नई दिल्ली: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की आदिवासी विंग ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आदिवासी बचाओ के नारे के साथ धरना प्रदर्शन किया. मणिपुर में आदिवासियों के मुद्दों उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला. विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के बड़े नेता शामिल हुए, जिनमें कांग्रेस की महिला नेता अलका लांबा भी पहुंची. इसके अलावा देशभर के अलग-अलग राज्यों से आदिवासी समुदाय के कांग्रेस नेता भी शामिल हुए. प्रदर्शन में आदिवासी समुदाय ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की भी मांग की.
मणिपुर में लागू हो राष्ट्रपति शासनः जम्मू कश्मीर से गुज्जर बकरवाल समाज से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस नेता चौधरी हुसैन अली ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला. अली ने कहा कि मणिपुर की राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक मणिपुर में 350 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहां आदिवासी परिवार आपने घरों से विस्थापित कर दिए गए हैं और अस्थायी शिवरों में रहने पर मजबूर है. भाजपा शासित राज्य मणिपुर में एसटी समुदाय के लोगों को सताया जा रहा है. वहां पर महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे मामले पर जिस तरह से चुप्पी साध रखी है, हमारी मांग है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
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जम्मू में भी दो समुदाय को लड़ाने की कोशिशः कांग्रेस नेता हुसैन अली ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जम्मू कश्मीर में भी दो समुदाय को लड़ाने की कोशिश कर रही है. मणिपुर में आदिवासी समुदाय के नेतृत्व में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई, 2023 को मणिपुर की राजधानी इंफाल के दक्षिण में बसे चंद्रपुर शहर में हिंसा की पहली घटना दर्ज की गई थी.
आदिवासियों के शांतिपूर्ण मार्च के प्रतिरोध में मेइती समुदाय ने जब विरोध प्रदर्शन किया तो वहां नाकेबंदी कर दी गई और पूरे मणिपुर में आदिवासियों पर हमले किए गए. आज पूरे देश ने देखा है कि किस तरह मणिपुर में भाजपा शासित सरकार में महिलाओं के साथ दरिंदगी की गई. बीजेपी अब ऐसी ही कोशिश जम्मू कश्मीर में करने की कोशिश कर रही है.
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