूद पेट्रोल पर 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर सेस लगाकर केंद्र सरकार ने बता दिया है कि वह मध्यम वर्ग या अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं करती है. वहीं एलपीजी की कीमतों में तीन महीनों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और बजट में इस पर नियंत्रण के संबंध में कोई योजना नहीं है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस को बजट से मिले 8644 करोड़ रुपये, सिस्टम अपग्रेड के लिए 238 करोड़

'बेरोजगारी के प्रति उदासीनता'
सिसोदिया ने कहा है कि गरीबों और बेरोजगारों की प्रमुख योजनाओं में कमी की गई है. मनरेगा में 38 हजार करोड़, सामाजिक कल्याण योजनाओं में 5 हजार करोड़ रुपए और पीएम किसान योजना आवंटन में 10 हजार करोड़ रुपए की कमी की गई है. अभी जबकि पूरे देश में किसान आंदोलन चल रहा है और कृषि संकट है, ऐसे में कृषि मंत्रालय का बजट 1.55 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 1.48 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है. वहीं, कौशल मंत्रालय का बजट 5400 करोड़ रुपए से घटकर 3500 करोड़ हो गया है. इससे पता चलता है कि सरकार बेरोजगारों के दर्द के प्रति पूरी तरह से उदासीन है.

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